भारतीय रेलवे ने राष्ट्रीय रेल संग्राहलय, नई दिल्ली में 27 जुलाई 2018 को जन प्रशासन में नैतिकता के लिए मिशन सत्यनिष्ठा को लॉन्च किया. यह किसी सरकारी संगठन द्वारा आयोजित किया गया इस प्रकार का पहला कार्यक्रम था.
इस कार्यक्रम के दौरान रेल मंत्री पीयूष गोयल ने अधिकारियों को सत्यनिष्ठा की शपथ दिलाई.
मिशन सत्यनिष्ठा
सरकारी सेक्टर में नैतिकता और सत्यनिष्ठा जैसे मुद्दे हमेशा ही चिंता का विषय रहे हैं. इस सन्दर्भ में रेलवे कर्मचारियों के लिए कार्य के दौरान नैतिकता और सत्यनिष्ठा अति महत्वपूर्ण है. इस कार्यक्रम के दौरान कार्य में सत्यनिष्ठा के उच्च स्तर बनाये रखने पर चर्चा की गयी. इस विषय पर कार्यक्रम में चर्चा की गयी और भाषण दिए गये.
उद्देश्य
• व्यक्तिगत व सार्वजनिक जीवन में नैतिकता के प्रति कर्मचारियों को जागरूक व प्रशिक्षित करना
• सार्वजानिक जीवन में नैतिकता सम्बन्धी समस्याओं का सामना करना
• रेलवे में नैतिकता का महत्व
• रेलवे कर्मचारियों की कार्यकुशलता में वृद्धि करना
• आन्तरिक संसाधनों द्वारा आन्तरिक शासन में सत्यनिष्ठा लाना.
पृष्ठभूमि
सार्वजनिक जीवन में नैतिकता, अखंडता और सदभावना का मुद्दा पूरे सरकारी क्षेत्र में चिंता का विषय रहा है. इसलिए, यह बेहद महत्वपूर्ण हो गया है कि सभी रेलवे कर्मचारी हर समय निर्दोष आचरण और अखंडता का पालन करें. इस लक्ष्य की पूर्ति हेतु इस विषय पर भारतीय रेलवे के कार्यस्थलों पर वार्ता और व्याख्यान आयोजित किए गए.
सरकार ने अत्याधुनिक हथियार प्रणालियों के निर्माण में निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लाये गये सामरिक भागीदारी मॉडल को लागू करने से संबंधित दिशा निर्देशों को मंजूरी प्रदान की है.
रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में 30 जुलाई 2018 को रक्षा खरीद परिषद की बैठक हुई जिसमें इन दिशा निर्देशों को मंजूरी दी गयी. इससे रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता तो बढ़ेगी ही सशस्त्र सेनाओं को समय पर हथियारों की आपूर्ति भी की जा सकेगी. परिषद ने प्रक्रिया की शुरूआत करते हुए नौसेना के बहुउपयोगी हेलिकॉप्टर की खरीद से संबंधित दिशा-निर्देशों को भी मंजूरी दी है.
रक्षा मंत्रालय ने सामरिक भागीदारी मॉडल के तहत शुरू में लड़ाकू विमानों, हेलिकॉप्टरों, पनडुब्बी और बख्तरबंद वाहनों जैसे टैंक आदि बनाने की मंजूरी दी है. गौरतलब है कि सरकार ने सामरिक भागीदारी मॉडल को पिछले वर्ष ही मंजूर किया था.
दिशा-निर्देशों से संबंधित प्रमुख बिंदु
• सामरिक भागीदारी मॉडल के तहत सभी खरीद के लिए विशेष रूप से गठित अधिकार प्राप्त समिति की मंजूरी लेनी होगी.
• यह समिति परियोजनाओं के समय से पूरे होने पर ध्यान देगी. दिशा निर्देशों में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और स्वेदशीकरण पर विशेष जोर दिया गया है.
• भारतीय साझीदारों के साथ मिलकर भारत को सैन्य प्लेटफार्म का हब बनाने में सहयोग करने वाली वैश्विक कंपनियों को भी प्रोत्साहित किया जायेगा.
• इससे रक्षा क्षेत्र में सरकार की मेक इन इंडिया पहल को भी मजबूती मिलेगी.
रक्षा खरीद परिषद
केंद्र सरकार द्वारा 11 अक्टूबर 2001 को देश की रक्षा एवं सुरक्षा में सुधार हेतु की जाने वाली खरीद और अधिग्रहण के लिए रक्षा खरीद परिषद की स्थापना की गई. रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) रक्षा मंत्रालय के तहत एक व्यापक संरचना, रक्षा खरीद योजना प्रक्रिया के समग्र मार्गदर्शन के लिए गठित की गई थी.
सरकार ने उच्चतर शिक्षा में प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करने के लिए एक स्वशासी परीक्षा संगठन राष्ट्रीय टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) का गठन किया है. पहले प्रवेश परीक्षाएं केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) तथा तकनीकी शिक्षा के लिए अखिल भारतीय परिषद (एआईसीटीई) द्वारा आयोजित की जाती थी.
राष्ट्रीय टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) का कार्य
हितधारकों, मंत्रालयों/विभागों/एजेंसियों के अनुरोध पर यूजीसी-नेट, जेईई (मेन), नीट-यूजी, सी-मैट तथा सी-पैट परीक्षाएं आयोजित करने का दायित्व एनटीए को दिया गया है. एनटीए ने अपनी वेबसाइट https://ntaexams.co.in. पर वर्ष 2019 के लिए परीक्षा कार्यक्रम अधिसूचित कर दिया है. एनटीए वर्ष में दो बार प्रवेश परीक्षाओं का आयोजन करेगी, ताकि विद्यार्थियों को पर्याप्त अवसर मिल सके और मूल्यांकन में मानवीय भूल की संभावना खत्म हो सके.
उद्देश्य |
इस एजेंसी के गठन का उद्देश्य प्रतिष्ठित प्रवेश परीक्षाओं को आयोजित करने के लिए विशेषज्ञता संपन्न और समर्पित संस्था बनाने के साथ-साथ सीबीएसई को दायित्व से मुक्त करना है ताकि सीबीएसई अपने निर्धारित कार्यों को पूरा कर सके. सरकार ने विशेषज्ञों को शामिल करते हुए वैज्ञानिक तरीके से परीक्षा आयोजित करने का दायित्व एनटीए को दिया है. एनटीए द्वारा आयोजित सभी परीक्षाएं विद्यार्थियों के लाभ के लिए वर्ष में दो बार आयोजित की जाएंगी. |
प्रभाव
राष्ट्रीय टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की स्थापना से विभिन्न प्रवेश परीक्षाओं में भाग ले रहे लगभग 40 लाख छात्रों को लाभ होगा. इसकी स्थापना के बाद सीबीएसई, एआईसीटीई जैसी एजेंसियाँ प्रवेश परीक्षाओं को आयोजित कराने की ज़िम्मेदारी से मुक्त हो जाएंगी.
इसके अतिरिक्त यह एजेंसी छात्रों की योग्यता, बुद्धिमत्ता तथा समस्या निवारण क्षमता के कठिन स्तरों का आकलन करने के लिये उच्च विश्वसनीयता एवं प्रमाणीकरण लाने की दिशा में भी प्रयास करेगी.
पृष्ठभूमि
एक विशेषीकृत निकाय की आवश्यकता को समझते हुए वित्त मंत्री द्वारा वर्ष 2017-18 के अपने बजट भाषण में उच्च शैक्षिक संस्थाओं में दाखिले के लिये सभी प्रवेश परीक्षाओं को आयोजित करने हेतु एक स्वायत्त तथा आत्मनिर्भर शीर्ष परीक्षा संगठन के रूप में राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) की स्थापना की घोषणा की गई थी. |
संसद ने 30 जुलाई 2018 को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) में उसके सहयोगी बैंकों के विलय संबंधी स्टेट बैंक निरसन और संशोधन विधेयक पारित किया.
राज्यसभा द्वारा स्टेट बैंक निरसन और संशोधन विधेयक, 2017 में सुझाए गए संशोधनों पर लोकसभा की मंजूरी मिलने के बाद अब ये विधेयक संसद में पारित हो गया है.
यह विधेयक 21 जुलाई 2017 को केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा लोकसभा में पेश किया गया था.
विधेयक के प्रावधान:
इस विधेयक के अनुसार भारतीय स्टेट बैंक सहायक बैंक अधिनियम, 1959, और हैदराबाद स्टेट बैंक, 1956 को निरस्त कर दिया गया है तथा भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम, 1955 में संशोधन किया गया है. इसके तहत स्टेट बैंक के पांच सहयोगी बैंकों के भारतीय स्टेट बैंक में विलय की वैधानिक पुष्टि हो गई है.
भारतीय स्टेट बैंक में सहयोगी बैंकों के विलय:
जिन बैंकों का विलय भारतीय स्टेट बैंक में किया गया है, वे हैं - स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला और स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर.
विलय का महत्व:
संसद से मंजूरी मिली है कि एसबीआई का विलय पांच अन्य बैंकों के साथ किया जाएगा. इस फैसला के साथ ही एसबीआई संपत्ति के मामले में दुनिया के 50 बैंकों में शामिल हो गया है. अपने सहयोगी बैंकों और बीएमबी को मिलाने के बाद एसबीआइ की परिसंपत्तियां बढ़कर 37 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो जाएंगी.
सरकार को उम्मीद है कि विलय के बाद एसबीआइ भारत की बड़ी परियोजनाओं को अब ज्यादा आसानी से कर्ज दे सकेगी. विलय के बाद एसबीआइ ग्राहक संख्या के हिसाब (50 करोड़ ग्राहक) से दुनिया का सबसे बड़ा बैंक हो जाएगा जबकि 22,500 शाखाओं के हिसाब से यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बैंक होगा.
भारतीय स्टेट बैंक:
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) भारत की सबसे बड़ी एवं सबसे पुरानी बैंक है. 2 जून 1806 को कलकत्ता में 'बैंक ऑफ़ कलकत्ता' की स्थापना हुई थी. तीन वर्षों के पश्चात इसको चार्टर मिला तथा इसका पुनर्गठन बैंक ऑफ़ बंगाल के रूप में 2 जनवरी 1809 को हुआ. 1 जुलाई 1944 को स्टेट बैंक आफ़ इंडिया की स्थापना की गई. इसका मुख्यालय मुंबई में है. एसबीआई देश भर में 24 हजार शाखाएं और 59 हजार एटीएम संचालित कर रहा है.