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Article : Current Affairs 9 August 2018.
Updated at : Fri, 10 August, 2018 , 07:59:53 AM ( IST )
  1.   

दिल्ली हाई कोर्ट ने भीख मांगने को अब अपराध की श्रेणी से बाहर किया


दिल्ली हाई कोर्ट

दिल्ली हाई कोर्ट ने 08 अगस्त 2018 को राष्ट्रीय राजधानी में भीख मांगने को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया है.

हाई कोर्ट ने कहा कि इस काम के लिए लोगों को दंडित करने के प्रावधान असंवैधानिक हैं और इसे रद्द किया जाना चाहिए. हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि भीख मांगना अब अपराध नहीं होगा.

हाईकोर्ट की कार्यकारी चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सी हरि शंकर की पीठ ने मामले की सुनवाई की.

दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले से संबंधित मुख्य तथ्य:

  • दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि इस मामले के सामाजिक और आर्थिक पहलू पर अनुभव आधारित विचार करने के बाद दिल्ली सरकार भीख के लिए मजबूर करने वाले गिरोहों पर काबू के लिए वैकल्पिक कानून लाने को स्वतंत्र है.
  • कोर्ट ने अपने फैसले में सख्त टिप्पणी करते हुए यह भी कहा कि यदि कोई सुनियोजित ढंग से भिखारियों का गैंग या रैकेट चलाता है तो उस पर कार्रवाई की जाना चाहिए.
  • हाईकोर्ट ने कहा कि इस फैसले का अपरिहार्य नतीजा यह होगा कि इस अपराध के कथित आरोपी के खिलाफ मुंबई के भीख मांगना रोकथाम कानून के तहत लंबित मुकदमा रद किया जा सकेगा.
  • कोर्ट ने 16 मई को पूछा था कि ऐसे देश में भीख मांगना अपराध कैसे हो सकता है जहां सरकार भोजन या नौकरियां प्रदान करने में असमर्थ है.
  • कोर्ट ने कहा कि किसी भी भूखे व्यक्ति को‘’राइट टू स्पीच‘’के तहत रोटी मांगने का अधिकार है.
 

    पहले कठोर सजा का प्रावधान:

    पहले भीख मांगते हुए अगर कोई भी शख्स पकड़ा जाता था तो उसे 1 से 3 साल की सजा का प्रावधान था, जो अब खत्म कर दी गई है. भिखारी के दूसरी बार पकड़े जाने पर उसको 10 साल तक की सजा का प्रावधान था.

    पृष्ठभूमि:

    हर्ष मंदर और कर्णिका साहनी की ओर से अदालत में यह जनहित याचिका दायर की गई थी और अदालत से मांग की थी कि भीख मांगने को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के अलावा राष्ट्रीय राजधानी में भिखारियों को आधारभूत मानवीय और मौलिक अधिकार दिए जाएं.केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार ने अक्टूबर 2016 में दिल्ली हाई कोर्ट में कहा था सामाजिक न्याय मंत्रालय भीख मांगने को अपराध की श्रेणी के बाहर करने और उनके पुनर्वास को लेकर मसौदा तैयार कर रही है.

    सेबी को टेलीफोन वार्ता टैपिंग का अधिकार दिए जाने की सिफारिश


    सेबी

    सेबी (SEBI) द्वारा गठित एक समिति ने इस बाजार विनियामक निकाय के कामकाज को धारदार बनाने के लिए कई अहम सिफारिशें की हैं.

    विश्वनाथन समिति ने कहा है कि सेबी को जांच में सहायता के लिए कॉल सुनने का अधिकार मांगना चाहिए और कंपनियों में धोखाधड़ी एवं अन्य नियमों के उल्लंघनों का भांडाफोड़ करने वाले कर्मचारियों की दंड से रक्षा की जानी चाहिए.

    पूर्व विधि सचिव तथा लोकसभा पूर्व महासचिव टी के विश्वनाथन की अध्यक्षता वाली समिति ने बाजार धोखाधड़ी, भेदिया कारोबार, निगरानी तथा जांच से जुड़े नियमों में कई बदलाव सुझाए हैं. साथ ही सूचीबद्ध कंपनियों में व्हीसल ब्लोअर नीति (आंतरिक भेदी नीती) अनिवार्य किए जाने की सिफारिश की है.

    मुख्य तथ्य:

    • समिति ने कंपनी की कीमत से जुड़ी संवेदशील सूचनाएं रखने वाले अधिकारियों /कर्मचारियों साथ एक ही पते पर रहने वाले नजीदीकी संबंधियों की सूची रखने का सुझाव दिया है.
    • भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) तथा अन्य एजेंसियों द्वारा कई प्रमुख मामलों की जांच के मद्देनजर कई सिफारिशें काफी महत्वपूर्ण हैं.
    • इसमें सूचीबद्ध कंपनियों में वरिष्ठ कार्यकारियों के रिश्तेदार तथा विभिन्न कर्मचारी भी जांच के घेरे में आएंगे.
    • इन मामलों में आईसीआईसीआई बैंक, वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज के साथ एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक तथा टाटा मोटर्स से संबंधित प्रकरण शामिल हैं.
    • इन मामलों में संवेनशील वित्तीय जानकारी उनकी घोषणा से पहले ही कथित रूप से व्हाट्स एप पर सार्वजनिक हो गई.
    • सेबी ने समिति की सिफारिशों पर लोगों से 24 अगस्त 2018 तक प्रतिक्रिया देने को कहा है.

    बातचीत सुनने का अधिकार:

    समिति ने अपनी सिफारिश में कहा कि सेबी जांच को धारदार बनाने के लिए टेलीफोन पर बातचीत सुनने का अधिकार की मांग कर सकता है. हालांकि इस शक्ति के उपयोग के लिए सभी जरूरी एहतियात बतरने की जरूरत है. फिलहाल सेबी के पास कॉल डेटा रिकार्ड मांगने का अधिकार है, लेकिन उसके पास बातचीत सुनने का अधिकार नहीं है.

                        समिति का गठन:

    बाजार के दुरुपयोग को राकने और प्रतिभूति बाजार में निष्पक्ष लेन-देन सुनिश्चित करने के लिए समिति का गठन अगस्त 2017 में किया गया.

    समिति में विधि कंपनियों, फोरेंसिक आडिट कंपनियां, शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड, ब्रोकर,  उद्योग मंडल, डेटा विश्लेषण और सेबी के प्रतिनिधि शामिल हैं.

    भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी):

    भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) भारत में प्रतिभूति और वित्त का नियामक बोर्ड है. इसकी स्थापना सेबी अधिनियम 1992 के तहत 12 अप्रैल 1992 में हुई. सेबी का मुख्यालय मुंबई में हैं और क्रमश: नई दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और अहमदाबाद में क्षेत्रीय कार्यालय हैं.सेबी के अस्तित्व में आने से पहले पूंजी निर्गम नियंत्रक नियामक प्राधिकरण था, जिसे पूंजी मुद्दे (नियंत्रण) अधिनियम, 1947 के अंतर्गत अधिकार प्राप्त थे. सेबी का प्रमुख उद्देश्य भारतीय स्टाक निवेशकों के हितों का उत्तम संरक्षण प्रदान करना और प्रतिभूति बाजार के विकास तथा नियमन को प्रवर्तित करना है

    रेलवे ने परीक्षा के लिए 11 विशेष ट्रेनों की घोषणा की


    रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी) की परीक्षा को देखते हुए रेलवे ने 8 अगस्त 2018 को कई स्पेशल ट्रेनें चलाने का फैसला किया है. करीब 48 लाख उम्मीदवार बुधवार को सहायक लोको पायलटों और तकनीशियनों की 66,502 रिक्तियों के लिए कंप्यूटर आधारित परीक्षा के पहले सेट में हिस्सा लेंगे.

    रेलवे के इस कदम से ऐसे हजारों उम्मीदवारों को राहत मिलेगी, जिनके सेंटर दूर पड़े हैं. रेलवे परीक्षा के लिए रेल प्रशासन ने आरआरबी 'स्पेशल ट्रेन' चलाने का निर्णय लिया है. यात्रियों की भीड़ से निपटने के लिए रेलवे पटना और इंदौर, दानापुर और सिकंदराबाद, दरभंगा एवं सिकंदराबाद के बीच परीक्षा विशेष ट्रेनें चलाएगा. वर्तमान घोषणा के साथ, आरआरबी परीक्षा 2018 के लिए घोषित ट्रेनों की कुल संख्या 11 तक पहुंच गई.

    मुख्य तथ्य:

    • ये ट्रेनें पटना-इंदौर, दानापुर-सिकंदराबाद, दरबंगा-सिकंदराबाद, मुजफ्फरपुर-सिकंदराबाद, मुजफ्फरपुर-भुवनेशवर, बरौनी- सिकंदराबाद, दरबंगा-भुवनेशवर, दानापुर-सिकंदराबाद-पटना के बीच चलाई जा रही हैं.
    • स्पेशल ट्रेन अपने मार्ग में आरा, बक्सर, पंडित दीनदयाल उपाध्याय (पहले मुगलसराय), वाराणसी, सुल्तानपुर, लखनऊ, कानपुर, झांसी, संत हर्दरामनगर और उज्जैन स्टेशनों पर रुकेगी.
    • छपरा-आनंद विहार टर्मिनल विशेष गाड़ी छपरा जंक्शन रेलवे स्टेशन से 08 अगस्त 2018 को और आनंद विहार टर्मिनल-छपरा विशेष गाड़ी आनंद विहार टर्मिनल से 09 अगस्त 2018 को चलाई जाएंगी.
    • सिकंदराबाद दानापुर ट्रेन 09 अगस्त 2018 को सिकंदराबाद से चलकर अगले दिन दानापुर पहुंचेगी. रास्ते में ये ट्रेनें आरा, बक्सर, पंडित दीनदयाल उपाध्याय, इलाहाबाद, चेक्यो, सतना, कटनी, जबलपुर, इटारसी, नागपुर और बल्हारहर्ष पर रुकेगी.
    • विभिन्न चरण में यह परीक्षा 31 अगस्त तक होगी. दस अगस्त के बाद 13, 14, 17, 20, 21, 29, 30 और 31 अगस्त को परीक्षा होगी.
    • सहायक लोको पायलट (एएलपी) और तकनीशियन के 66,502 पदों के लिए कंप्यूटर आधारित परीक्षा में तकरीबन 48 लाख परीक्षार्थी बैठेंगे.
    • इसी तरह दरभंगा सिकंदराबाद परीक्षा विशेष ट्रेन चलायी जाएगी.

    ट्रेन विवरण:

    • 05289 मुजफ्फरपुर-सिकंदराबाद विशेष ट्रेन 08 अगस्त को मुजफ्फरपुर से रवाना हुई और यह 10 अगस्त को सिकंदराबाद पहुंचेगी.
    • वापसी में 05290 सिकंदराबाद-मुजफ्फरपुर ट्रेन 10 अगस्त को रात नौ बजे सिकंदराबाद से रवाना होगी और 12 अगस्त को मुजफ्फरपुर पहुंचेगी.
    • मुजफ्फरपुर और भुवनेश्वर के बीच की ट्रेन 10 अगस्त को 5.25 बजे रवाना होगी और अगले दिन 6.30 बजे भुवनेश्वर पहुंचेगी.
    • दरभंगा और भुवनेश्वर के बीच की ट्रेन 11 अगस्त को 3 बजे रवाना होगी और अगले दिन 4.30 बजे भुवनेश्वर पहुंचेगी.
    • बरौनी और सिकंदराबाद के बीच की ट्रेन 10 अगस्त को 7.05 बजे रवाना होगी और अगले दिन सुबह 11.00 बजे तक पहुंच जाएगी.
    • दानापुर और सिकंदराबाद के बीच की ट्रेन 10 अगस्त को 5.10 बजे रवाना होगी और 2.30 बजे सिकंदराबाद पहुंचेगी.

    पृष्ठभूमि:

    रेलवे (Railway) के ग्रुप सी के पदों पर भर्ती परीक्षा शुरू हो गई है. ग्रुप सी (RRB Group C) के लिए नोटिफिकेशन फरवरी 2018 में जारी किया गया था. ये भर्ती 26 हजार 502 पदों पर निकाली गई थी. लेकिन रेलवे ने हाल ही में इन पदों की संख्या बढ़ाने के लिए एक नोटिस जारी किया था, और पदों की संख्या बढ़ाकर 66,502 किया गया था.आरआरबी परीक्षा देश के कई राज्यों के शहरों में आयोजित की गई है. देशभर में परीक्षा के लिए विभिन्न केंद्र बनाए गए है. परीक्षा के लिए आरआरबी  एडमिट कार्ड (RRB Admit Card) 5 जुलाई को जारी किया गया था.

    संसद में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन विधेयक, 2018 पारित

    संसद में 09 अगस्त 2018 को अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन विधेयक, 2018 पारित हो गया.

    लोकसभा में 6 अगस्‍त 2018 को अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन विधेयक पारित हुआ था.

    प्राथमिकी दर्ज करने से पहले आरंभिक जांच कराने की जरूरत को समाप्‍त करने अथवा किसी आरोपी को गिरफ्तार करने से पहले किसी अधिकारी से मंजूरी लेने और अधिनियम की धारा 18 के प्रावधानों को बहाल करने के लिए धारा 18ए को इसमें शामिल किया गया है.

    अधिनियम में शामिल की गई धारा 18ए:

    पीओए अधिनियम के प्रयोजन के लिए: किसी भी व्‍यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने से पहले आरंभिक जांच कराने की जरूरत नहीं होगी.

    किसी भी ऐसे व्‍यक्ति की गिरफ्तारी के लिए, यदि आवश्‍यक हो, जांच अधिकारी को मंजूरी लेने की आवश्‍यकता नहीं होगी, जिसके खिलाफ पीओए अधिनियम के तहत कोई अपराध करने का आरोप लगाया गया है और पीओए अधिनियम अथवा फौजदारी प्रक्रिया संहिता, 1973 के तहत उल्लिखित प्रक्रिया के अलावा कोई और प्रक्रिया लागू नहीं होगी.

    किसी भी अदालत का चाहे कोई भी फैसला अथवा ऑर्डर या निर्देश हो, लेकिन संहिता की धारा 438 का प्रावधान इस अधिनियम के तहत किसी मामले पर लागू नहीं होगा.

    विधेयक से संबंधित तथ्य:

    •    इस विधेयक में न सिर्फ पिछले कड़े प्रावधानों को वापस जोड़ा गया है बल्कि और ज्यादा सख्त नियमों को भी इसमें सम्मिलित किया गया है.

    •    सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी, लेकिन न्याय मिलने में देरी ना हो इसलिए विधेयक के जरिए कानून में बदलाव किया जा रहा है.

    •    अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के खिलाफ होनेवाले अत्याचारों को रोकने के लिए बना कानून पहले की तरह ही सख्त रहेगा.

    •    इस विधेयक के जरिए न सिर्फ इस मामले में पहले से बना कानून बहाल होगा बल्कि इसे और सख्त बनाया जा सकेगा.

    •    जिस व्यक्ति पर एससी-एसटी कानून का अभियोग लगा हो तो उस पर कोई और प्रक्रिया कानून लागू नहीं होगा.

    •    इस विधेयक के कानून बनने के बाद दलितों पर अत्याचार के मामले दर्ज करने से पहले पुलिस को किसी की अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी और मुजरिम को अग्रिम जमानत भी नहीं मिलेगी.

    •    प्राथमिकी दर्ज करने से पहले पुलिस जांच की भी जरूरत नहीं होगी और पुलिस को सूचना मिलने पर तुरंत प्राथमिकी दर्ज करनी पड़ेगी.

    •    किसी व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर रजिस्टर करने के लिए प्रारंभिक जांच की जरूरत नहीं होगी.

    •    ऐसे व्यक्ति की गिरफ्तारी से पहले जांच अधिकारी को किसी अनुमोदन की जरूरत नहीं होगी.

    पृष्ठभूमि:

    सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च 2018 को एससी/एसटी अत्याचार निवारण कानून के कुछ सख्त प्रावधानों को हटा दिया था जिसके कारण इससे जुड़े मामलों में तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लग गयी थी और प्राथमिकी दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच जरूरी हो गयी थी.दलित संगठनों ने सरकार से कानून को फिर से बहाल करने की मांग की थी, जिसके बाद सरकार ये कानून लेकर आई है. इस कानून में जो बदलाव किए गए हैं उसके अनुसार पहले एससी-एसटी कानून के दायरे में 22 श्रेणी के अपराध आते थे, लेकिन अब इसमें 25 अन्य अपराधों को शामिल करके कानून काफी सख्त बनाया जा रहा है.



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