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Article : Current Affairs 6 aug 2018.
Updated at : Tue, 07 August, 2018 , 07:29:56 AM ( IST )
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इंद्रा नूई ने पेप्सिको के सीईओ पद से इस्तीफा दिया

इंद्रा नूई ने पेप्सीको के सीईओ के पद को छोड़ने का फैसला किया है. इंद्रा नूई ने 12 सालों तक कंपनी के अहम पद की जिम्मेदारी संभालने के बाद 06 अगस्त 2018 को पेप्सीको की सीईओ पद से इस्तीफा देने का फैसला किया. वे 03 अक्टूबर 2018 को अपना पद छोड़ देंगी. उन्होंने कंपनी के साथ 24 साल तक काम किया.

इंद्रा नूई की जगह मौजूदा समय में कंपनी में प्रेसिडेंट के पद पर कार्यरत रामोन लगूर्टा नए सीईओ बनेंगे. लगूर्टा पिछले 22 साल से पेप्सिको के साथ हैं. 03 अक्टूबर को ही लगूर्टा पेप्सिको के नए सीईओ का पद संभाल लेंगे.

इंद्रा पेप्सिको में सीईओ और चेयरमैन दोनों पद पर काम कर रहीं थी. वे वर्ष 2019 की शुरुआत में चेयरमैन का पद भी छोड़ देंगी.

                                                                    पुरस्कार और मान्यताएं:

इंद्रा नूई लगातार विश्व की टॉप 100 पावरफुल महिलाओं की लिस्ट में शामिल हो रही हैं. उनको वर्ष 2015 में फॉर्च्युन ने विश्व की दूसरी सबसे पावरफुल महिला का खिताब दिया था.

 Indra Nooyi to step down as Pepsico CEO after 12 years

वर्ष 2008 में, वह कला और विज्ञान के अमेरिकन अकादमी की फैलोशिप के लिए चुनी गई थी. जनवरी 2008 में, नूई को यू एस-भारत व्यापार परिषद में सभाध्यक्ष चुना गया था.

वर्ष 2012 में अमेरिका में मंदी के दौर से निपटने और आर्थिक रणनीति तय करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इंद्रा नुई सहित भारतीय मूल के दो अन्य लोग को चर्चा के लिए आमंत्रित किया था.

पेप्सिको में इंद्रा नूई का कार्यकाल:

इंद्रा की उपलब्धियों पर कंपनी ने एक बयान में कहा कि 31 दिसंबर 2006 से 31 दिसंबर 2017 तक कंपनी ने 162 फीसदी का रिटर्न दिया है. उनके कार्यकाल के दौरान निवेशकों को 5.4 लाख करोड़ रुपए लौटाए गए. इंद्रा नूई के समय में 2006 से डिविडेंड 1.16 डॉलर से बढ़कर 3.17 डॉलर हो गया. कंपनी के बयान के मुताबिक कंपनी हर साल 5.5 फीसदी की दर से ग्रोथ कर रही है.

 Indra Nooyi to step down as Pepsico CEO after 12 yearsइंद्रा नूई के बारे में:

•    इंद्रा नूई का पूरा नाम इंद्रा कृष्णमूर्ति नूई है.

•    उनका जन्म 28 अक्टूबर 1955 को चेन्नई में हुआ था.

•    उन्होंने वर्ष 1976 में कोलकाता स्थि इंडियन इंस्टिड्यूट ऑफ मैनेजमेंट से पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा किया और उसके बाद अमेरिकी हेल्थकेयर कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन में नौकरी की.

•    इंद्रा ने कई कंपनियों में काम करने के बाद वर्ष 1994 में पेप्सिको ज्वाइन किया.

•    वे 10 साल के बाद वर्ष 2004 में कंपनी की मुख्य फाइनेंस अधिकारी और वर्ष 2006 में कंपनी की सीईओ बनीं.

•    उन्हें वर्ष 2007 में भारत का प्रतिष्ठित पद्म भूषण सम्मान भी दिया गया था.

चीन ने हाइपरसॉनिक विमान का सफल परीक्षण किया


चीन ने 06 अगस्त 2018 को पहले अत्याधुनिक हाइपरसॉनिक विमान का सफल परीक्षण किया है. यह विमान परमाणु आयुधों को ले जाने में और मौजूदा किसी भी मिसाइल रोधी रक्षा प्रणालियों को भेदने में सक्षम है. 

चाइना एकेडमी ऑफ एयरोस्पेस एयरोडाइनामिक्स (सीएएए) ने एक बयान में कहा कि शिंगकोंग-2 उत्तर पश्चिम चीन के एक परीक्षण स्थल से प्रेक्षित किया गया. समाचार एजेंसी द्वारा जारी जानकारी के अनुसार एक एयरक्राफ्ट को रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया. यह स्वतंत्र रूप से उड़ा और पूर्व नियोजित क्षेत्र में उतरा.

शिंगकोंग-2 की विशेषता

हाइपरसॉनिक विमान का डिजाइन सीएएए ने चाइना एयरोस्पेस साइंस ऐंड टेक्नोलोजी कारपोरेशन के साथ गठबंधन करके तैयार किया है. यह चीन का पहला हाइपरसोनिक विमान है. परीक्षण के दौरान विमान ने ध्वनि की गति से छह गुना ज्यादा 4,563 मील (7,344 किमी/घंटा) की रफ़्तार हासिल की. चीन इस प्रकार का विमान बनाने वाला विश्व का पहला देश बन गया है जबकि अमेरिका ने वर्ष 2023 तक इस प्रकार का विमान विकसित किये जाने की घोषणा की है.

हाइपरसॉनिक विमान के बारे में
हाइपरसॉनिक एयरक्राफ्ट उन विमानों को कहते हैं जो ध्वनि के वेग से भी अधिक वेग से उड़ सकते हैं. ऐसे विमानों का विकास 21वीं सदी में हो रहा है. इनका उपयोग प्रायः अनुसंधान एवं सैनिक उपयोग के लिये तय किया गया है. यह लड़ाकू विमान ध्वनि के वेग के पाँच गुना से भी अधिक वेग (5 मैक से अधिक) से उड़ते हैं.

लोकसभा ने एससी/एसटी कानून संशोधन विधेयक, 2018 पारित किया


लोकसभा ने 06 अगस्त 2018 को अनुसूचित जाति और जनजाति (एससी/एसटी) अत्‍याचार निवारण संशोधन विधेयक, 2018 पारित कर दिया है. सदन में चर्चा के बाद इस बिल को सर्वसम्मति से पास कर दिया गया.

विधेयक में 1989 में बने इसी अधिनियम में संशोधन का प्रस्‍ताव है ताकि अधिनियम की मूल भावना को बनाए रखा जा सके.

यह संशोधन विधेयक लोकसभा में केंद्रीय न्याय एवं आधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने पिछले सप्ताह पेश किया था. इसके निर्णय आने के समय में अनिश्चितता को देखते हुए सरकार ने ये संशोधन विधेयक लाने का निर्णय लिया है.

सरकार ने दलित संगठनों के बढ़ते विरोध को देखते हुए इस बिल को पहले कैबिनेट के सामने पेश किया. कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद इसे लोकसभा में पेश किया गया था. अब इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा.

करीब छह घंटे तक चली चर्चा के बाद सदन ने कुछ सदस्यों के संशोधनों को नकारते हुए ध्वनिमत से विधेयक को मंजूरी दे दी.

विधेयक से संबंधित मुख्य तथ्य:

  • इस विधेयक में न सिर्फ पिछले कड़े प्रावधानों को वापस जोड़ा गया है बल्कि और ज्यादा सख्त नियमों को भी इसमें सम्मिलित किया गया है.
  • अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के खिलाफ होनेवाले अत्याचारों को रोकने के लिए बना कानून पहले की तरह ही सख्त रहेगा.
  • इस विधेयक के जरिए न सिर्फ इस मामले में पहले से बना कानून बहाल होगा बल्कि इसे और सख्त बनाया जा सकेगा.
  • सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी, लेकिन न्याय मिलने में देरी ना हो इसलिए विधेयक के जरिए कानून में बदलाव किया जा रहा है.
  • जिस व्यक्ति पर एससी-एसटी कानून का अभियोग लगा हो तो उस पर कोई और प्रक्रिया कानून लागू नहीं होगा.
  • किसी व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर रजिस्टर करने के लिए प्रारंभिक जांच की जरूरत नहीं होगी.
  • ऐसे व्यक्ति की गिरफ्तारी से पहले जांच अधिकारी को किसी अनुमोदन की जरूरत नहीं होगी.
  • आरोपी व्यक्ति को अग्रिम जमानत भी हासिल नहीं हो सकेगी.
  • इस विधेयक के कानून बनने के बाद दलितों पर अत्याचार के मामले दर्ज करने से पहले पुलिस को किसी की अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी और मुजरिम को अग्रिम जमानत भी नहीं मिलेगी.
  • प्राथमिकी दर्ज करने से पहले पुलिस जांच की भी जरूरत नहीं होगी और पुलिस को सूचना मिलने पर तुरंत प्राथमिकी दर्ज करनी पड़ेगी.
  • विधेयक में यह भी व्यवस्था की गयी है कि किसी भी न्यायालय के फैसले या आदेश के बावजूद दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 438 के प्रावधान इस कानून के तहत दर्ज मामले में लागू नहीं होंगे

पृष्ठभूमि:

सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को एससी/एसटी अत्याचार निवारण कानून के कुछ सख्त प्रावधानों को हटा दिया था जिसके कारण इससे जुड़े मामलों में तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लग गयी थी और प्राथमिकी दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच जरूरी हो गयी थीदलित संगठनों ने सरकार से कानून को फिर से बहाल करने की मांग की थी, जिसके बाद सरकार ये कानून लेकर आई है. इस कानून में जो बदलाव किए गए हैं उसके अनुसार पहले एससी-एसटी कानून के दायरे में 22 श्रेणी के अपराध आते थे, लेकिन अब इसमें 25 अन्य अपराधों को शामिल करके कानून काफी सख्त बनाया जा रहा है.



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