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Article : Current Affairs 2 August 2018.
Updated at : Fri, 03 August, 2018 , 11:25:03 AM ( IST )
  1.   

लोकसभा में ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने हेतु विधेयक पारित


लोकसभा में 02 अगस्त 2018 को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का विधेयक सर्वसम्मति से पारित हो गया. लोकसभा में दो तिहाई से अधिक बहुमत के साथ सर्वसम्मति से मंजूरी प्रदान की गई.
लोकसभा ने राज्यसभा द्वारा विधेयक में किए गए संशोधनों को निरस्त करते हुए वैकल्पिक संशोधन तथा और संशोधनों के साथ ‘संविधान संशोधन (123वां संशोधन) विधेयक, 2017’ पारित कर दिया.
मुख्य तथ्य
•    सदन में मतविभाजन के दौरान विधेयक के पक्ष में 406 सदस्यों ने मत दिया. विपक्ष में एक भी वोट नहीं पड़ा. 
•    सरकार के संशोधनों को भी सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया. 
•    लोकसभा में करीब पांच घंटे तक चली चर्चा के दौरान 32 सदस्यों ने हिस्सा लिया. विधेयक के पारित होते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन में उपस्थित थे.
•    इससे पहले बीजू जनता दल के भर्तृहरि महताब द्वारा पेश संशोधन को सदन ने 84 के मुकाबले 302 मतों से नकार दिया.
•    केंद्र सरकार ने मार्च 2017 में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) को भंग कर दिया था. इसके बाद राष्ट्रीय आर्थिक और शैक्षणिक पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीएसईबीसी) के गठन को मंजूरी दी गई थी.

ओबीसी आयोग की विशेषताएं

अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आयोग सिविल कोर्ट की शक्तियों से लैस होगा. इस शक्ति से वह आरोपी को समन कर सकता है तथा सज़ा भी सुना सकता है. यह उसी तरह कार्य करेगा जैसे कि राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग करता है.

ओबीसी में शामिल जातियों पर यदि उससे उच्च जाति का व्यक्ति अत्याचार करता है और उसकी पुलिस सुनवाई नहीं करती है तो वह आयोग का दरवाजा खटखटा सकता है. ओबीसी जाति के आधार पर यदि उससे नौकरी में कोई भेदभाव होता है तो वह आयोग जा सकता है. उसे उसी तरह की सहायता मिलेगी जैसे अनुसूचित जाति आयोग में दलितों को मिलती है.

ओबीसी आयोग का गठन 
•    भारत के संविधान और लोकसभा द्वारा यथापारित तथा संशोधन के साथ राज्यसभा द्वारा लौटाए गए विधेयक में पृष्ठ एक की पंक्ति एक में ‘अड़सठवें’ के स्थान पर ‘उनहत्तरवें’ शब्द प्रतिस्थापित करने की बात कही गई है. 
•    इसमें सामाजिक एवं शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गो के लिए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग नामक एक नया आयोग होगा.
•    संसद द्वारा इस निमित्त बनाई गई किसी विधि के उपबंधों के अध्यधीन आयोग में एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और तीन अन्य सदस्य होंगे . 
•    इस प्रकार नियुक्त अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और अन्य सदस्यों की सेवा शर्तें एवं पदावधि ऐसी होगी जो राष्ट्रपति नियम द्वारा अवधारित करे. 
•    आयोग को अपनी स्वयं की प्रक्रिया विनियमित करने की शक्ति होगी.

चीन ने पृथ्वी अवलोकन हेतु हाई-रिज़ॉल्यूशन उपग्रह लॉन्च किया


प्रतीकात्मक फोटो

चीन ने 31 जुलाई 2018 को पृथ्वी अवलोकन हेतु हाई-रिजोल्यूशन उपग्रह परियोजना के तहत ऑप्टिकल रिमोट सेंसिंग उपग्रह गाओफेन-11 लॉन्च किया. यह उपग्रह चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड परियोजना में मदद करेगा.
चीन की समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, गाओफेन-11 उपग्रह को ताइयुआन उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र से लॉन्ग मार्च 4बी रॉकेट के जरिए सुबह 11 बजे लॉन्च किया गया. यह लॉन्ग मार्च रॉकेट श्रृंखला का 282वां मिशन था.
उपग्रह गाओफेन-11 के बारे में जानकारी

•    चीन द्वारा इस उपग्रह का इस्तेमाल भूमि सर्वेक्षण, शहरी योजना, सड़क नेटवर्क डिजाइन, कृषि और प्राकृतिक आपदा से बचाव के लिए किया जाएगा. 
•    इससे प्राप्त होने वाली जानकारी बेल्ट एंड रोड पहल के लिए भी इस्तेमाल की जाएगी.
•    यह उपग्रह एक ऑप्टिकल रिमोट सेंसिंग उपग्रह है जो राष्ट्रीय भूमि सर्वेक्षण, शहरी नियोजन, भूमि की पुष्टि, सड़क नेटवर्क डिजाइन, फसल उपज अनुमान और आपदा रोकथाम के संदर्भ में अहम भूमिका निभाएगा. 
•    इसके अतिरिक्त यह उपग्रह रक्षा उपकरणों के आधुनिक निर्माण में सूचनाओं की गारंटी भी दे सकेगा.

लॉन्ग मार्च रॉकेट
लॉन्ग मार्च रॉकेट या चंग्ज़्हेंग रॉकेट (Long March Rocket or Changzheng Rocket) चीन की सरकार के द्वारा संचालित एक्सपेंडेबल लांच सिस्टम का एक रॉकेट परिवार है. इसका विकास और डिजाइन चीन अकादमी प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी में किया गया. रॉकेट का नाम चीनी कम्युनिस्ट इतिहास के लॉन्ग मार्च की घटना के बाद नामित किया


तेजस लड़ाकू विमान ने 'डेक लैंडिंग' परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया


स्वदेश निर्मित लड़ाकू विमान तेजस के नौसेना प्रोटोटाइप ने 02 अगस्त 2018 को विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य पर ‘डेक लैंडिंग’ परीक्षण के दौरान डेक से संपर्क बनाकर बड़ी उपलब्धि हासिल की. इसके साथ ही भारत लड़ाकू विमानों की डेक लैंडिंग कराने वाले अमेरिका, यूरोप, रूस और चीन जैसे चुनिंदा देशों की श्रेणी में शामिल हो गया.
नौसेना के प्रवक्ता ने ट्वीट किया कि एलसीए नेवी (एनपी 2) ने विमानवाहक पोत पर हुक प्रणाली से लैंडिंग के लिए गोवा में पहली उड़ान भरी. 
तेजस परीक्षण के बारे में मुख्य तथ्य
•    हिन्दुस्तान ऐनोनोटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने भी एक वक्तव्य जारी कर कहा कि इस सफल अभ्यास के बाद भारत डेक लैंडिंग कराने वाले दुनिया के चुनिंदा देशों अमेरिका, यूरोप, रूस और चीन की श्रेणी में शामिल हो गया. 
•    कैप्टन शिवनाथ दहिया ने गोवा में नौसैनिक स्टेशन आईएनएस हंसा में तेजस का विमानवाहक पोत के डेक से सफलतापूर्वक संपर्क कराया और तुरंत फिर से उड़ान भरी. 
•    इस परीक्षण का हिन्दुस्तान ऐनोनोटिक्स लिमिटेड के वरिष्ठ अधिकारियों ने गहन निरीक्षण किया है.

डेक लैंडिंग क्या है?

डेक लैंडिंग में विमान के पिछले हिस्से में एक हुक बंधा होता है जो विमानवाहक पोत पर उतरने के दौरान डेक पर बंधे तार में अटककर विमान की गति को चंद सेंकेंड में धीमा कर उसे रोकने में मदद करता है. इस परीक्षण के बाद अब तेजस विमान के दो नौसेना प्रोटोटाइप अगले कुछ महीनों में डेक लैंडिंग का गहन परीक्षण करेंगे.

तेजस लड़ाकू विमान
तेजस लड़ाकू विमान का निर्माण हिन्दुस्तान एरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा किया गया है. यह चौथी पीढ़ी का लड़ाकू विमान है. दिसम्बर 2009 में गोवा समुद्र स्तरीय उड़ान परीक्षण के दौरान, तेजस ने 1,350 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की गति से उडा़न भरी. इस प्रकार यह हिन्दुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड द्वारा स्वदेश में निर्मित पहला सुपरसॉनिक लड़ाकू विमान बन गया है. भारतीय वायुसेना की पहली तेजस यूनिट का निर्माण 01 जुलाई 2016 को किया गया, जिसका नाम ‘नम्बर 45 स्क्वाड्रन आईएएफ फ्लाइंग ड्रैगर्स’ है

नीति आयोग ने ‘मूव हैक’ का शुभारंभ किया


नीति आयोग ने 02 अगस्त 2018 को वैश्विक मोबिलटी हैकथॉन-मूव हैक का शुभारंभ किया है. यह विश्व स्तर पर सबसे बड़े हैकथॉन में से एक होगा.

मूव हैक में दस विषयों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा और ऑनलाइन, सिंगापुर और नई दिल्ली में अंतिम रूप से संचालित होगा.

                                                    उद्देश्य:

नीति आयोग ने भारत में गतिशीलता के भविष्य के उद्देश्य से वैश्विक गतिशीलता हैकथॉन-मूव हैक का शुभारंभ किया है.

मूवहैक का उद्देश्य गतिशीलता से संबंधित समस्याओं के लिए अभिनव, गतिशील और मापनीय समाधान लाना है.

21 वीं शताब्दी के नवाचार और आर्थिक विकास के संभावित चालकों के रूप में परिवहन और गतिशीलता उभर कर सामने आई है.

मुख्य तथ्य:

  • गतिशीलता सेवाओं को वितरित करने के लिए तेजी से विकसित हो रही प्रौद्योगिकियों और व्यावसायिक मॉडल में वैश्विक परिवहन क्षेत्र को बदलने की क्षमता है.
  • पैदल यात्री और व्यक्तिगत परिवहन से सार्वजनिक परिवहन और माल ढुलाई तक की गतिशीलता अत्यंत महत्वपूर्ण है और यह ग्रामीण और शहरी दैनिक जीवन को प्रभावित करती है.
  • मूव हैक से अपेक्षाकृत गतिशीलता से संबंधित चुनौतियों के लिए अग्रणी और सरल समाधानों को सुलझाने की उम्मीद है और एकीकृत, अंतःस्थापित और आविष्कारशील वैश्विक समुदाय के विकास के लिए मार्ग प्रशस्त किया जाएगा.

हैकथॉन दो-स्तरीय:

जस्ट कोड इट: प्रौद्योगिकी/उत्पाद/सॉफ्टवेयर और डेटा विश्लेषण में, नवाचारों के माध्यम से समाधान किया जाएगा.

जस्ट साल्व इट: अभिनव व्यावसायिक विचार या टिकाऊ समाधान प्रौद्योगिकी के माध्यम से गतिशीलता बुनियादी ढांचे को बदलना पर संचालित किया जाएगा

मूव हैक सभी देशो के नागरिको के लिए खुला:

मूव हैक सभी देशो के नागरिको के लिए खुला है. इसके लिए पंजीकरण Https://www.movehack.gov.in पर किया जा सकता है.

ऑनलाइन आवेदन के शीर्ष तीस दल सिंगापुर की 1 और 2 सितंबर 2018 को यात्रा करेंगे, और इन्हे शीर्ष विशेषज्ञों के एक क्यूरेटेड समूह द्वारा सलाह दी जाएगी.

इसमे दलों को आकृति सुधार, व्यापार व्यवहार्यता, तकनीकी समाधान और ग्राहक लक्ष्यीकरण/विपणन सहित कई मापदंडों पर सलाह दी जाएगी. 5 और 6 सितंबर 2018 को नई दिल्ली में आयोजित अंतिम दौर में सिंगापुर चरण के शीर्ष 20 दल भाग लेंगे.

विजेताओं की घोषणा:

नीति आयोग द्वारा 7 और 8 सितंबर 2018 को आयोजित मूव शिखर सम्मेलन 2018 में विजेताओं की घोषणा की जाएगी और इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र करेंगे.हैकथॉन के लिए शीर्ष 10 विजेताओं को चुना जाएगा और इसमें 2 करोड़ से अधिक की पुरस्कार राशि प्रदान की जाएगी.हैकथॉन सिंगापुर सरकार के साथ संयुक्त रूप से आयोजित:हैकथॉन सिंगापुर सरकार के साथ संयुक्त रूप से आयोजित किया जाएगा है और इसका संचालन हैकर अर्थ द्वारा किया जाएगा.कार्यक्रम में पीडब्ल्यूसी ज्ञान भागीदार और नेस्काम रणनीतिक साझेदार है. इसका मूल्यांकन एक जूरी द्वारा किया जाएगा जिसमें विषय विशेषज्ञ विशेषज्ञ, उद्यम पूंजीपति, व्यापारिक नेता और सफल उद्यमी शामिल होंगे.

मूव हैक:मूव हैक दुनिया का पहला मंच है जिसने सार्वजनिक परिवहन, निजी परिवहन, सड़क सुरक्षा, बहुआयामी कनेक्टिविटी और शून्य उत्सर्जन वाहनों जैसी नई आयु परिवहन प्रौद्योगिकी को शामिल किया है.



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