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Article : Current affairs 24 october 2018
Updated at : Wed, 24 October, 2018 , 07:00:44 AM ( IST )

चीन ने समंदर पर विश्व का सबसे लंबा पुल बनाया


चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने 23 अक्टूबर 2018 को चीन और मकाओ को हॉन्ग-कॉन्ग से जोड़ने वाले समुद्र पर बने दुनिया के सबसे लंबे पुल का उद्घाटन किया. ये पुल 55 किलोमीटर लंबा है.

चीन के शहर झुहाई को हांगकांग और मकाऊ से जोड़ने वाला विश्व का सबसे लंबा समुद्री पुल 24 अक्टूबर 2018 को सड़क यातायात को खोल दिया जाएगा. यह समुद्री पुल हांगकांग, मकाऊ और मेनलैंड चीन को जोड़ रहा है.

समय की बचत:

इस पुल के खोले जाने के बाद हांग-कांग से झुहाई के बीच का यात्रा का समय कम हो जाएगा. हांग कांग से झुहाई जाने में अभी 3 घंटे लगते हैं जो 30 मिनट में सिमट जाएगा. हांगकांग इंटरनेशनल एयरपोर्ट से झुहाई तक जाने में चार घंटे का वक़्त लगता है, जो अब घटकर 45 मिनट रह जाएगा.

                    पुल के बारे में:

इस पुल में डुअल थ्री लेन है. इसकी गहराई 44 मीटर तक है. पुल का बाकी हिस्सा जमीन पर बना है. सुरंग के दोनों तरफ दो कृत्रिम द्वीप हैं. ये दोनों 10 लाख वर्ग फुट के ज्यादा इलाके में बने हैं. ये पर्ल रिवर एश्चुअरी के छिछले क्षेत्र में बना है ताकि पुल और सुरंग के इलाकों के बीच में ट्रांसिट मिल सके. समुद्र के नीचे जो सुरंग बनी है, वो 33 ब्लॉक से तैयार हुई है. इनमें से हरेक 38 मीटर चौड़ा, 11.4 मीटर ऊंचा और 80 हजार टन वजनी है. इस पुल में 4 लाख टन स्टील लगा है, जो रिक्टर पैमाने पर 8 की तीव्रता वाले भूकंप को भी आसानी से झेल सकता है.

पुल की खासियत:

इस पुल की खासियत ये है कि पुल के साथ स्नैकिंग सड़क क्रॉसिंग और एक सुरंग भी बनाया गया है. यह पुल 22.9 किलोमीटर समुद्र के ऊपर जबकि 6.7 किलोमीटर समुद्र के नीचे सुरंग से गुज़रता है. यह पुल हांगकांग और मकाऊ समेत दक्षिण चीन के 11 शहरों को जोड़ता है. साथ ही ये अगले 120 सालों तक इस्तेमाल किया जा सकेगा. यात्रा में लगने वाला समय 60 प्रतिशत तक घटेगा.

पुल के खोले जाने के बाद क्या होगा असर?

पर्ल नदी पर बने इस 55 किलोमीटर लम्बे पुल के अंदर सुरंग भी बनाई गई है. ऐसा माना जा रहा है कि इस पुल से जहां कई शहर एक दूसरे के करीब आ जाएगें वहीं व्यापार भी बढ़ेगा, जो अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मदद मिलेगी.

पृष्ठभूमि:

इस परियोजना का विचार वर्ष 2003 में आया था और दिसंबर 2009 में इसका निर्माण शुरू हुआ था. इस पर कुल 120 अरब युआन (17.3 अरब डॉलर) का खर्च आया है. इसका ख़र्च हांगकांग, झुहाई और मकाऊ की सरकारें मिलकर उठा रही हैं. हांगकांग और मकाऊ दोनों अतीत में यूरोपीय ताक़तों की कॉलोनी रहे हैं और वर्ष 1990 से इनका नियंत्रण चीन को मिला है

पाकिस्तान और रूस के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास शुरू

पाकिस्तान और रूस के बीच संयुक्त द्विपक्षीय सैन्य प्रशिक्षण अभ्यास ‘द्रुझ्बा III’ शुरू हो गया है. इस अभ्यास का आयोजन पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी पहाड़ी क्षेत्र में किया जा रहा है. यह पाकिस्तान और रूस के बीच सैन्य अभ्यास का तीसरा संस्करण है.

पाकिस्तानी सेना ने कहा है कि एक संयुक्त द्विपक्षीय सैन्य प्रशिक्षण अभ्यास के तीसरे संस्करण में हिस्सा लेने के लिए रूसी सेना की एक टुकड़ी यहां पहुंच गई.

संयुक्त सैन्य अभ्यास:

यह सैन्य अभ्यास 21 अक्टूबर से 04 नवम्बर तक चलेगा. इस सैन्य अभ्यास का आरम्भ वर्ष 2016 में हुआ था. अक्टूबर 2016 में पाकिस्तान और रूस के बीच पहले संयुक्त सैन्य अभ्यास आयोजन किया गया था.  इसका आयोजन पाकिस्तान में किया गया था. इस साल के अभ्यास को अभी तक का सबसे आधुनिक माना जा रहा है. वर्ष 2017 में रूस में इस अभ्यास का आयोजन किया गया था.

रूसी और पाकिस्तानी रक्षा बलों की इकाइयां पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के पब्बी शहर में राष्ट्रीय आतंकवाद निरोध केन्द्र के प्रशिक्षण रेंज में संयुक्त अभ्यास कर रही है. रूस के दक्षिणी सैन्य जिले के 70 से ज्यादा सैनिक इसमें हिस्सा ले रहे है.

दोनों देशों के सैनिक समुद्र तल से 1400 मीटर की ऊंचाई पर अभ्यास करेंगे. पाकिस्तानी सेना ने कहा कि तीसरा अभ्यास पाक-रूस द्विपक्षीय प्रशिक्षण सहयोग का हिस्सा है.

सैन्य प्रशिक्षण में सहयोग:

दोनों देश ने रक्षा उद्योग और सैन्य प्रशिक्षण में सहयोग बढ़ाने के लिए सहमत हुए. हथियारों और उपकरण का आयात बढ़ाने एवं सैन्य अभ्यास में संयुक्त भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए सहमत हुए.

रूस और पाकिस्तान के बीच सम्बन्ध मज़बूत:

पिछले कुछ वर्षों में रूस और पाकिस्तान के बीच सम्बन्ध मज़बूत हुए हैं. इसका एक प्रमुख कारण पाकिस्तान के साथ अमेरिका का सख्त रवैया भी है.  इससे पाकिस्तान का झुकाव चीन और रूस की ओर अधिक हुआ है. पाकिस्तान भी रूस के साथ रक्षा सम्बन्ध मज़बूत करने का इच्छुक है. शीतयुद्ध के दौरान के वैमनस्य के बाद रूस से पाकिस्तान के रक्षा रिश्तों में नई गति आई है और हाल-फिलहाल अमेरिका के साथ उसके रिश्तों में बढ़ती तल्खी ने पाकिस्तान को रूस और चीन के और करीब ला दिया है.

सैन्य अभ्यास का मकसद:

रूस के अनुसार पाकिस्तान के साथ सैन्य अभ्यास का मकसद आतंकवाद के खिलाफ अनुभवों को साझा करना है. सितंबर 2018 में भारत और पाकिस्तान की सेनाओं ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के तहत रूस, चीन समेत अन्य सदस्य देशों की सेनाओं के साथ सैन्य अभ्यास किया था.

नागेश्वर राव सीबीआई के नए निदेशक नियुक्त


केंद्र सरकार ने केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) निदेशक आलोक वर्मा की जगह जॉइंट डायरेक्टर एम नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक नियुक्त किया है. सरकार ने सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच चरम पर विवादों के बाद एजेंसी के दोनों निदेशकों को छुट्टी पर भेज दिया है.

एम नागेश्वर राव को तत्काल प्रभाव से सीबीआई के डायरेक्टर पर की जिम्मेदारियां और कार्यभार संभालने के लिए कहा गया है. देश की इस शीर्ष जांच एजेंसी के इतिहास में यह पहला ऐसा मामला है.

एम नागेश्वर राव के बारे में:

एम नागेश्वर राव तेलंगाना के वारंगल जिले के रहने वाले हैं. वह ओडिशा कैडर के 1986 बैच के आईपीएस (IPS) अधिकारी हैं.

वह ओडिशा पुलिस (रेलवे) में एडिशनल डायरेक्टर रह चुके हैं. उन्होंने ओसमानिया यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई की है. इसके बाद उन्होंने आईआईटी मद्रास से रिसर्च किया था.

सीबीआई मुख्यालय में आने के बाद नागेश्वर राव पर ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों की जिम्मेदारी रही है.

राष्ट्रपति पुलिस मेडल सहित कई पुरस्कार से सम्मानित

अपनी बेहतरीन सेवाओं के लिए नागेश्वर राव राष्ट्रपति पुलिस मेडल, विशेष कर्तव्य मेडल और ओडिशा गवर्नर मेडल से सम्मानित हो चुके हैं.

डीएनए फिंगरप्रिंटिंग तकनीक का उपयोग:

वह पहले ऐसे अधिकारी थे जिन्होंने वर्ष 1996 में जगतसिहंपुर जिले में हुए एक बलात्कार के मामले का पता लगाने के लिए क्राइम इन्वेस्टिगेशन में डीएनए फिंगरप्रिंटिंग तकनीक का उपयोग किया था. क्राइम ब्रांच में उनका अहम योगदान है.

उग्रवाद के खिलाफ राव:

मणिपुर में सीआरपीएफ के डीआईजी (ऑपरेशन्स) के पद पर रहते हुए उग्रवाद के खिलाफ नागेश्वर राव के कार्य को काफी सराहना मिली. कोलकाता में नक्सलियों के खिलाफ वर्ष 2008 में लालगढ़ ऑपरेशन में भी राव की मुख्य भूमिका रही. वर्ष 2008 में कंधमाल हिंसा के दौरान इलाके में व्याप्त तनाव को दूर करने में तत्कालीन सीआरपीएफ आईजी के रूप में भी राव ने अहम भूमिका निभाई.

नागेश्वर राव ने सीबीआई के मुख्यालय में छापेमारी की:

नागेश्वर राव ने 24 अक्टूबर 2018 को कार्यभार संभालते ही सीबीआई के मुख्यालय में छापेमारी की. इसके साथ ही दो और अधिकारियों के खिलाफ ऐक्शन लिया गया है. मनीष सिन्हा और एके शर्मा नाम के दो अधिकारियों को भी हटाया गया है. आपको बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर ही सीबीआई के खिलाफ ये बड़ी कार्रवाई की गई है.

मामला क्या है?

गौरतलब है कि एजेंसी ने राकेश अस्थाना और कई अन्य के खिलाफ कथित रूप से मांस निर्यातक मोइन कुरैशी से घूस लेने के आरोप में 21 अक्टूबर 2018 को एफआईआर दर्ज की थी. कुरैशी धनशोधन और भ्रष्टाचार के कई मामलों का सामना कर रहा है. अगली सुनवाई 29 अक्टूबर को होगी.

सीबीआई ने आरोप लगाया है कि दिसंबर 2017 और अक्टूबर 2018 के बीच कम से कम पांच बार रिश्वत दी गई. इसके एक दिन बाद डीएसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया गया. राकेश अस्थाना की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं. घूसखोरी के मामले में एफआईआर के बाद अब सीबीआई ने अस्थाना पर फर्जीवाड़े और जबरन वसूली का मामला भी दर्ज किया है.

सीबीआई ने अपने ही विशेष निदेशक राकेश अस्थाना पर केस दर्ज किया है। सीबीआइ द्वारा दर्ज की गई रिपोर्ट के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचे विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने याचिका में सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा पर गंभीर आरोप लगाए हैं

                  केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई)

केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) भारत सरकार की प्रमुख जाँच एजेन्सी है. यह आपराधिक एवं राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हुए भिन्न-भिन्न प्रकार के मामलों की जाँच करने के लिये लगायी जाती है. यह कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के अधीन कार्य करती है. केन्‍द्रीय अन्‍वेषण ब्‍यूरो की उत्‍पत्ति भारत सरकार द्वारा वर्ष 1941 में स्‍थापित विशेष पुलिस प्रतिष्‍ठान से हुई है.

निलंबित डीएसपी देवेंद्र कुमार सात दिन की रिमांड पर:

मीट कारोबारी से तीन करोड़ रुपये रिश्वत के मामले में आरोपित सीबीआइ के निलंबित डीएसपी देवेंद्र कुमार को पटियाला हाउस कोर्ट की विशेष अदालत ने सात दिन की सीबीआइ रिमांड पर भेज दिया है.

सतत विकास कार्यक्रमों की निगरानी के लिए संचालन समिति गठित

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने सतत विकास कार्यक्रमों (एसडीजी) की निगरानी के लिए राष्ट्रीय संकेतक ढांचे (एनआईएफ) की समय-समय पर समीक्षा और उसमें सुधार के लिए एक उच्च स्तरीय संचालन समिति के गठन को मंजूरी दे दी है.

उच्च स्तरीय समिति की अध्यक्षता भारत के मुख्य सांख्यिकीविद तथा सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) के सचिव करेंगे. समिति में आंकड़ा स्रोत मंत्रालयों और नीति आयोग के सचिव सदस्य के रूप में होंगे. इसके अलावा अन्य सम्बद्ध मंत्रालयों के सचिव विशेष आमंत्रित होंगे. इसका कार्य समय-समय पर संकेतकों में सुधार सहित राष्ट्रीय संकेतक ढांचे की समीक्षा करना होगा.

उद्देश्य

•    यह समिति राष्ट्रीय सूचकांक फ्रेमवर्क की समीक्षा करेगी और इन सूचकांकों को और बेहतर बनायेगी. 

•    समिति सतत विकास के लक्ष्यों तथा राष्ट्रीय नीतियों ,कार्यक्रमों एवं कार्य योजनाओं की समीक्षा करेगी. 

•    समिति सतत विकास के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए उठाये गए कार्यों की रिपोर्ट भी पेश करेगी जिसके आधार पर लक्ष्यों को पूरा करने के रास्ते में आने वाली चुनौतियों का सामना किया जायेगा और कार्यों की प्रगति को बढ़ाया जायेगा.

•    डाटा स्रोत मंत्रालय और विभाग विकास सूचकांक की जानकारी सांख्यिकी मंत्रालय को देंगे. कारगर निगरानी के लिए विकसित आई टी उपकरणों का इस्तेमाल होगा.

 

सतत विकास लक्ष्य

  • न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय पर वर्ष 2000 में हुई सहस्‍त्राब्‍दी शिखर बैठक में विकास संबंधी आठ उद्देश्यों को स्वीकार किया गया, जिन्हें सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य (एमडीजी) के नाम से जाना जाता है.
  • संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अपने 70वें अधिवेशन में अगले 15 वर्षों के लिए सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्यों पर विचार किया और उसे स्वीकृत किया. 01 जनवरी, 2016 से 17 सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य अस्तित्व में आए. हालांकि कानूनी रूप से कोई बाध्यता नहीं है, एसडीजी वास्तव में अंतर्राष्ट्रीय दायित्व में और इसमें अगले 15 वर्षों के दौरान देशों की घरेलू व्यय प्राथमिकताओं में बदलाव लाने की संभावनाएं है.

 

परिचालन समिति ने 5जी संबंधी रिपोर्ट मंत्रालय को सौंपी


प्रतीकात्मक फोटो

टेलीकॉम विभाग द्वारा गठित परिचालन समिति ने देश में 5जी स्पेक्ट्रम सेवा शुरू करने की रूपरेखा पर रिपोर्ट दूरसंचार मंत्रालय को सौंप दी है. समिति ने ‘मेकिंग इंडिया 5जी रेडी’ रिपोर्ट में उम्मीद जताई है कि 5जी सेवा शुरू होने से देश की अर्थव्यवस्था को एक लाख करोड़ डॉलर का फायदा हो सकता है. 

ए.जे. पॉलराज की अध्यक्षता में नौ सदस्यीय स्टीयरिंग कमेटी ने 5जी सेवाओं के लिये अतिरिक्त स्पेक्ट्रम जारी करने की सिफारिश की. डॉ. ए पॉलराज ने दूरसंचार सचिव अरुणा सुंदरराजन को रिपोर्ट सौंपते हुए कहा कि देश में 5जी के लिए तीन प्रमुख क्षेत्रों डिप्लोयमेंट, प्रौद्योगिकी और विनिर्माण पर प्रमुखता से ध्यान दिए जाने की जरूरत है.

समिति की प्रमुख सिफारिशें


•    रिपोर्ट में समिति ने देश में 5जी सेवाओं की शुरुआत और विस्तार के लिए स्पेक्ट्रम की नीति, नियम, शिक्षण और मानकों के बाबत व्यापक सिफारिशें की हैं. 

•    पैनल का यह भी मानना है कि भारत में लाइसेंस प्राप्त मोबाइल स्पेक्ट्रम की मात्रा अमेरिका और इंग्लैंड जैसे देशों के मुकाबले बहुत कम है जबकि प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के सापेक्ष स्पेक्ट्रम की लागत, अधिकांश देशों की तुलना में काफी अधिक है. 

•    पैनल ने कहा कि दोनों कारक आधारभूत संरचना लागत को बढ़ाते हैं. यह अहम है कि भारत इन अनियमितताओं को दूर करे.

•    परिचालन समिति ने अगली पीढ़ी की वायरलेस सेवाओं को जल्द रफ्तार देने के लिए दिसंबर तक 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी शुरू करने का सुझाव दिया है.

•    दूरसंचार सचिव अरुणा सुंदराजन को समिति द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट में व्यवसाय, सुरक्षा और संरक्षण के लिये विशेषज्ञ समिति गठित करने की सिफारिश की गई है.

•    पूरे देश में गुणवत्तापूर्ण 5जी सेवाएँ लागू करने के लिये सरकार से एक विशेषज्ञ समिति गठित करने को कहा गया है जो इस संबंध में स्पष्ट सिफारिशें दे. साथ ही, ट्रायल के लिये ओवरसाइट समितियों का गठन करने के लिये कहा गया है  जो 5जी कार्यक्रम कार्यालय को रिपोर्ट करेगा.

5जी से लाभ

परिचालन समिति ने कहा है कि 5जी सेवा देश में चौथी औद्योगिक क्रांति लाने में उत्प्रेरक का काम करेगा और भारत को वैश्विक आर्थिक शक्ति बनाने में मददगार साबित होगा. इस सेवा के शुरू होने से देश की अर्थव्यवस्था को एक लाख करोड़ डॉलर का फायदा होने की उम्मीद है. गौरतलब है कि इस समिति का गठन सितंबर, 2017 में 5जी सेवा शुरू करने की दिशा में रूपरेखा तैयार करने के लिए किया गया था.



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