गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी द्वारा की गई घोषणा के अनुसार 9 सितंबर 2018 को कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अक्टूबर को स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (सरदार वल्लभभाई पटेल की मूर्ति) का अनावरण करेंगे.
इस स्मारक की आधारशीला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्य मंत्री रहते हुए 31 अक्तूबर, 2013 को पटेल की 138 वीं वर्षगांठ के मौके पर रखी थी. यह मूर्ति दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति बताई जा रही है.
स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी के बारे में
• यह मूर्ति दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति बताई जा रही है. इस विशालकाय प्रतिमा का निर्माण साधु बेट पर हो रहा है.
• यह स्थान केवड़िया में नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध से 3.32 किलोमीटर दूर है.
• स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के निर्माण का उत्तरदायित्व गुजरात सरकार ने अग्रणी इंजीनियरिंग कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) को दिया था.
• सरदार पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा का निर्माण 2,979 करोड़ रुपये की लागत से पूरा किया गया है.
• पूरी तरह से लोहे की बनी लौह पुरुष की इस प्रतिमा के निर्माण के लिए देश भर से किसानों-मजदूरों से एकत्रित किया गया है.
• इस विशाल प्रतिमा को बनाने में चार साल लगे हैं.
उद्देश्य |
मूर्ति का उद्देश्य भारत के स्वतंत्रता संग्राम के हर व्यक्ति का स्मरण करना है और सरदार वल्लभभाई पटेल की एकता, देशभक्ति, समावेशी विकास और सुशासन की दूरदर्शी विचारधाराओं को उजागर करेना है. यह देश की एकता और अखंडता का प्रतीक होगा; और वर्षों से भारत की भविष्य की पीढ़ियों को प्रेरित करेगा. इस परियोजना को जल परिवहन के लिए सबसे बड़े मानव प्रयासों में से एक के रूप में वर्णित किया गया है. नर्मदा नदी का पानी पहले से ही एक विस्तृत नहर और पाइपलाइन नेटवर्क के माध्यम से गुजरात के जल-कमी वाले क्षेत्रों में पहुंचाया जा रहा है. इस परियोजना से 10 लाख किसानों को लाभ होगा. |
सरदार वल्लभ भाई पटेल
• सरदार वल्लभ भाई ( 31 अक्टूबर 1875 - 15 दिसंबर 1950) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी थे.
• स्वतंत्रता पश्चात यद्यपि अधिकांश प्रान्तीय कांग्रेस समितियाँ पटेल के पक्ष में थीं लेकिन गांधी जी की इच्छा का आदर करते हुए पटेल ने प्रधानमंत्री पद की दौड़ से अपने को दूर रखा और इसके लिये नेहरू का समर्थन किया.
• इस प्रकार वे भारत की आज़ादी के बाद भारत के प्रथम गृह मंत्री और उप-प्रधानमंत्री बने.
• बारडोली सत्याग्रह का नेतृत्व कर रहे पटेल को सत्याग्रह की सफलता पर वहाँ की महिलाओं ने सरदार की उपाधि प्रदान की थी.
• आजादी के बाद विभिन्न रियासतों में बिखरे भारत के भू-राजनीतिक एकीकरण में केंद्रीय भूमिका निभाने के लिए पटेल को भारत का बिस्मार्क और लौह पुरूष भी कहा जाता है.
• वर्ष 1991 में सरदार पटेल को मरणोपरांत भारत रत्न प्रदान किया गया.
• प्रत्येक वर्ष 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है.
विश्वभर में 08 सितंबर 2018 को अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया गया. इस वर्ष का विषय था –साक्षरता और कौशल विकास (Literacy and skills development).
इसका उद्देश्य व्यक्तिगत, सामुदायिक और सामाजिक रूप से साक्षरता के महत्व पर प्रकाश डालना है. यह उत्सव दुनियाभर में मनाया जाता है. पूरी दुनिया में साक्षरता बढ़ाने के लिए इसे मनाया जाता है. आज भी विश्व में अनेक लोग निरक्षर है. इस दिवस को मनाने का मुख्य लक्ष्य विश्व में सभी लोगो को शिक्षित करना है. बच्चे, वयस्क, महिलाओं और बूढों को साक्षर बनाना ही इसका मुख्य लक्ष्य है.
क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस?
मानव विकास और समाज के लिए उनके अधिकारों को जानने और साक्षरता की ओर मानव चेतना को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है. भारत में या देश-दुनिया में गरीबी को मिटाना, बाल मृत्यु दर को कम करना, जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करना, लैंगिक समानता को प्राप्त करना आदि को जड़ से उखाड़ना बहुत जरूरी है. ये क्षमता सिर्फ साक्षरता में है जो परिवार और देश की प्रतिष्ठा को बढ़ा सकता है.
साक्षरता दिवस लगातार शिक्षा को प्राप्त करने की ओर लोगों को बढ़ावा देने हेतु और परिवार, समाज तथा देश के लिये अपनी जिम्मेदारी को समझने के लिए मनाया जाता है. इस दिवस को व्यक्ति, समाज और समुदाय के लिये साक्षरता के बड़े महत्व को ध्यान दिलाने के लिए विश्व भर में मनाना शुरु किया गया. इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिये वयस्क शिक्षा और साक्षरता की दर को ध्यान दिलाने के लिये खासतौर पर मनाया जाता है.
राष्ट्रीय साक्षरता मिशन प्राधिकरण:
राष्ट्रीय साक्षरता मिशन प्राधिकरण राष्ट्रीय स्तर की शीर्ष एजेंसी है. राष्ट्रीय साक्षरता मिशन प्राधिकरण वर्ष 1988 से अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाता है. स्वतंत्रता के बाद से निरक्षरता समाप्त करना भारत सरकार के लिए प्रमुख चिंता का विषय रहा है. अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के अवसर पर निरक्षरता समाप्त करने के लिए जन जागरुकता को बढ़ावा और प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रमों के पक्ष में वातावरण तैयार किया जाता है.
यूनेस्को द्वारा साक्षरता पुरस्कार:
इस दिवस पर यूनेस्को द्वारा अपने मुख्यालय पेरिस में अंतरराष्ट्रीय साक्षरता पुरस्कार दिए जाते हैं. इस श्रेणी में पांच पुरस्कार शामिल होते हैं. अंतरराष्ट्रीय पाठन एसोसिएशन साक्षरता पुरस्कार, नोमा साक्षरता दिवस, यूनेस्को किंग सेजोंग साक्षरता पुरस्कार, द मालकॉम एडीसेशिया अंतरराष्ट्रीय साक्षरता पुरस्कार एवं यूनेस्को कन्फ़्यूशियस साक्षरता पुरस्कार.
भारत में साक्षरता: |
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में 22 प्रतिशत लोग अनपढ़ हैं. केरल भारत का सबसे अधिक साक्षर राज्य है जिसमें 93.91 लोग शिक्षित हैं, इसके बाद लक्षद्वीप में 92.28 प्रतिशत, मिज़ोरम में 91.58 प्रतिशत, त्रिपुरा में 87.75 प्रतिशत एवं गोवा में 87.40 प्रतिशत लोग शिक्षित हैं. बिहार एवं तेलंगाना में सबसे कम लोग शिक्षित हैं, वहां क्रमशः 63.82 प्रतिशत एवं 66.50 प्रतिशत लोग शिक्षित हैं. वर्ष 2014 में भारत की साक्षरता दर में 10 प्रतिशत बढ़ोतरी दर्ज की गयी. धार्मिक आधार पर आंकड़ों के अनुसार, भारत के मुस्लिमों में सबसे अधिक 42.72 प्रतिशत लोग अशिक्षित हैं. हिन्दुओं में 36.40 प्रतिशत, सिखों में 32.49 प्रतिशत एवं बौद्ध लोगों में 28.17 प्रतिशत एवं ईसाईयों में 25.66 प्रतिशत लोग अशिक्षित हैं. जैन सबसे अधिक शिक्षित हैं, इनमें 86.73 प्रतिशत लोग शिक्षित हैं जबकि 13.57 प्रतिशत लोग अशिक्षित हैं.भारत में लगभग 61.6 प्रतिशत पुरुष एवं 38.4 प्रतिशत महिलाएं स्नातक स्तर से ऊपर पढ़े हैं. |
अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस कैसे मनाते है?
इस दिन स्कूल, कालेजों में लेखन, व्याख्यान, भाषण, कविता, खेल, निबंध, चित्रकला, गीत, गोलमेज चर्चा, सेमीनार जैसे कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. शिक्षक 'अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस' पर भाषण देते है. इस दिवस पर न्यूज चैनेल के द्वारा खबरों का प्रसारण और प्रेस कांफेरेंस किया जाता है. टीवी पर अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस से जुडी समस्याओं पर कार्यक्रम दिखाया जाता है. इस दिन ऐसी संस्थाओं को पुरस्कृत किया जाता है जो देश और दुनिया में लोगो को पढ़ाने का काम कर रही है.
साक्षरता बढ़ाने के उपाय: |
साक्षरता बढ़ाने के लिए लोगों के बीच जागरूकता के अलावा उनको प्रोत्साहन देना होगा. हमारे यहां ज्यादातर स्कूलों का समय सुबह में शुरू होता है और दिन के 3-4 बजे समाप्त हो जाता है. ऐसे में इन गरीब बच्चों के लिए शिक्षा हासिल करना मुमकिन नहीं होता है क्योंकि जो स्कूल का समय होता है, उस दौरान वे काम कर रहे होते हैं. उनकी समस्या को देखते हुए स्कूलों के शेड्यूल को लचीला बनाया जाना चाहिए ताकि वे पढ़ाई के साथ-साथ कमाई भी कर सकें. गरीबी की समस्या के कारण देश में बच्चों की एक बड़ी आबादी को परिवार के भरण-पोषण के लिए काम करना पड़ता है. |
पृष्ठभूमि:
विश्व कांग्रेस के शिक्षा मंत्रियों ने वर्ष 1965 में इसी दिन तेहरान में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा कार्यक्रम पर चर्चा करने के लिए पहली बार बैठक की थी. यूनेस्को ने नवंबर 1966 में अपने 14वें सत्र में 8 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस घोषित किया तभी से सदस्य देशों द्वारा प्रतिवर्ष 8 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है. अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाने का महत्वपूर्ण पहलू साक्षरता के खिलाफ संघर्ष के पक्ष में जनमत तैयार करना है. पहला ‘अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस’ 8 सितंबर 1966 को मनाया गया था.
गृह मंत्रालय ने विभिन्न आठ शहरों में महिलाओं की सुरक्षा हेतु किये जाने वाले उपायों के लिए लगभग 2919.55 करोड़ रुपये मंजूर किये हैं. इसके तहत आठ प्रमुख शहरों में सार्वजनिक पैनिक बटन और महिला गश्त दल शुरू किए जाएंगे. इसके अतिरिक्त और भी कई कदम उठाये जायेंगे जिससे महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके.
इन सभी कामों को निर्भया कोष के तहत मंजूरी दी गई है. आठ चुनिंदा शहरों में दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरू, हैदराबाद, अहमदाबाद और लखनऊ शामिल हैं.
निर्भया कोष |
दिल्ली में वर्ष 2012 में एक युवती से दरिंदगी की घटना ने पूरे देश को विरोध प्रदर्शन के लिए सड़कों पर उतर आने के लिए मजबूर किया था. महिला सुरक्षा को लेकर देशभर में विरोध-प्रदर्शन हुए थे. इसके बाद वर्ष 2013 में निर्भया कोष की स्थापना की गई थी. निर्भया कोष आर्थिक कार्य-विभाग द्वारा अभी शासित किया जाता है. आरंभ में निर्भया कोष में 1000.00 करोड़ रूपए की राशि डाली गई थी. |
महिला सुरक्षा योजना के मुख्य बिंदु
• महिला सुरक्षित शहर परियोजना के तहत महिलाओं और बच्चों के लिये पारगमन शयनकक्ष, स्मार्ट एलईडी स्ट्रीटलाइट, एकल बिंदु संकट समाधान केंद्र के साथ ही फॉरेंसिक और साइबर अपराध प्रकोष्ठ स्थापित किये जाएंगे.
• इसे दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरू, हैदराबाद अहमदाबाद और लखनऊ में चरणबद्ध तरीके से वर्ष 2018-19 से वर्ष 2020-21 तक लागू किया जाएगा.
• दिल्ली के लिये 663.67 करोड़ रुपये, मुंबई के लिये 252 करोड़, चेन्नई के लिये 425.06 करोड़, अहमदाबाद के लिये 253 करोड़, कोलकाता के लिये 181.32 करोड़, बेंगलुरू के लिये 667 करोड़, हैदराबाद के लिये 282.50 करोड़ और लखनऊ के लिये 195 करोड़ रुपये की रकम निर्धारित की गयी है.
• इस परियोजना में पूर्ण रूप से महिला गश्त दल जैसे ‘शी-टीम’ और आकस्मिक प्रतिक्रिया वाहन जैसे ‘अभयम्’ वैन की तैनाती की परिकल्पना है, जिससे त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया प्रणाली सुनिश्चित की जा सके.
• परियोजना के तहत राज्य सरकारें अपनी जरूरत के अनुसार महिला सुरक्षा के उपाय अपना सकती हैं. परियोजना पर होने वाले 60 प्रतिशत खर्च केंद्र और बाकी संबंधित राज्य उठाएगा.