एशियाई ओलंपिक परिषद (ओसीए) ने भारत के पारंपरिक खेल खो-खो को मान्यता प्रदान की है. खो-खो को मान्यता देने का फैसला ओसीए की आम सभा में लिया गया.
इस निर्णय से खो-खो को एशियन इंडोर गेम्स में प्रदर्शनी खेल के तौर पर शामिल किया जाएगा. सूत्रों का कहना है कि इससे खो खो का अगले एशियाई खेलों में शामिल होने की संभावना बढ़ गई है.
इस अवसर पर केंद्रीय खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कहा कि यह शानदार है कि खो-खो को मान्यता मिल गई है. इससे वैश्विक स्तर पर भारत का दबदबा बढ़ेगा. इससे अब यह देसी खेल एशियाई देशों में भी खेला जाने लगेगा और जल्द ही पूरी दुनिया में लोकप्रिय होगा.
एशियाई ओलम्पिक परिषद
एशियाई ओलम्पिक परिषद एशिया में खेलों की सर्वोच्च संस्था है और एशिया के 45 देशों की राष्ट्रीय ओलम्पिक समितियां इसकी सदस्य हैं. इसके वर्तमान अध्यक्ष शेख फहद अल-सबा हैं. परिषद के अन्दर सबसे पुरानी राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति जापान की है जिसे अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति की मान्यता 1912 में मिली थी, जबकि पूर्वी तिमोर की राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति सबसे नई है, जो 2003 में इसकी सदस्य बनी. इसका मुख्यालय कुवैत में स्थित है.
खो-खो खेल के बारे में जानकारी
खो-खो मैदानी खेलों के सबसे प्राचीनतम रूपों में से एक है जिसका आरंभ प्रागैतिहासिक भारत में माना जाता है. मुख्य रूप से आत्मरक्षा, आक्रमण व प्रत्याक्रमण के कौशल को विकसित करने के लिए इसकी खोज हुई थी. ऐसी मान्यता है कि इस खेल की उत्पत्ति महाराष्ट्र में हुई.
सन् 1914 में डेकन जिमखाना पूना द्वारा इस खेल मे प्रारम्भिक नियमों का प्रतिपादन किया गया था. महाराष्ट्र फ़िज़िकल एजुकेशन समिति द्वारा इस खेल से संबंधित साहित्य को क्रमशः को सन् 1935, 1938, 1943 एवं 1949 में विभिन्न चरणों में प्रकाशित कराकर प्रसारित किया गया. सन् 1960 में विजयवाड़ा में प्रथम राष्ट्रीय खो-खो चैंपियनशिप का आयोजन किया गया.
भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी सौरभ वर्मा ने 29 जुलाई 2018 को रूस ओपन का खिताब अपने नाम किया. उनसे पहले महिला वर्ग में रुत्विका शिवानी ने 2016 में खिताबी जीत हासिल की थी.
विश्व नम्बर-65 सौरभ ने पुरुष एकल वर्ग के खिताबी मुकाबले में जापान के कोकी वतानाबे को मात दी. वहीं फाइनल तक का सफर तय करने वाली रोहन कपूर और कुहू गर्ग की जोड़ी को हार का सामना करना पड़ा.
मुख्य तथ्य
• सौरभ ने एक घंटे तक चले इस मुकाबले में वतानाबे को 18-21, 21-12, 21-17 से मात देकर खिताब अपने नाम किया.
• इसके साथ ही सौरभ ने भारतीय बैडमिंटन में इतिहास रच दिया और वह इस खिताबी को जीतने वाले पहले भारतीय पुरुष खिलाड़ी बन गए.
• कुहू और रोहन की जोड़ी को मिश्रित युगल वर्ग के फाइनल में दक्षिण कोरिया की मिन क्युंग किम और रूस के व्लादिमीर इवानोव की जोड़ी ने सीधे गेमों में 21-19, 21-17 से हराकर खिताब से महरूम कर दिया.
सौरभ वर्मा के बारे में जानकारी
• उनका जन्म 30 दिसंबर 1992 को हुआ. वे हैदराबाद के रहने वाले हैं.
• सौरभ वर्मा ने पहली बार वर्ष 2011 में राष्ट्रीय एकल ख़िताब जीता.
• इसके बाद उन्होंने उसी वर्ष 2011 में बहरीन अंतरराष्ट्रीय चैलेंज ख़िताब जीता.
• सौरभ वर्मा ने वर्ष 2014 में ईरान फज्र अंतरराष्ट्रीय चैलेंज खिताब तथा मलेशिया मास्टर्स ख़िताब भी जीता.
• वे रूस ओपन खिताब जीतने वाले पहले भारतीय पुरुष खिलाड़ी बने.
रूस ओपन के बारे में
रूस ओपन एक अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन प्रतियोगिता है जो वर्ष 1993 से खेली जा रही है. इससे पहले इसे यूएसएसआर इंटरनेशनल के नाम से जाना जाता था. वर्ष 2007 में इस प्रतियोगिता को बीडब्ल्यूएफ ग्रां प्री गोल्ड के नाम से जाना जाने लगा.
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 20 अगस्त 2018 को सभी तम्बाकू उत्पाद पैकेटों के लिए नई विशिष्ट स्वास्थ्य चेतावनी से संबंधित अधिसूचना जारी की है.
सिगरेट और अन्य तम्बाकू उत्पाद (पैकेजिंग और लेबलिंग) नियम, 2008 में संशोधन किया गया है. संशोधित नियम 1 सितम्बर 2018 से लागू होंगे.
स्वास्थ्य मंत्रालय का आदेश और स्वास्थ्य चेतावनी:
सुप्रीम कोर्ट का आदेश:
केंद्र सरकार ने वर्ष 2014 में तंबाकू उत्पादों के पैकेट के 85% हिस्से पर चेतावनी छापने का नियम बनाया था. इसके बाद कर्नाटक हाईकोर्ट ने तंबाकू उत्पादों के 40% हिस्से पर चेतावनी छापने का आदेश दिया था. इस फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2018 में 85% हिस्से पर वैधानिक चेतावनी जारी करने का आदेश दिया.
नासा के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-1 अंतरिक्ष यान के आंकड़ों के आधार पर चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों के सबसे अंधेरे और ठंडे स्थानों पर पानी के जमे हुए स्वरूप में यानी बर्फ की मौजूदगी होने की पुष्टि की है. भारत ने 10 साल पहले इस अंतरिक्षयान का प्रक्षेपण किया था.
नासा का मानना है कि चंद्रमा की सतह पर पर्याप्त मात्रा में बर्फ के मौजूद होने से इस बात के संकेत मिलते हैं कि आगे के अभियानों अथवा चंद्रमा पर रहने के लिए भी जल की उपलब्धता की संभावना है.
मुख्य बिंदु
• ‘पीएनएएस’ जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि बर्फ के टुकड़े इधर-उधर बिखरे हुए हैं.
• दक्षिणी ध्रुव पर अधिकतर बर्फ लूनार क्रेटर्स के पास जमी हुई है तथा उत्तरी ध्रुव की बर्फ अधिक व्यापक तौर पर फैली हुई है. वैज्ञानिकों ने नासा के मून मिनरेलॉजी मैपर (एम3) से प्राप्त आंकड़ों का इस्तेमाल कर यह दिखाया है कि चंद्रमा की सतह पर जल हिम मौजूद हैं.
• वैज्ञानिकों ने नासा के मून मिनरेलॉजी मैपर (एम3) से प्राप्त आंकड़ों का इस्तेमाल कर यह दिखाया है कि चंद्रमा की सतह पर जल हिम मौजूद हैं.
• ये जल हिम ऐसे स्थान पर पाये गए हैं, जहां चंद्रमा के घूर्णन अक्ष के थोड़ा झुके होने के कारण सूरज की रोशनी कभी नहीं पहुंच पाती.
• यहां का अधिकतम तापमान कभी माइनस 156 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं गया.
• इससे पहले के आकलनों में अप्रत्यक्ष रूप से लूनार साउथ पोल पर सतह हिम की मौजूदगी की संभावना जताई गई थी.
पृष्ठभूमि
चंद्रयान-1 भारत का पहला चंद्रमिशन था. इसने 28 अगस्त 2009 को सिग्नल भेजना बंद कर दिया था. इसरो ने इसके कुछ दिनों बाद ही आधिकारिक को रूप से इस मिशन के खत्म होने की घोषणा कर दी थी. इस मिशन को दो साल के लिए तैयार किया गया था. पहले ही साल की यात्रा में इसने 95 फीसदी लक्ष्यों को हासिल कर लिया था.