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Article : Current Affairs 8 August 2018.
Updated at : Thu, 09 August, 2018 , 11:39:33 AM ( IST )
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अर्थशास्त्री स्वामीनाथन गुरुमूर्ति आरबीआई बोर्ड में शामिल किये गये


भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने अर्थशास्त्री स्वामीनाथन गुरुमूर्ति को बोर्ड में शामिल किया है. उनकी इस नियुक्ति को 07 अगस्त 2018 को कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने मंजूरी प्रदान की.
इसके बाद अब स्वामीनाथन आगामी चार वर्षों तक गैर आधिकारिक निदेशक के पद पर रहेंगे. चार्टड अकाउंटेंट होने के अलावा वे स्वदेशी जागरण मंच से जुड़े हैं. उनके अलावा सतीश मराठे को भी इस बोर्ड में स्थान मिला है. वे को-ऑपरेटिव सेक्टर में कार्य करते आए हैं.
स्वामीनाथन गुरुमूर्ति के बारे में
•    स्वामीनाथन प्रसिद्ध सीए और अर्थशास्त्री हैं. वे स्वदेशी जागरण मंच के सह-संयोजक भी हैं. 
•    कीर्ति चिदंबरम और एयरसेल मैक्सिस केस का खुलासा करने में भी इनकी अहम भूमिका थी. 
•    तमिलनाडु में इन्होने ही ओ पन्नीुरसेल्वंम और ई पलानीस्वारमी के धड़ों के बीच बातचीत कराई थी.
भारतीय रिज़र्व बैंक बोर्ड
रिज़र्व बैंक का कामकाज केन्द्रीय निदेशक बोर्ड द्वारा शासित होता है. भारतीय रिज़र्व अधिनियम के अनुसार इस बोर्ड की नियुक्ति भारत सरकार द्वारा की जाती है. यह नियुक्ति चार वर्षों के लिये होती है. इसका स्वरुप इस प्रकार होता है:
1. केंद्रीय निदेशक बोर्ड

•    सरकारी निदेशक
-    एक पूर्णकालिक गवर्नर और अधिकतम चार उप गवर्नर
•    गैर सरकारी निदेशक
-    सरकार द्वारा नामित विभिन्न क्षेत्रों से दस निदेशक और एक सरकारी अधिकारी
-    अन्य: चार निदेशक - चार स्थानीय बोर्डों से प्रत्येक में एक

कार्य


बैंक के क्रियाकलापों की देखरेख और निदेशन.
2. स्थानीय बोर्ड
-    देश के चार क्षेत्रों - मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई और नई दिल्ली से एक-एक सदस्य
सदस्यता
-    प्रत्येक में पांच सदस्य
-    केन्द्र सरकार द्वारा नियुक्त
-    चार वर्ष की अवधि के लिये
कार्य

•    स्थानीय मामलों पर केन्द्रीय बोर्ड को सलाह देना
•    स्थानीय, सहकारी तथा धरेलू बैंकों की प्रादेशिक व आर्थिक आवश्यकताओं का प्रतिनिधित्व करना
•    केन्द्रीय बोर्ड द्वारा समय-समय सौंपे गये ऐसे अन्य कार्यों का निष्पादन करना
कैबिनेट नियुक्ति समिति
कैबिनेट नियुक्ति समिति (एसीसी) भारत सरकार के अधीन नियुक्त किये जाने वाले विभिन्न उच्च पदों पर भर्तियां करती है. इस समिति में प्रधानमंत्री (चेयरमैन) एवं गृह मंत्री मुख्य रूप से शामिल होते हैं. यह समिति मंत्रिमंडल सचिवालय भारत सरकार (कार्यकरण) नियमावली, 1961 तथा भारत सरकार (कार्य - आबंटन) नियमावली, 1961 के प्रबंधन के लिए उत्तरदायी है. भारत सरकार की उच्च पदों पर होने वाली सभी नियुक्तियां कैबिनेट नियुक्ति समिति द्वारा की जाती हैं.

चीन द्वारा 16 बिलियन डॉलर के अमेरिकी उत्पादों पर 25% शुल्क लगाने की घोषणा


प्रतीकात्मक फोटो

चीन ने लगभग 16 बिलियन डॉलर के अमेरिकी उत्पादों पर 08 अगस्त 2018 को जवाबी उत्पाद शुल्क लगा दिया है. इससे विश्व की दो शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं का व्यापार युद्ध (ट्रेड वॉर) और अधिक गहराने की आशंका है.
चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार नये शुल्क 23 अगस्त से प्रभावी होंगे. दोनों देशों के बीच ट्रेड वॉर के चलते ग्लोबल ग्रोथ पर असर पड़ने की आशंका जताई जा रही थी, लेकिन चीन की ग्रोथ पर इसका कोई असर नहीं पड़ा है बल्कि इसमें बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

ट्रेड वॉर क्या है?

जब दो या उससे ज्यादा देश बदले की भावना से एक-दूसरे के लिए व्यापार में अड़चनें पैदा करते हैं तो उसे ट्रेड वॉर यानी व्यापार युद्ध कहा जाता है. इसके लिए एक देश दूसरे देश से आने वाले समान पर टैरिफ या टैक्स लगा देता है या उसे बढ़ा देता है. इससे आयात होने वाली चीजों की कीमत बढ़ जाती हैं, जिससे वे घरेलू बाजार में प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाती. इससे उनकी बिक्री घट जाती है. अमेरिका और चीन के बीच यही चीज देखी जा रही है.

पृष्ठभूमि
इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने कहा था कि वह चीन के 16 अरब डॉलर के अतिरिक्त आयात पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. ट्रंप प्रशासन के इस फैसले के बाद चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने आधिकारिक बयान जारी कर कहा है कि अमेरिका का कदम अव्यवहारिक है और हमारे पास उसके ही अंदाज में जवाब देने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा है.
भारत पर प्रभाव
चीन पर अमेरिका द्वारा लगाए गये इस आयात शुल्क का भारत पर सीधा असर नहीं पड़ेगा क्योंकि भारत की स्टील कम्पनियों के कुल निर्यात में अमेरिका की भागीदारी केवल दो प्रतिशत ही है. भारत सरकार ने स्टील उत्पादों के लिए जो न्यूनतम आयात शुल्क (एमआईपी) तय किए थे, वे मार्केट प्राइस से काफी कम हैं.

महाराष्ट्र सरकार ने ओबीसी समुदाय को 500 करोड़ रुपये की विशेष सहायता राशि देने की घोषणा की


महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय के लोगों को 500 करोड़ रुपये की विशेष सहायता राशि दिए जाने की घोषणा की है.
महाराष्ट्र सरकार के इस कदम से, राज्य सरकार ने नौकरियों में ओबीसी कोटा बनाए रखने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की है और उस रिपोर्ट को खारिज कर दिया है जिसमें कहा गया था कि आरक्षण उद्देश्य के लिए मराठा समुदाय को ओबीसी श्रेणी में शामिल किया जा सकता है.
यह घोषणा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस द्वारा राष्ट्रीय ओबीसी परिषद के तीसरे सम्मेलन को संबोधित करते हुए की गई.
घोषणा के मुख्य तथ्य

•    ओबीसी समुदाय को विशेष सहायता दिए जाने के पीछे मुख्य उद्देश्य ओबीसी समुदाय के युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों को विकसित करने में मदद करना है.
•    इसके अलावा, राज्य सरकार नौकरियों में ओबीसी को दिए गए प्रतिनिधित्व की सीमा का आकलन करने और समय-समय पर बैकलॉग की पूर्ति करने के लिए कदम उठाने की योजना बना रही है.
•    राज्य सरकार ने 19 जिलों में ओबीसी समुदाय के छात्रों के लिए होस्टल बनाये जाने की योजना का खाका भी तैयार कर लिया है.
•    महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र सरकार को यह सिफारिश की है कि भारत का सर्वश्रेष्ठ नागरिक सम्मान, भारत रत्न, 19वीं सदी के समाज सुधारक ज्योतिबा फुले एवं उनकी पत्नी एवं महिला साक्षरता की पुरजोर समर्थक सावित्रीबाई फुले को दिया जाना चाहिए.
पृष्ठभूमि
महाराष्ट्र की कुल आबादी का 52 प्रतिशत ओबीसी समुदाय से सम्बंधित है. जहां तक आरक्षण की बात है तो राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 17 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है.
दूसरी ओर, राजनीतिक कारणों से प्रेरित मराठा समुदाय के लोगों ने राज्य में हाल ही में आरक्षण की मांग करते हुए आंदोलन किया था. महाराष्ट्र में कुल आबादी का 30 प्रतिशत मराठा समुदाय है. मराठा समुदाय के लोग शिक्षा एवं नौकरियों में 16 प्रतिशत आरक्षण की मांग कर रहे हैं.



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