ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का 10 वां संस्करण जोहान्सबर्ग, दक्षिण अफ्रीका में 25 जुलाई 2018 को शुरू हुआ. यह 3 दिवसीय लंबा शिखर सम्मेलन है और सभी ब्रिक्स नेता इसमें शामिल होंगे. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अफ्रीका का तीन-राष्ट्र दौरा दक्षिण अफ्रीका में खत्म हो जाएगा.
इस शिखर सम्मेलन का विषय ‘BRICS in Africa: Collaboration for inclusive growth and shared prosperity in the 4th Industrial Revolution' है. इस बार ब्रिक्स सम्मेलन की मेजबानी दक्षिण अफ्रीका कर रहा है.
भारत द्वारा उठाये गये मुद्दे
अन्य विवरण
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के अतिरिक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अफ़्रीकी देशों के नेताओं की बैठक तथा ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन में भी भाग लेंगे.
ब्रिक्स अफ्रीकी देशों की बैठक में भाग लेने वाले देश हैं – रवांडा, यूगांडा, टोगो, ज़ाम्बिया, नामीबिया, सेनेगल, गैबन, इथोपिया, अंगोला एवं अफ्रीकी यूनियन.
ब्रिक्स की स्थापना का उद्देश्य |
ब्रिक्स की स्थापना का मुख्य उद्देश्य अपने सदस्य देशों की सहायता करना है. ये देश एक दूसरे के विकास के लिए वित्तीय , तकनीक और व्यापार के क्षेत्र में एक दूसरे की सहायता करते हैं. ब्रिक्स देशों के पास खुद का एक बैंक भी है. इस बैंक का नाम नवीन विकास बैंक है. इसका कार्य सदस्यों देशों और अन्य देशों को कर्ज के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान करना है. |
ब्रिक्स की पृष्ठभूमि
ब्रिक्स दुनिया की पांच उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं का एक समूह है. इसमें B- ब्राजील, R- रूस, I- इंडिया, C- चीन और S- साउथ अफ्रीका शामिल है. जुलाई, 2006 में G-8 आउटरीच शिखर सम्मेलन के मौके पर रूस, भारत, चीन के नेताओं की बैठक में इस ग्रुप को बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई. जिसके बाद पहले ब्रिक्स सम्मेलन का आयोजन रूस के येकातेरिनबर्ग में 16 जून 2009 को हुआ था.
ब्रिक्स घोषणापत्र के मुख्य बिंदु |
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वर्तमान परिदृश्य में ब्रिक्स का महत्व
• पिछले 10 वर्षों में उभरते बाजारों और विकासशील देशों के बीच सहयोग के लिए ब्रिक्स एक महत्वपूर्ण मंच बन गया है.
• ब्रिक्स सदस्य देशों में एशिया, अफ्रीका, यूरोप एवं अमेरिका के देश शामिल हैं एवं जी20 के देश शामिल हैं.
• ब्रिक्स देशों के पास दुनिया की जीडीपी का 22.53 फीसदी हिस्सा है. विश्व का 18 प्रतिशत व्यापार यही देश करते हैं.
• अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के आंकड़ों के अनुसार पिछले 10 वर्षों ने इन देशों ने वैश्विक आर्थिक विकास में 50 प्रतिशत भागीदारी निभाई है.
केंद्र सरकार ने 26 जुलाई 2018 को वोडाफोन इंडिया और आइडिया सेल्युलर के प्रस्तावित विलय को अपनी अंतिम मंजूरी दे दी है. इसके साथ ही देश के सबसे बड़ी मोबाइल ऑपरेटर कंपनी बनने का रास्ता भी साफ हो गया है.
दूरसंचार विभाग ने वोडाफोन और आइडिया सेल्युलर के विलय को अंतिम मंजूरी तब दी है जब दोनों कंपनियों ने संयुक्त रूप से 7,268.78 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया है. दोनों कंपनियों ने नकद में 3,926.34 करोड़ रुपए का भुगतान किया है और 3,322.44 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी दी है.
इससे पहले दूरसंचार विभाग ने 9 जुलाई 2018 को दोनों कंपनियों को सशर्त विलय की अनुमति दी थी.
मार्च 2017 में विलय की घोषणा की गई थी.
विलय से संबंधित मुख्य तथ्य:
दूरसंचार क्षेत्र में अन्य महत्वपूर्ण विलय:
केंद्रीय दूरसंचार विभाग ने 14 मई 2018 को टेलीनॉर इंडिया का भारती एयरटेल में विलय को मंजूरी दे दी थी. वर्ष 2017 में ही दोनों कंपनियों के बीच विलय पर सहमति हो गई थी. एयरटेल ने कहा था कि उसने नार्वे की इस बड़ी कंपनी के अधिग्रहण के लिए 'निश्चित समझौते' के तहत डील की है.
रिलायंस जियो इन्फोकॉम ने रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) के स्पेक्ट्रम, मोबाइल टावर और ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क सहित अन्य मोबाइल बिजनस असेट्स खरीदने का सौदा किया था. रिलायंस जियो ने 3.75 अरब डॉलर के सौदे में आरकॉम की वायरलेस परिसंपत्तियों का अधिग्रहण किया.
दूरसंचार कंपनी टाटा टेलीसर्विसेज का विलय भारती एयरटेल में हुआ. इस सौदे को दुनिया के सबसे बड़े दूरसंचार बाजारों में से एक भारत में एकीकरण का एक और मजबूत संकेत माना गया. इस अधिग्रहण के बाद 40 मिलियन टाटा डोकोमो यूजर्स एयरटेल में स्विच कर दिए गए. सौदे के एक हिस्से के रूप में, टाटा टेलीसर्विसेज लिमिटेड व्यापार को 'नकद मुक्त और ऋण मुक्त' आधार पर भारती को स्थानांतरित कर देगा.
पृष्ठभूमि:
जियो के आने से पहले तक भारती एयरटेल के बाद भारतीय मोबाइल सेवा बाजार में दूसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन थी. जबकि आइडिया तीसरे नंबर पर थी. विलय को 26 जुलाई 2018 को अंतिम मंजूरी दे दी गयी है और औपचारिकताओं का अंतिम चरण पूरा करने के लिये कंपनियों को मंजूरी के लिये कंपनी रजिस्ट्रार (आरओसी) के सामने विवरण प्रस्तुत करना होता हैं.
क्रिकेट से राजनीति में आए इमरान खान सत्ता के बेहद करीब पहुंच गए हैं. उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ अभी तक की मतगणना के बाद बहुमत के पास है. हालंकि, विपक्षी दलों ने मतगणना के दौरान भारी धांधली का आरोप लगाया है और फिर से चुनाव कराने की मांग की है.
पाकिस्तान में आम चुनाव के आधिकारिक नतीजे घोषित कर दिए गए हैं. इसके अनुसार, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) नेता इमरान खान को प्रधानमंत्री बनने के लिए दूसरी पार्टियों से गठबंधन करना पड़ेगा. चुनाव अधिकारियों के अनुसार, पीटीआई ने 269 में से 119 सीटें जीती हैं. लेकिन बहुमत के लिए 137 सीटें जरूरी हैं. चुनावों में शरीफ परिवार की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग को 56 सीटें मिली हैं. तीसरे स्थान पर पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी है जिसे 36 सीटें हासिल हुई हैं. अभी तक 20 सीटों के नतीजे घोषित नहीं किए गए हैं.
भारत के साथ संबंध:
इमरान खान ने कहा की वह भारत से बेहतर संबंध बनाना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि दोनों पड़ोसियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप उपमहाद्वीप के लिए नुकसानदेह है जिसे रोका जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि वह अपने क्रिकेट के समय से ही भारत को अच्छी तरह से जानते आए हैं. उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान में हर गलत चीज को भारत के मत्थे कर देना खत्म करना होगा. उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच कश्मीर का मसला सबसे बड़ा है, जिसको हल करने की कवायद शिद्दत के साथ की जानी चाहिए. इस दौरान उन्होंने भारत पर कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप भी लगाया.
इमरान खान:
पृष्ठभूमि:
पाकिस्तान के इस बार के आम चुनावों में पूर्व क्रिकेटर इमरान खान की पीटीआई, नवाज शरीफ की पीएमएल-एन और बिलावल भुट्टो जरदारी की पार्टी पीपीपी के बीच त्रिकोणीय चुनावी मुकाबला था. इसमें इमरान खान की पार्टी ने बाजी मारी है. बता दें कि पाकिस्तान में कुल चार प्रांत हैं. पंजाब, बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा और सिंध। इन चारों प्रांतों में चुनाव हो रहे हैं.
बता दें कि सरकार बनाने के लिए 137 सीटों की जरूरत है. पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में कुल 342 सदस्य होते हैं जिनमें से 272 को सीधे तौर पर चुना जाता है जबकि शेष 60 सीटें महिलाओं और 10 सीटें धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित हैं.
सुरक्षित चुनाव कराने के लिए देशभर में सेना के 3.70 लाख जवानों के अलावा 4.50 लाख पुलिसकर्मी भी तैनात किए गए थे.