खेलो इंडिया स्कूल गेम्स के सफल संचालन के बाद भारतीय खेल प्राधिकरण ने 22 जुलाई 2018 को खेलों के विकास की दिशा में एक अन्य उल्लेखनीय कदम उठाया है. खेल प्राधिकरण द्वारा खेलो इंडिया प्रतिभा पहचान विकास छात्रवृत्ति योजना के तहत एक छात्रवृत्ति कार्यक्रम के लिए 734 खिलाडि़यों का चयन किया गया है.
उच्च स्तरीय समिति के समक्ष लाभार्थियों के नामों का चयन करने एवं प्रस्तावित करने के लिए अर्जुन पुरस्कार विजेताओं एवं द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेताओं से निर्मित एक प्रतिभा पहचान समिति गठित की गई जिसने निरीक्षण करने के बाद उपरोक्त नामों को मंजूरी दी.
खेलो इंडिया छात्रवृत्ति योजना
• खेलो इंडिया प्रतिभा पहचान विकास योजना के तहत 734 खिलाड़ियों का चयन किया है जिन्हें सरकार से मान्याता प्राप्त आवासीय अकादमियों में प्रशिक्षण दिया जाएगा.
• इन खिलाड़ियों को दैनिक खर्चे, इलाज और दूसरी जरूरतों को पूरा करने के लिए सालाना एक लाख 20 हजार रुपये की राशि दी जाएगी.
• यह राशि उन्हें चार भागों में तीन-तीन महीने पर दी जाएगी.
• इन खिलाड़ियों को खेलो इंडिया से मान्यता प्राप्त अकादमियों में प्रशिक्षण मिलेगा.
• इन अकादमियों को खिलाड़ियों के प्रशिक्षण, रहने और टूर्नामेंट खर्च का ध्यान रखना होगा.
खेल अकादमियों के लिए घोषणा |
खेल अकादमियों को तीन श्रेणियों में बांटा जाएगा. उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए इन अकादमियों का एक तय अंतराल के बाद विश्लेषण होगा और उन्हें उन्नयन का मौका मिलेगा. जो अकादमी तय मानकों और प्रदर्शन मानदंडों को पूरा नहीं करेंगी उन्हें इस सूची से बाहर कर दिया जाएगा. इसके अतिरिक्त यह भी फैसला किया गया है कि खिलाड़ियों को चोट के बारे में तुरंत सूचना देनी होगा ताकि समय पर रिहैबिलिटेशन शुरू किया जा सके. उच्च समिति ने मजबूत प्रदर्शन निगरानी प्रणाली तैयार करने का फैसला किया ताकि इससे जुड़ी सभी इकाइयों से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन प्राप्त हो सके. |
खेलो इंडिया कार्यक्रम
• यह एक भारतीय खेल छात्रवृति योजना है जिसमें चुनिंदा खेल विधाओं में से प्रत्येक वर्ष 1,000 सर्वाधिक प्रतिभावान युवा खिलाड़ियों को सम्मिलित किया जाएगा.
• इस योजना के अंतर्गत चयनित प्रत्येक खिलाड़ी को लगातार आठ वर्षों के लिये पाँच लाख रुपए की वार्षिक छात्रवृति दी जाएगी.
• इससे भारत में प्रतिस्पर्धी खिलाड़ियों का एक दल तैयार किया जा सकेगा जिससे भारतीय खिलाड़ी विभिन्न प्रतियोगिताओं में बेहतर प्रदर्शन कर सकेंगे.
वैरायटी पत्रिका द्वारा मनोरंजन जगत के 500 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची जारी की गई है. इस सूची में विभिन्न भारतीय हस्तियों को भी स्थान मिला है. वैरायटी की यह सूची उन लोगों की है जिन्होंने 2 ट्रिलियन डॉलर की ग्लोबल एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में अपना योगदान दिया है.
वैरायटी 500 दो हजार अरब डॉलर के वैश्विक मनोरंजन जगत के 500 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची है. इनमें उन लोगों को शामिल किया जाता है जिन्होंने मनोरंजन जगत को प्रभावित किया है.
भारतीय संदर्भ में सूची
• वैरायटी पत्रिका के वैश्विक मनोरंजन जगत को प्रभावित करने वाले शीर्ष 500 लोगों की सूची में अरबपति अंबानी बंधु मुकेश और अनिल एवं सलमान खान और प्रियंका चोपड़ा जैसे बॉलीवुड सुपरस्टार शामिल हैं.
• इस सूची में निर्माता- निर्देशक करण जौहर, स्टार इंडिया के सीईओ उदय शंकर, एस्सेल समूह के अध्यक्ष सुभाष चंद्रा, यशराज फिल्म्स के आदित्य चोपड़ा, बालाजी बालाजी टेलीफिल्म्स की एकता कपूर , जी एंटरटेनमेंट के सीईओ पुनीत गोयनका और द फिल्म एंड टेलीविजन प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ इंडिया लिमिटेड के सिद्धार्थ कपूर जैसे शख्सियतों के नाम शामिल हैं.
• सलमान के अलावा प्रियंका चोपड़ा के बारे में वेबसाइट पर उनके बॉलीवुड से हॉलीवुड सफर के बारे में भी बताया है. उनके मिस वर्ल्ड बनने का जिक्र किया गया है और यूएस के टेलीविजन शो क्वांटिको के बारे में भी बताया गया है.
वैश्विक संदर्भ में सूची
• इस सूची में शीर्ष पर वॉल्ट डिज्नी कंपनी के सीईओ एवं चेयरमैन रॉबर्ट ईगर हैं. रॉबर्ट द्वारा 2012 में 'स्टार वार्स' के मालिक लुकासफिल्म के लिए 4.05 बिलियन डॉलर, 2009 में मार्वल के लिए 4 बिलियन डॉलर और 2006 में पिक्सार एनीमेशन के लिए 7.4 डॉलर के लिए बड़े टिकट अधिग्रहण का जोखिम लिया गया. इतना होने के बावजूद मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड के कारण रॉबर्ट इगर टॉप पर हैं.
• वांडा मीडिया ग्रुप के चेयरमैन जैनलिन वैंग, अभिनेता प्रोड्यूसर ब्रेडले कूपर, सोनी कारपोरेशन के चेयरमैन काज़ हिराई, लेखक जे के रॉलिंग, नेटफ्लिक्स के चीफ कंटेंट ऑफिसर टेड सरंडोस, पॉप स्टार बेयोंस, लेखक एवं निर्देशक पैटी जेन्किन्स तथा यूट्यूब के सीईओ सुसेन जोसिक्की भी इस सूची में प्रमुख रूप से शामिल हैं.
वैरायटी पत्रिका
• वैरायटी एक अमेरिकी एंटरटेनमेंट ट्रेड मैगज़ीन है जो कि पेंसके मीडिया कारपोरेशन द्वारा संचालित है.
• इसकी स्थापना सीमे सिल्वरमैन द्वारा 1905 में न्यूयॉर्क में साप्ताहिक समाचार-पत्र के रूप में हुई थी.
• वर्ष 1933 में लॉस एंजेलिस में इसे दैनिक समाचार के रूप आरंभ किया गया.
• इसकी वेबसाइट पर प्रतिदिन विश्व भर में मनोरंजन जगत में होने वाली घटनाओं के बारे में जानकारी दी जाती है
नैशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) ने 19 जुलाई 2018 को सेटेलाईट डाटा के कमर्शियल उपयोग को बढ़ावा देने हेतु टूलकिट लॉन्च की.
यह ऑनलाइन टूलकिट इस उद्देश्य के साथ लॉन्च किया गया कि उपयोगकर्ताओं को डाटा के शोध, व्यावसायिक परियोजनाओं या संरक्षण प्रयासों के लिए प्रासंगिक उपग्रह डाटा का पता लगाने तथा उससे विश्लेषण और उसे उपयोग करना आसान हो सके.
रिमोट सेंसिंग टूलकिट
• "रिमोट सेंसिंग टूलकिट" एक साधारण प्रणाली प्रदान करता है जो उपयोगकर्ता इनपुट के आधार पर प्रासंगिक स्रोतों की तुरंत पहचान करता है.
• टूलकिट को उपयोगकर्ताओं को डेटा खोजने के लिए डिज़ाइन किया गया है. साथ ही नए टूल्स बनाने के लिए इसमें कुछ टूल्स और कोड दिए गये हैं.
• यह नया टूल नासा उपग्रह डेटा को पहले से कहीं अधिक आसान बनाता है और इसका उपयोग करने में सहायता प्रदान करता है.
• यह टूलकिट उद्यमशील समुदाय के बीच नवाचार को बढ़ावा देने और नासा प्रौद्योगिकी के समक्ष व्यावसायीकरण का भी अवसर प्रदान करती है.
• यह उन उपयोगकर्ताओं की संख्या में वृद्धि करने में मदद करेगा जिन्होंने लोगों के लिए काम करने के लिए नासा के मुक्त और खुले डाटा संग्रह को रखा है.
नासा टेक्नोलॉजी ट्रान्सफर कार्यक्रम
• इस टूलकिट का लॉन्च नासा टेक्नोलॉजी ट्रांसफर प्रोग्राम का हिस्सा है जो रिमोट सेंसिंग डेटा की पेशकश करता है जिसने वैज्ञानिक समुदाय, अन्य सरकारी एजेंसियों और गैर-लाभकारी संगठनों को लंबे समय से लाभान्वित किया है.
• नासा के प्रौद्योगिकी हस्तांतरण कार्यक्रम को नासा के अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी मिशन निदेशालय द्वारा प्रबंधित किया जाता है.
• इस कार्यक्रम यह सुनिश्चित किया जाता है कि अन्वेषण और खोज में मिशन के लिए विकसित प्रौद्योगिकियां जनता के लिए व्यापक रूप से उपलब्ध हों तथा देश को अधिकतम लाभ प्रदान करें.
• प्रौद्योगिकी हस्तांतरण कार्यक्रम रिमोट सेंसिंग टूलकिट के एक ट्यूटोरियल की मेजबानी करेगा. भाग लेने के लिए, संभावित उपयोगकर्ताओं को भविष्य के वेबिनारों के बारे में अधिसूचित होने के लिए साइन अप करना होगा.
जल मार्ग विकास परियोजना के तहत भारतीय अंतर्देशीय जल मार्ग प्राधिकरण द्वारा वाराणसी में 169.59 करोड़ रुपये की लागत से बनाए जा रहे मल्टी मोडल टर्मिनल (एमएमटी) का निर्माण कार्य इसी वर्ष नवम्बर तक पूरा हो जायेगा. यह टर्मिनल इस परियोजना के लिए एक प्रमुख उपलब्धि होगी.
साहिबगंज में 280.90 करोड़ रुपये की लागत से बनाए जा रहे एमएमटी का निर्माण कार्य मई, 2019 तक पूरा हो जाएगा, जबकि हल्दिया में 517.36 करोड़ रुपये की लागत से बनाए जा रहे एमएमटी का निर्माण कार्य दिसंबर, 2019 तक पूरा हो जाएगा.
इसके अलावा, फरक्का में 359.20 करोड़ रुपये की लागत से बनाए जा रहे अत्याधुनिक नौवहन अवरोध (नैविगेशनल लॉक) का निर्माण कार्य जून, 2019 तक पूरा हो जाएगा. इस नदी के फरक्का-कहलगांव खंड पर तलकर्षण (ड्रेजिंग) के रख-रखाव के लिए 150 करोड़ रुपये का ठेका अप्रैल, 2018 में दिया गया था और इस पर काम शुरू हो गया है. उत्तर प्रदेश के गाजीपुर और बिहार के कालघाट में राष्ट्रीय जलमार्ग-1 पर दो इंटर-मोडल टर्मिनलों (आईएमटी) के निर्माण कार्य का ठेका इसी वर्ष दिया जाएगा.
पृष्ठभूमि
जल मार्ग विकास विश्व बैंक से सहायता प्राप्त परियोजना है. राष्ट्रीय जलमार्ग-1 (गंगा नदी) पर 5369 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना का उद्देश्य नदी के वाराणसी-हल्दिया खंड पर नौवहन क्षमता बढ़ाना है, ताकि कम से कम 1500-2000 टन के जहाजों का वाणिज्यिक नौवहन संभव हो सके.
इस परियोजना के तहत वाराणसी, साहिबगंज एवं हल्दिया में मल्टी-मोडल टर्मिनलों का निर्माण/स्थापना, आईएमटी, नौवहन अवरोध, नदी सूचना प्रणाली, जहाज मरम्मत एवं रख-रखाव सुविधाएं इत्यादि शामिल हैं.