Prem's Career Coaching
Phone No. +91-9302959282, RAIPUR, Chattisgarh


Article : Current affairs 18 oct 2018
Updated at : Sat, 20 October, 2018 , 11:47:40 AM ( IST )

भारतीय मूल की मीनल पटेल को अमेरिकी राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया गया


भारतीय मूल की अमेरिकी महिला मीनल पटेल डेविस को अमेरिका के प्रतिष्ठित प्रेजिडेंशियल मेडल से सम्मानित किया गया है. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने उन्हें ह्यूस्टन में मानव तस्करी से लड़ने में उत्कृष्ट योगदान के लिए राष्ट्रपति मेडल से सम्मानित किया. 
मीनल पटेल ह्यूस्टन के मेयर सिलवेस्टर टर्नर की मानव तस्करी पर विशेष सलाहकार भी हैं. पुरस्कार पाने के बाद डेविस ने कहा, 'मैं अमेरिका में जन्म लेने वाली अपने परिवार की पहली सदस्य थी. कई साल पहले मेयर कार्यालय से अब वाइट हाउस तक आना अविश्वसनीय है. यह इस क्षेत्र में देश का सर्वोच्च सम्मान है.’
मीनल पटेल

•    जुलाई, 2015 में विशेष सलाहकार नियुक्त की गयीं डेविस ने अमेरिका के चौथे सबसे बड़े शहर में नीतिगत स्तर पर और व्यवस्था में बदलाव लाकर मानव तस्करी से निबटने पर स्थानीय स्तर पर बड़ा योगदान दिया.
•    डेविस ने कनेक्टिकट विश्वविद्यालय से एमबीए और न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की है.
•    वर्ष 2015 में वह मेयर कार्यालय में विशेष सलाहकार के पद पर नियुक्त हुईं थीं. 
•    उन्होंने वहां देश के चौथे बड़े शहर से मानव तस्करी खत्म करने के लिए शानदार काम किया. 
•    वर्तमान में, वे टर्नर के 'एंटी-ह्यूमन ट्रैफिकिंग प्लान' के क्रियान्वयन पर काम कर रही हैं. पटेल संयुक्त राष्ट्र के 'विश्व मानवतावादी सम्मेलन' को भी संबोधित कर चुकी हैं.
•    मीनल ह्यूस्टन के मेयर की विशेष सलाहकार भी हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति पदक
संयुक्त राज्य अमेरिका का राष्ट्रपति पदक अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाने वाला एक पुरस्कार है. यह संयुक्त राज्य अमेरिका का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है. यह उन लोगों को दिया जाता है जिन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए, विश्व शांति, सांस्कृतिक या अन्य महत्वपूर्ण सार्वजनिक या निजी प्रयासों के सुरक्षा या राष्ट्रीय हितों में विशेष रूप से उत्कृष्ट योगदान दिया है. यह पुरस्कार अमेरिकी नागरिकों तक ही सीमित नहीं है, जबकि यह एक नागरिक पुरस्कार है, इसे सैन्य कर्मियों को भी सम्मानित किया जा सकता है और वर्दी पर पहना जा सकता है.

भारत में एक साल में 7300 नये करोड़पति बने: क्रेडिट सुइस रिपोर्ट

प्रतीकात्मक फोटो

वित्तीय सेवा कंपनी क्रेडिट सुइस द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में बढ़ती असमानताओं और चिंताओं के बीच देश में करोड़पतियों की तादाद तेजी से बढ़ रही है. क्रेडिट सुईस द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले एक साल में भारत में करोड़पतियों के क्लब में 7,300 नए लोग जुड़े हैं.
इस प्रकार भारत में करोड़पतियों की संख्या लगभग 3.43 लाख हो चुकी है, जिनके पास सामूहिक रूप से करीब 6 ट्रिलियन डॉलर अर्थात लगभग 441 लाख करोड़ रुपये की धनराशि मौजूद है. रिपोर्ट के अनुसार भारत सबसे अधिक महिला अरबपतियों (एक अरब डॉलर यानी 73.5 अरब रुपये से ज्यादा संपत्ति वाली अमीर महिलाओं) वाले देशों में शामिल है.
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
•    क्रेडिट सुइस की रिपोर्ट के मुताबिक, '2018 के मध्य तक भारत में कुल 3 लाख 43 हजार करोड़पति थे. पिछले एक साल में इनकी तादाद में 7,300 का इजाफा हुआ है. 
•    क्रेडिट सुइस की 2018 ग्लोबल वेल्थ रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में नए बने करोड़पतियों में से 3,400 के पास 5-5 करोड़ डॉलर यानी 368-368 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति है, जबकि 1500 के पास 10-10 करोड़ डॉलर यानी करीब 736-736 करोड़ रुपये की दौलत है.
•    इस अवधि में डॉलर के लिहाज से देश की संपत्ति 2.6 फीसदी की वृद्धि के साथ 6,000 अरब डॉलर रही. 
•    भारत में प्रति वयस्क संपत्ति 7,020 डॉलर पर ही बनी रही, इसकी अहम वजह डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी है. 
•    रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023 तक भारत में करोड़पतियों की संख्या और गरीबी-अमीरी का फर्क बढ़ेगा. 
•    उस समय तक के बीच असमानता 53 प्रतिशत से ऊपर बढ़ने की उम्मीद है. उस समय तक देश में करोड़पतियों की तादाद 5,26,000 होगी, जो 8,800 अरब डॉलर की संपत्ति के मालिक होंगे. 
•    भारत में लोगों की व्यक्तिगत सम्पत्ति जमीन-जायदाद और अन्य अचल सम्पत्तियों के रूप में है. पारिवारिक संपत्तियों में ऐसी संपत्ति का हिस्सा 91 प्रतिशत है.

महिलाओं की स्थिति
•    क्रेडिट सुईस की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अरबपति महिलाओं की संख्या प्रमुख देशों के मुकाबले सबसे ज्यादा 18.6% है. देश की संपत्ति में महिलाओं की हिस्सेदारी 20-30% है.
•    क्रेडिट सुईस की ग्लोबल वेल्थ रिपोर्ट में अमेरिका लगातार 10वें साल टॉप पर रहा. इसकी संपत्ति 6.3 ट्रिलियन डॉलर बढ़कर 98 ट्रिलियन डॉलर हो गई. ग्लोबल वेल्थ में अमेरिका की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा रही.
•    अमीरों की संख्या बढ़ने के मामले में चीन दूसरे नंबर पर रहा. यहां के लोगों की संपत्ति 2.3 ट्रिलियन डॉलर बढ़कर 52 ट्रिलियन डॉलर हो गई. अगले 5 साल में चीन में अमीरों की संख्या बढ़कर 23 ट्रिलियन होने का अनुमान है.

क्रेडिट सुईस के बारे में

report on indian economy

क्रेडिट सुइस ग्रुप बहुराष्ट्रीय वित्तीय सेवा कंपनी है. इसका मुख्यालय ज्यूरिक स्विट्जरलैंड में है जहाँ से क्रेडिट सुइस बैंक और अन्य निवेश सम्बंधी वित्तीय सेवाओं का संचालन होता है. कम्पनी शेयर निगम के चार गठकों का संगठित रूप है: निवेश बैंकिंग, निजी बैंकिंग, सम्पति प्रबंधन और साझा सेवा समूह जो विपणन के सेवा उपलब्ध करवाता है और अन्य विभागों का समर्थित करता है.

क्रेडिट सुइस की स्थापना अल्फ्रेड एस्सर ने 1856 में स्वाज़ेर्शी क्रेडिटंस्टाल्ट नाम से की थी. इसकी स्थापना उन्होंने स्विट्जरलैंड रेल सेवा के विकास के लिए पूँजी जुटाने हेतु की थी. इस कम्पनी ने ऋण देना आरम्भ किया जिससे यूरोपीय रेल प्रणाली और स्विट्जरलैंड विद्युत ग्रिड के निर्माण में काफी सहायता मिली.

बिहार की ‘शाही लीची’ को जीआई टैग प्राप्त हुआ
बिहार की शाही लीची को जीआई टैग प्राप्त हुआ

बिहार के मुजफ्फरपुर में उगाई जाने वाली ‘शाही लीची’ को हाल ही में राष्ट्रीय स्तर पर पहचान प्राप्त हुई है. बौद्धिक संपदा कानून के तहत ‘शाही लीची’ को अब जीआई टैग (जियोग्राफिकल आइडेंटिफिकेशन) दे दिया गया है. 
बिहार लीची उत्पादक संघ ने जून 2016 को जीआई रजिस्ट्री कार्यालय में ‘शाही लीची’ के जीआई टैग के लिए आवेदन किया था. जीआई टैग मिलने से ‘शाही लीची’ की बिक्री में नकल या गड़बड़ी की आशंकाएं काफी कम हो जाएंगी.
शाही लीची की विशेषताएं
•    बिहार की लीची की प्रजातियों में चायना, लौगिया, कसैलिया, कलकतिया सहित कई प्रजातियां है लेकिन शाही लीची को श्रेष्ठ माना जाता है. 
•    यह काफी रसीली होती है. गोलाकार होने के साथ इसमें बीज छोटा होता है. 
•    यह स्वाद में काफी मीठी होती है. इसमें एक विशेष सुगंध भी होती है. 
•    बिहार के मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, वैशाली और पूर्वी चंपारण शाही लीची के प्रमुख उत्पादक क्षेत्र हैं. 
•    देश में कुल लीची उत्पादन का आधा से अधिक लीची का उत्पादन बिहार में होता है. 
•    आंकड़ों के मुताबिक बिहार में 32,000 हेक्टेयर में लीची की खेती की जाती है. यहां कुल 300 मैट्रिक टन लीची का उत्पादन होता है.
•    बिहार के कुल लीची उत्पादन में से 70 फीसदी उत्पादन मुजफ्फरपुर में होता है. मुजफ्फरपुर में 18 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में लीची की खेती होती है.
जीआई टैग (जियोग्राफिकल आइडेंटिफिकेशन टैग)
•    जीआई टैग अथवा भौगोलिक चिन्ह किसी भी उत्पाद के लिए एक चिन्ह होता है जो उसकी विशेष भौगोलिक उत्पत्ति, विशेष गुणवत्ता और पहचान के लिए दिया जाता है और यह सिर्फ उसकी उत्पत्ति के आधार पर होता है. 
•    ऐसा नाम उस उत्पाद की गुणवत्ता और उसकी विशेषता को दर्शाता है. 
•    दार्जिलिंग चाय, महाबलेश्वर स्ट्रोबैरी, जयपुर की ब्लूपोटेरी, बनारसी साड़ी और तिरूपति के लड्डू कुछ ऐसे उदाहरण है जिन्हें जीआई टैग मिला हुआ है.
•    जीआई उत्पाद दूरदराज के क्षेत्रों में किसानों, बुनकरों शिल्पों और कलाकारों की आय को बढ़ाकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को फायदा पहुंचा सकते हैं. 
•    ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले हमारे कलाकारों के पास बेहतरीन हुनर, विशेष कौशल और पारंपरिक पद्धतियों और विधियों का ज्ञान है जो पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होता रहता है और इसे सहेज कर रखने तथा बढ़ावा देने की आवश्यकता है.

सीबीएसई ने स्कूलों को मान्यता देने संबंधी नियमों में बदलाव किया

केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने हाल ही में स्कूलों को मान्यता देने संबंधी अपने नियमों में बदलाव किये जाने की घोषणा की है. इन नये नियमों के अनुसार सीबीएसई ने अपनी भूमिका शैक्षणिक गुणवत्ता की निगरानी तक सीमित की है जबकि आधारभूत ढांचे के ऑडिट की जिम्मेदारी राज्यों पर छोड़ दी है.
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने 18 अक्टूबर 2018 को इस विषय पर घोषणा की कि मान्यता देने वाले सीबीएसई के उप-कानूनों (bylaws) को पूरी तरह से बदल दिया गया है. उन्होंने कहा कि यह नियम इसलिए बदले गये हैं ताकि त्वरित, पारदर्शी, परेशानी मुक्त प्रक्रियाओं और बोर्ड का आसानी से काम करना सुनिश्चित किया जा सके.
मुख्य बिंदु
•    उप-नियमों में बदलाव के साथ ही केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने मान्यता के लिए 8,000 लंबित पड़े आवेदनों को भी मंजूरी दे दी है. 
•    यह आवेदन 2007 से लंबित पड़े थे. अब स्कूलों को मान्यता लेने के लिए सिर्फ दो दस्तावेज जमा करने होंगे और आवेदन का निपटारा उसी साल हो जाएगा, जिस साल आवेदन किया है.
•    वर्तमान में आरईटी कानून के तहत मान्यता और एनओसी देने के लिए राज्य शिक्षा प्रशासन स्थानीय निकायों, राजस्व और सहकारी विभागों से मिलने वाले कई सर्टिफिकेट्स का सत्यापन करता है. आवेदन मिलने के बाद सीबीएसई उनका पुन: सत्यापन करता है और इस प्रकार से पूरी प्रक्रिया लंबी हो जाती है. अब यह प्रक्रिया राज्यों पर छोड़ दी गई है.
•    सीबीएसई ने अपनी भूमिका में भी बदलाव करते हुए इसे सिर्फ शैक्षिक गुणवत्ता की निगरानी तक सीमित किया है. साथ ही आधारभूत ढांचे के ऑडिट की जिम्मेदारी राज्यों को दे दी गई है.
•    सीबीएसई बोर्ड अब उन पहलुओं को नहीं देखेगा जिनका निरीक्षण राज्य कर चुका है. अब सीबीएसई द्वारा स्कूलों का निरीक्षण परिणाम आधारित और शैक्षणिक तथा गुणवत्ता उन्मुख होगा.
टिप्पणी
गौरतलब है कि देश भर में 20,783 स्कूल सीबीएसई से मान्यता प्राप्त हैं. इनमें कम से कम 1.9 करोड़ छात्र और 10 लाख से अधिक शिक्षक हैं. मान्यता देने से जुड़े उप कानून 1998 में बने थे और अंतिम बार 2012 में उनमें बदलाव किया गया था. नये बदलावों से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद की जा रही है.




Prem's Career Coaching
Phone No. +91-9302959282, RAIPUR, Chattisgarh