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Article : Current Affairs20 August 2018.
Updated at : Tue, 21 August, 2018 , 07:22:42 AM ( IST )
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जेईई में सुधार हेतु सरकार ने भास्कर राममूर्ती समिति का प्रस्ताव रखा


केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने जेईई (एडवांस्ड) में सुधार के लिए पांच सदस्यीय समिति के गठन का प्रस्ताव प्रस्तुत किया. इस समिति का नेतृत्व आईआईटी मद्रास के निदेशक भास्कर राममूर्ती द्वारा किया जायेगा.
समिति के कार्य
•    इस समिति को एक मज़बूत व वैज्ञानिक एंट्रेंस एग्जाम सिस्टम विकसित करने का कार्य सौंपा गया है.
•    इस नए एंट्रेंस सिस्टम से छात्रों की क्षमता का पता भी लगना चाहिए तथा इससे कोचिंग संस्थानों पर उनकी निर्भरता भी कम होनी चाहिए.
•    इस समिति के अन्य सदस्य अभय करान्दिकर (आईआईटी कानपूर के निदेशक), विनीत जोशी (नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के महानिदेशक) व आईआईटी बॉम्बे के प्रोफेसर कन्नक मौद्गाल्या हैं.
पृष्ठभूमि
2018 जेईई (एडवांस्ड) की मेरिट लिस्ट में केवल 18,138 उम्मीदवार ही थे, यह कुल सीटों का 1.6 गुना ही था. 2012 के बाद यह उम्मीदवारों की सबसे कम संख्या थी. नियम के अनुसार मेरिट लिस्ट में कुल सीटों से दुगने उम्मीदवार होने चाहिए. इस परिस्थिति को देखते हुए केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने आईआईटी कानपूर (इस बार जेईई एडवांस्ड का आयोजन आईआईटी कानपुर द्वारा किया गया) को नियम के मुताबिक मेरिट लिस्ट में कुल सीटों से दुगने उम्मीदवार शामिल करने का निर्देश दिया. इसके बाद आईआईटी कानपुर ने मेरिट लिस्ट में 13,842 अन्य उम्मीदवारों को शामिल किया था.

राज्यसभा चुनावों में NOTA का इस्तेमाल नहीं होगा: सुप्रीम कोर्ट


सुप्रीम कोर्ट ने 21 अगस्त 2018 को एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि राज्यसभा चुनावों में नोटा (NOTA)  का उपयोग नहीं किया जायेगा. 
सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला गुजरात कांग्रेस के चीफ व्हिप शैलेश मनुभाई परमार की याचिका पर सुनाया है. इस मामले की सुनवाई के दौरान कांग्रेस के साथ एनडीए ने भी राज्यसभा चुनाव में नोटा का विरोध किया था.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
•    सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि राज्यसभा चुनाव में नोटा का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. 
•    कोर्ट का मानना है कि नोटा को केवल प्रत्यक्ष चुनाव में ही लागू किया जाना चाहिए.
•    सुप्रीम कोर्ट के अनुसार राज्यसभा चुनावों में नोटा के प्रयोग की अनुमति नहीं है. 
•    गुजरात कांग्रेस नेता शैलेष मनुभाई परमार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोटा को प्रकाश में लाने वाला 2013 का फैसला राज्यपसभा चुनावों पर लागू नहीं होता है.
•    सुप्रीम कोर्ट ने 30 जुलाई को गुजरात कांग्रेस की याचिका पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था.
•    नोटा का इस्तेमाल वहीं इस्तेमाल होगा जहां प्रतिनिधि जनता के द्वारा सीधे चुने जाते हैं लेकिन राज्यसभा में इसका इस्तेमाल नहीं हो सकता क्योंकि यहां प्रतिनिधि प्रत्यक्ष तौर पर नही चुने जाते.

नोटा क्या है?

नोटा का शाब्दिक अर्थ है, नन ऑफ़ द अबव अर्थात् उपरोक्त में से कोई नहीं. यदि मतदाता किसी भी प्रत्याशी को वोट नहीं देना चाहता तो वह नोटा का बटन दबा सकता है. भारत में नोटा पहली बार सुप्रीम कोर्ट के 2013 में दिये गए एक आदेश के बाद शुरू हुआ.  

पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़ बनाम भारत सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि जनता को मतदान के लिये नोटा का भी विकल्प उपलब्ध कराया जाना चाहिए. इस आदेश के बाद भारत नकारात्मक मतदान का विकल्प उपलब्ध कराने वाला विश्व का 14वाँ देश बन गया.

पृष्ठभूमि
वर्ष 2013 के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जिस प्रकार प्रत्येक मतदाता को वोट डालने का अधिकार है उसी तरह उसे किसी को भी वोट ना देने का अधिकार भी है. सुप्रीम कोर्ट का आदेश सभी चुनावों को लेकर है.
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के इसी फैसले का पालन करते हुए राज्यसभा चुनाव में NOTA का इस्तेमाल करना शुरू किया था. यदि वे राज्यसभा चुनाव में NOTA का इस्तेमाल शुरू नहीं करता तो यह अदालती आदेश की अवहेलना और अदालत की अवमानना का मामला बन सकता था.

उत्तरी भारत के राज्यों ने नशाखोरी के खिलाफ संयुक्त सचिवालय बनाने का निर्णय लिया


उत्तरी भारत के मुख्यमंत्रियों की संयुक्त बैठक में 20 अगस्त 2018 को निर्णय लिया गया कि वे नशाखोरी एवं तस्करी के कारण राज्यों में हो रही समस्याओं से निपटने के लिए एक संयुक्त सचिवालय का निर्माण करेंगे.
इस संबंध में हरियाणा स्थित पंचकूला में एक संयुक्त सचिवालय स्थापित किया जाएगा, जहां ये राज्य आपस में ड्रग्स से जुड़े आंकड़े एवं जानकारियां साझा करेंगे एवं अगले कदम उठाएंगे.

संयुक्त वक्तव्य

बैठक के दौरान सभी राज्यों की तरफ से नशे के खिलाफ एक संयुक्त बयान जारी किया गया. इसमें मिलकर नशे के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए कदम उठाने की बात कही गई. इस दौरान पंचकूला में संयुक्त सचिवालय बनाने का फैसला हुआ और यहां संबंधित राज्यों के नोडल अधिकारी तैनात किये जायेंगे.

बैठक के मुख्य बिंदु
•    बैठक में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हिस्सा लिया. 
•    दिल्ली, राजस्थान और चंडीगढ़ की ओर से गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक लेवल के अधिकारी भी आए. 
•    इस दौरान आपस में सटे इन राज्यों के बीच नशे की तस्करी और इससे तबाह हो रही युवा शक्ति के मुद्दे पर बातचीत की गई.
•    बैठक में उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली के मुख्यमंत्रियों के नाम भी प्रस्तावित थे लेकिन उनके प्रतिनिधि के तौर पर वहां के अधिकारी भी मौजूद रहे.
नशाखोरी के खिलाफ संयुक्त सचिवालय
•    बैठक में लिए गये निर्णय के अनुसार नशे से प्रभावित सभी राज्यों का साझा सचिवालय पंचकूला में बनेगा. 
•    इस सचिवालय में हर राज्य अपना नोडल अधिकारी नियुक्त करेगा. 
•    इसके अलावा हर छह महीने में नशा प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्री बैठक करेंगे तथा नशे के खिलाफ उठाए कदमों की समीक्षा करेंगे. 
•    हर तीन महीने में सभी राज्यों के शीर्ष स्तर के अफसर बैठक कर पूरे अभियान की मानीटरिंग करेंगे, जबकि अंतरराज्यीय सीमा से सटे जिलों के उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक नियमित अंतराल पर बैठकें करके नशे का नेटवर्क समाप्त करने की रणनीति साझा करेंगे.

 



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