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Article : Current Affairs 5 august 2018.
Updated at : Mon, 06 August, 2018 , 07:35:22 AM ( IST )
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ब्रिटेन ने भारतीय मूल के लोगों में अंग प्रत्यारोपण की समस्याओं से निपटने के लिए नया कानून बनाया


ब्रिटेन सरकार ने 05 अगस्त 2018 को देश में भारतीय मूल के लोगों में प्रत्यारोपण के लिए अंगों की तत्काल आवश्यकता को पूरा करने के लिए अंग और ऊतक दान देने संबंधी कानून में परिवर्तन की नई योजनाओं की घोषणा की हैं. इसका मुख्य लक्ष्‍य भारतीय मूल के अपने नागरिकों की जरूरतें पूरी करना है.

अंग और ऊतक दान करने में सहमति से जुड़ी नई प्रणाली के इंग्लैंड में 2020 से प्रभावी होने की संभावना है. इसे अश्‍वेत, एशियाई और अल्‍पसंख्‍यक जातीय लोगों की सहायता के लिए एक अभियान के हिस्‍से रूप में घोषित किया गया है, जो लंबे समय से जीवन बचाव के लिए अंग प्रत्‍योरोपण का इंतजार कर रहे हैं.

मुख्य तथ्य:

  • इस नई प्रस्तावित सहमति प्रणाली के तहत वह लोग भी सरकार द्वारा वित्तपोषित राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) अंग दान रजिस्टर (ओडीआर) में अपना निर्णय दर्ज करा पाएंगे जो अंग दान नहीं करना चाहते हैं.
  • दरअसल भारतीय मूल के लोगों में अंग दान का स्तर कम होने की वजह से हुई कई मौतें हो जाती हैं.
  • भारतीय मूल के लोगों में अंग दान का स्तर कम होने के कारण हो रही मौतों पर एनएचएस की एक रिपोर्ट आई है. इसी को ध्यान में रखते हुए कानून में बदलाव की योजना है.
  • यह घोषणा ऐसे समय में हुई है जब हाल की एक रिपोर्ट में एनएचएस से कहा गया था कि वह ब्रिटेन में रह रहे भारतीय मूल के लोगों में अंग दान का स्तर कम होने की वजह से हुई मौतों पर सक्रिय रूप से निर्णय लें.
  • नेशनल हेल्‍थ सर्विस (एनएचएस) की रिपोर्ट के अनुसार अश्‍वेत, एशियाई और अल्‍पसंख्‍यक जातीय लोगों में अंगदान की प्रतीक्षा के कारण पिछले वर्ष ब्रिटेन में 21 प्रतिशत मौते हुई जबकि एक दशक पहले यह दर 15 प्रतिशत थी.
  • ब्रिटेन में भारतीय मूल के लोगों में उच्‍च मृत्‍यु दर को देखते हुए अंगदान की दिशा में सक्रिय उपायों की आवश्‍यकता उजागर की गई थी.
  • उच्‍च मृत्‍यु दर का कारण यह पाया गया कि भारतीय मूल के नागरिकों में समुदाय के भीतर अंगदान करने की प्रवृत्ति का अभाव है
  • फैक्ट बॉक्स: क्या है अनुच्छेद 35A तथा अनुच्छेद 370


    सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 35ए को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई 27 अगस्त तक के लिए टाल दी गई है. मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट में दो ही जज बैठे थे. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि मामला संविधान पीठ को भेजने पर विचार तीन जजों की बेंच ही कर सकती है. ऐसे में सुनवाई दो सप्ताह के लिए टाल दी गई है.

    जम्मू-कश्मर में अलगाववादियों सहित कई राजनीतिक दलों ने अनुच्छेद 35ए पर यथास्थिति बनाए रखने की मांग की है. अनुच्छेद 35ए के समर्थन में राज्य में आज बंद का दूसरा दिन है. बंद के दौरान राज्य में कई स्थानों पर रैलियां निकाली जा रही हैं और प्रदर्शन किए जा रहे हैं.

    अनुच्छेद 35ए से संबंधित विभिन्न तथ्य

    जम्मू-कश्मीर को भारत के विशेष राज्य का दर्जा प्रदान किया गया है. यह दर्जा संविधान के अनुच्छेद 35A एवं 370 द्वारा प्रदान किया गया है. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस विशेष दर्जे को हटाने अथवा बनाये रखने के लिए चर्चा आरंभ की गयी.
    संविधान का यह प्रावधान राजनीतिक विवाद का केंद्र भी रहा है. यह एक अस्थायी अनुच्छेद है जिसे आवश्यकता पड़ने पर समाप्त भी किया जा सकता है इसलिए कुछ राजनीतिक पार्टियां इसके विरोध में भी रही हैं.

    अनुच्छेद-35A

    •    अनुच्छेद 35A को मई 1954 में राष्ट्रपति के आदेश द्वारा इसे संविधान में जोड़ा गया. 
    •    यह अनुच्छेद जम्मू-कश्मीर विधान सभा को स्थायी नागरिक की परिभाषा तय करने का अधिकार देता है.
    •    राज्य जिन नागरिकों को स्थायी घोषित करता है केवल वही राज्य में संपत्ति खरीदने, सरकारी नौकरी प्राप्त करने एवं विधानसभा चुनावों में मतदान का अधिकार रखते हैं.
    •    यदि जम्मू-कश्मीर का निवासी राज्य से बाहर के किसी व्यक्ति से विवाह करता है तो वह यह नागरिकता खो देगा.
    •    1954 के जिस आदेश से अनुच्छेद 35A को संविधान में जोड़ा गया था, वह आदेश अनुच्छेद 370 की उपधारा (1) के अंतर्गत राष्ट्रपति द्वारा पारित किया गया था.

    अनुच्छेद-370
    •    धारा 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से सम्बन्धित क़ानून को लागू करवाने के लिये केन्द्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिये.
    •    इसी विशेष दर्ज़े के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती.
    •    इस कारण राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्ख़ास्त करने का अधिकार नहीं है.
    •    जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता (भारत और कश्मीर) होती है.
    •    भारत की संसद जम्मू-कश्मीर के सम्बन्ध में अत्यन्त सीमित क्षेत्र में कानून बना सकती है.
    •    जम्मू-कश्मीर का राष्ट्रध्वज अलग है. वहां के नागरिकों द्वारा भारत के राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना अनिवार्य नहीं है.

    वैज्ञानिकों ने सौर मंडल के बाहर ग्रहों के समूह की पहचान की


    वैज्ञानिकों ने हाल ही में सौर मंडल के बाहर ग्रहों के समूह की पहचान की. इन ग्रहों पर उसी तरह की रासायनिक स्थितियां हैं जो संभवत धरती पर जीवन का कारण बनी होंगी.

    ब्रिटेन में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि पृथ्वी जैसे एक चट्टानी ग्रह की सतह पर जीवन के विकास की संभावनाएं हैं और इनका संबंध ग्रह के ‘‘होस्ट स्टार’’ से है.

    साइंस एडवांस जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में दावा किया गया है कि पृथ्वी पर पहले पहल हुए जीवन के विकास की स्थिति की ही तरह तारों ने पराबैंगनीकिरणों (यूवी) के प्रकाश को उसी तरह इन ग्रहों पर भी छोड़ा जिससे इन ग्रहों में भी जीवन की शुरूआत हो सकती है.

    मुख्य तथ्य:

    • पृथ्वी पर यूवी प्रकाश से रासायनिक प्रतिक्रियाएं होती हैं और इससे जीवन का निर्माण होता है.
    • शोधकर्ताओं ने ऐसे कई ग्रहों की पहचान की है जहां उनके ‘‘होस्ट स्टार’’ से यूवी प्रकाश इन रासायनिक प्रतिक्रियाओं को होने की अनुमति देने के लिए पर्याप्त है और यह रहने योग्य सीमा के भीतर स्थित है जहां ग्रह की सतह पर तरल पानी भी मौजूद हो सकता है.
    • धरती पर यूवी प्रकाश से केमिकल रिएक्‍शन होते हैं और इससे जीवन का निर्माण होता है.
    • शोधकर्ताओं ने पाया कि धरती जैसे चट्टानी ग्रह पर जीवन के विकास की संभावनाओं का संबंध उस तारे से होता है जिसकी वह परिक्रमा करता है.
    • ब्रिटेन में कैंब्रिज और मेडिकल रिसर्च काउंसिल लेबोरेटरी ऑफ मोलेक्यूलर बायोलॉजी के शोधकर्ता पॉल रिमर ने कहा की यह अध्ययन हमें जीवन की तलाश के लिए बेहतर स्थानों तक सीमित कर सकता है.
    • हमारे सौरमंडल में इस ग्रह के समान कोई दूसरा ग्रह नहीं है और यह आज तक खोजे गए हजारों बाहरी ग्रह में से सबसे दुर्लभ है.
    • इससे पहले हाल में वैज्ञानिकों ने ऐसे कई ग्रह खोजे थे जिनमें जीवन की संभावना को प्रबल बताया गया था.


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