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Article : Current Affairs 7 August 2018.
Updated at : Wed, 08 August, 2018 , 11:49:01 AM ( IST )
  1.  

चीन ने हाइपरसॉनिक विमान का सफल परीक्षण किया


चीन ने 06 अगस्त 2018 को पहले अत्याधुनिक हाइपरसॉनिक विमान का सफल परीक्षण किया है. यह विमान परमाणु आयुधों को ले जाने में और मौजूदा किसी भी मिसाइल रोधी रक्षा प्रणालियों को भेदने में सक्षम है. 
चाइना एकेडमी ऑफ एयरोस्पेस एयरोडाइनामिक्स (सीएएए) ने एक बयान में कहा कि शिंगकोंग-2 उत्तर पश्चिम चीन के एक परीक्षण स्थल से प्रेक्षित किया गया. समाचार एजेंसी द्वारा जारी जानकारी के अनुसार एक एयरक्राफ्ट को रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया. यह स्वतंत्र रूप से उड़ा और पूर्व नियोजित क्षेत्र में उतरा.

शिंगकोंग-2 की विशेषता

हाइपरसॉनिक विमान का डिजाइन सीएएए ने चाइना एयरोस्पेस साइंस ऐंड टेक्नोलोजी कारपोरेशन के साथ गठबंधन करके तैयार किया है. यह चीन का पहला हाइपरसोनिक विमान है. परीक्षण के दौरान विमान ने ध्वनि की गति से छह गुना ज्यादा 4,563 मील (7,344 किमी/घंटा) की रफ़्तार हासिल की. चीन इस प्रकार का विमान बनाने वाला विश्व का पहला देश बन गया है जबकि अमेरिका ने वर्ष 2023 तक इस प्रकार का विमान विकसित किये जाने की घोषणा की है.

हाइपरसॉनिक विमान के बारे में
हाइपरसॉनिक एयरक्राफ्ट उन विमानों को कहते हैं जो ध्वनि के वेग से भी अधिक वेग से उड़ सकते हैं. ऐसे विमानों का विकास 21वीं सदी में हो रहा है. इनका उपयोग प्रायः अनुसंधान एवं सैनिक उपयोग के लिये तय किया गया है. यह लड़ाकू विमान ध्वनि के वेग के पाँच गुना से भी अधिक वेग (5 मैक से अधिक) से उड़ते हैं.

तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और द्रविड़ आंदोलन के नेता एम करुणानिधि का निधन


तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि का 07 अगस्त 2018 को चेन्नई के अस्पताल में निधन हो गया. वे 94 वर्ष के थे. उन्होंने शाम छह बजकर दस मिनट पर अंतिम सांस ली. करूणानिधि का रक्तचाप कम होने के बाद 28 जुलाई को उन्हें गोपालपुरम स्थित आवास से कावेरी अस्पताल भेजा गया था. पहले वह वार्ड में भर्ती थे बाद में हालत बिगड़ने पर उन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया था.
एम करुणानिधि का पार्थिव शरीर उनके गोपालपुरम निवास पर लाया जाएगा. बाद में पार्थिव शरीर करुणानिधि की बेटी और राज्यसभा की सदस्य कनिमोझी के सीआईटी कॉलोनी निवास पर ले जाया जाएगा ताकि उनके परिवार के सदस्य श्रद्धांजलि दे पाएं.
एम करूणानिधि का राजनीतिक जीवन
•    मुत्तुवेल करुणानिधि का जन्म 3 जून 1924 को मद्रास प्रेसीडेंसी के तिरुक्कुवलई में हुआ था.
•    एम करुणानिधि (M Karunanidhi) को लेखक, नाटककार और पटकथा लेखक के रूप में जाना जाता था. करुणानिधि  के समर्थक उन्हें 'कलाईनार' यानि कि "कला का विद्वान" भी कहते हैं.
•    करुणानिधि ने 20 वर्ष की उम्र में तमिल फिल्म उद्योग की कंपनी 'ज्यूपिटर पिक्चर्स' में पटकथा लेखक के रूप में अपना करियर शुरू किया था.
•    महज चौदह वर्ष की आयु में वे हिंदी विरोधी आंदोलन से जुड़ गए थे. जल्द ही उन्होंने अपने क्षेत्र के युवाओं को साथ लेकर एक संगठन बना लिया. यह संगठन 'मनावर नेसन' नाम का एक अखबार प्रकाशित करता था जो कि हाथ से लिखकर तैयार किया जाता था. इसके बाद करुणानिधि ने एक छात्र संगठन 'तमिलनाडु तमिल मनावर मंद्रम' की स्थापना की. 
•    करुणानिधि पांच बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. उनका कार्यकाल 1969–71, 1971–76, 1989–91, 1996–2001 और 2006–2011 के बीच था.
•    अपने 60 वर्ष के राजनीतिक करियर में करुणानिधि ने हर चुनाव में अपनी सीट पर जीत हासिल की थी. वे कभी अपनी सीट से हारे नहीं थे.

करुणानिधि का व्यक्तिगत जीवन

  • करुणानिधि ने अपने जीवन में तीन शादियां की थीं. उनकी पहली पत्नी का नाम पदमावती था जबकि उनकी दो पत्नियां दयालुअम्मल और रजति अम्मल हैं.
  • एम. के मुथु करुणानिधि के सबसे बड़े बेटे हैं. वह करुणानिधि की पहली पत्नी पदमावती से एकमात्र पुत्र हैं.
  • एम के अलागिरी, करुणानिधि की दूसरी संतान हैं. वह उनकी दूसरी पत्नी दयालुअम्मल के पहले पुत्र हैं. अलागिरी यूपीए की सरकार में केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री रहे हैं.
  • करुणानिधि और उनकी तीसरी पत्नी रजति अम्मल की बेटी का नाम कनिमोझी है. कनिमोझी वर्तमान में राज्‍यसभा सांसद भी हैं. उन्हें डीएमके की राजनीति की धुरी भी माना जाता है.

करुणानिधि से जुड़े विवाद
करुणानिधि पर सरकारिया कमीशन द्वारा वीरानम परियोजना के लिए निविदाएं आवंटित करने में भष्टाचार का आरोप लगाया गया. वर्ष 2001 में करुणानिधि, पूर्व मुख्य सचिव के. ए. नाम्बियार और अन्य कई लोगों के एक समूह को चेन्नई में फ्लाईओवर बनाने में भष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया. उन पर कई आरोप लगाए गए लेकिन उनके और उनके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला तथा उन्हें बरी कर दिया गया.

द्रविड़ आंदोलन क्या है?

वर्ष 1937 में मद्रास प्रेसीडेंसी में सी राजगोपालाचारी के नेतृत्व में बनी इंडियन नेशनल कांग्रेस की पहली सरकार ने स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य कर दिया था. इस कदम का विभिन्न स्थानों पर भारी विरोध किया गया था. इसका विरोध करने वालों में सबसे पहले ईवी रामासामी, जिन्हें पेरियार के नाम से भी जाना जाता है, का नाम प्रमुखता से लिया जाता है. साथ ही जस्टिस पार्टी (बाद में द्रविड़ कड़गम से प्रसिद्ध) ने भी तीखा विरोध किया था. द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) इसी द्रविड़ कड़गम से अलग होकर बनी पार्टी है, जिसने 1965 में हिंदी विरोधी आंदोलन का नेतृत्व किया था तथा एम करुणानिधि इसके नेता थे. एम करुणानिधि अपने निधन तक डीएमके प्रमुख रहे थे.

दिल्ली के लिए अलग लोक सेवा आयोग बनेगा, विधेयक पारित

दिल्ली विधानसभा के पांच दिवसीय मानसून सत्र के पहले दिन 06 अगस्त 2018 को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए पृथक लोक सेवा आयोग के गठन हेतु विधेयक पारित किया गया. आम आदमी पार्टी (आप) विधायक सौरभ भारद्वाज ने विधानसभा में यह विधेयक पेश किया.
पारित किये गये विधेयक में कहा गया है कि दिल्ली विधानसभा का स्पष्ट मत है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए अलग से लोक सेवा आयोग होना चाहिए. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की सरकार इस आयोग के गठन की प्रक्रिया को छह सप्ताह के पूरा करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगी. दिल्ली विधानसभा का पांच दिवसीय मानसून सत्र 10 अगस्त तक चलेगा.

राज्यों में लोक सेवा आयोग

भारत सरकार अधिनियम, 1935 द्वारा प्रांतीय स्तर पर लोक सेवा आयोग की स्थापना की गई है. इसे राज्य लोक सेवा आयोग के रूप में जाना जाता है. स्वायत्त निकायों के रूप में इसे भारत के संविधान ने संवैधानिक दर्जा दिया है.

एक राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC) में एक अध्यक्ष और राज्य के राज्यपाल द्वारा नियुक्त किए गए अन्य सदस्य शामिल होते हैं. नियुक्त सदस्यों में से आधे सदस्यों को भारत सरकार के अधीन या किसी राज्य की सरकार के तहत कार्यालय में कम से कम दस वर्ष के लिए कार्यरत होना चाहिए. राज्यपाल के पास सदस्यों की संख्या के साथ साथ आयोग के कर्मचारियों और उनकी सेवा की शर्तों को निर्धारित करने का अधिकार होता है.

राज्य लोक सेवा आयोग के कार्य
•    यह राज्य की सेवाओं में नियुक्तियों के लिए परीक्षाएं आयोजित करता है.
•    नीचे दिये गए मामलों पर राज्य लोक सेवा आयोग के साथ विचार-विमर्श किया जाता है:
a. सिविल सेवाओं व सिविल पदों की भर्ती की प्रक्रियाओं से संबन्धित सभी मामले.
b. सिविल सेवाओं और पदों के लिए नियुक्तियों और एक सेवा से दूसरे में पदोन्नतियों व स्थानांतरण और इस तरह की नियुक्तियों, पदोन्नति या स्थानांतरण के लिए उम्मीदवारों के चयन के लिए नियमों का पालन करना.
c. एक नागरिक की हैसियत से भारत सरकार के अधीन सेवारत व्यक्ति को प्रभावित करने वाले सभी अनुशासनात्मक मामले जिसमें इन मामलों से संबन्धित स्मृति पत्र या याचिकाएं शामिल हों.
d. अपने आधिकारिक कर्तव्य के निष्पादन में या किए गए कार्यों के खिलाफ किए गए कानूनी कार्यवाही के बचाव में एक सिविल सेवक द्वारा किए गए किसी भी प्रकार के खर्च पर दावा करना.
e. भारत सरकार के अधीन सेवारत व्यक्ति घायल होने पर पेंशन के हक़ के लिए दावा कर सकता है और किसी भी हक़ के लिए राशि से संबन्धित कोई भी प्रश्न कर सकता है.



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