Prem's Career Coaching
Phone No. +91-9302959282, RAIPUR, Chattisgarh


Article : Current Affairs One liner 18 June 2018.
Updated at : Thu, 21 June, 2018 , 03:55:32 AM ( IST )

भारत ने अमेरिका के उत्पादों पर बढ़ाया आयात शुल्क

जानकारी के अनुसार भारत ने 30 अमेरिकी उत्पादों पर आयात शुल्क में वृद्धि कर दी है।

नई दिल्ली। अमेरिका और चीन के बीच जारी ट्रेड वॉर के बीच भारत ने एक बड़ा कदम उठाया है। एक सरकारी नोटिस के जरिए सामने आई इस जानकारी के अनुसार भारत ने 30 अमेरिकी उत्पादों पर आयात शुल्क में वृद्धि कर दी है। इनमें कृषि के अलावा स्टील, लोहे के उत्पाद शामिल हैं। भारत ने इस शुल्क को 70 फीसद तक बढ़ाया है जो 4 अगस्त से लागू हो जाएगा।

ऐसा करके भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस कदम का जवाब दिया है जिसमें उन्होंने स्टील और एल्युमिनयम के उत्पादों पर शुल्क लगाया था। इस जवाबी पलटवार ने उसे यूरोपीय यूनियन और चीन की कतार में खड़ा कर दिया है।

बुधवार को जारी किए गए टैरिफ रेट्स में भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने कुछ विशेष किस्म के सेबों, बादाम, छोले, मसूर, अखरोट और आर्टेमिया के ऊपर ऊंची दर पर शुल्क लगाने का फैसला किया है। इनमें से अधिकांश चीजें अमेरिका से आयात की जाती हैं।

भारत ने कुछ किस्म के लोहे एवं इस्पात उत्पादों पर भी आयात शुल्क में इजाफा किया है। पिछले महीने, भारत ने विश्व व्यापार संगठन में स्टील एवं एल्युमिनियम पर शुल्क में इजाफा करने के अमेरिका के फैसले खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराई थी।

हालांकि, अमेरिका से आयातित मोटरसाइकिलों पर शुल्क नहीं बढ़ाया गया है। अमेरिका ने हाल ही में चुनिंदा इस्पात एवं एल्युमिनियम उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ा दिया था। इससे भारत पर 24.1 करोड़ डॉलर (करीब 1650 करोड़ रुपये) का शुल्क बोझ पड़ा था। भारत ने इसी के जवाब में ये शुल्क लगाए हैं।

गौरतलब है स्टील एवं एल्युमिनियम पर अमेरिका की ओर से बढ़ाई गई इंपोर्ट ड्यूटी का यूरोपीय यूनियन और चीन दोनों ने विरोध किया था। जवाबी कार्यवाही में चीन ने भी अमेरिका के कई उत्पादों पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने का फैसला किया था।

आपको बता दें कि भारत सरकार की ओर से यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब हाल ही में यूरोपियन यूनियन (ईयू) ने अमेरिका से आने वाले तमाम प्रोडक्ट्स (उत्पादों) पर ऊंची दर पर आयात शुल्क लगाने का फैसला किया था।

ट्रांसपोर्टरों को ई-वे बिल में सरकार ने दी राहत

जीएसटी के तहत ई-वे बिल से परेशान हो रहे ट्रांसपोर्टरों को सरकार ने कुछ राहत दी है।

नई दिल्ली। जीएसटी के तहत ई-वे बिल से परेशान हो रहे ट्रांसपोर्टरों को सरकार ने कुछ राहत दी है। अलग-अलग राज्यों में कारोबार करने वाले ट्रांसपोर्टरों के लिए सरकार ने नए नियम जारी किए हैं। ऐसे ट्रांसपोर्टरों को अब अलग-अलग राज्यों के लिए कई ई-वे बिल जेनरेट करने की आवश्यकता नहीं होगी। लेकिन यह सुविधा प्राप्त करने के लिए उन्हें एक यूनिक कॉमन एनरोलमेंट नंबर प्राप्त करना होगा।

वित्त मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी करके कहा है कि ऐसे ट्रांसपोर्टर जो एक से अधिक राज्यों में पंजीकृत हैं और एक ही परमानेंट एकाउंट नंबर का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें अब अलग-अलग राज्यों के लिए ई-वे बिल जेनरेट करने की आवश्यकता नहीं होगी।

ऐसे ट्रांसपोर्टर यूनिक नंबर लेने के लिए अपने किसी भी गुड्स एंड सविर्स टैक्स आइडेंटिफिकेशन नंबर (जीएसटीआइएन) का इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन सरकार ने स्पष्ट किया है कि इसके बाद ट्रांसपोर्टर अपने किसी भी अन्य जीएसटीआइएन का आगे इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। यूनिक नंबर के लिए आवेदन जीएसटी ईएनआर-2 के जरिये किया जा सकेगा।

ट्रांसपोर्टरों को अभी ई-वे बिल जेनरेट करने के बाद एक फाइनल रिपोर्ट जमा करनी होती है। रिपोर्ट में इस बात का ब्यौरा होता है कि जिन वस्तुओं के लिए टैक्स जमा किया गया है, उसकी डिलीवरी कर दी गई है। इसके आधार पर ही माल पाने वाले कारोबारी के टैक्स असेसमेंट का वेरिफिकेशन किया जाता है।

जानकारों का मानना है कि विभिन्न राज्यों में पंजीकृत ट्रांसपोर्टरों के लिए अलग-अलग ई-वे बिल जेनरेट करना काफी दिक्कत भरा काम काम हो रहा था। सभी ट्रांसपोर्टरों को अलग-अलग राज्यों में उस राज्य से संबंधित जीएसटीआइएन से लॉगिन कर ई-वे बिल जेनरेट करने पड़ते थे। लेकिन अब यूनिक कॉमन नंबर का इस्तेमाल कर वे पूरे देश के लिए ई-वे बिल जेनरेट कर पाएंगे।

पांच राज्यों के भीतर माल ढुलाई के राज्य के भीतर यानी इंट्रा-स्टेट माल की ढुलाई के लिए 15 अप्रैल से ई-वे बिल की आवश्यकता होगी।नई दिल्ली। राज्य के भीतर यानी इंट्रा-स्टेट माल की ढुलाई के लिए 15 अप्रैल से ई-वे बिल की आवश्यकता होगी। इसकी शुरुआत फिलहाल पांच राज्यों से हो रही है। एक राज्य से दूसरे राज्य में सामान ले जाने के लिए ई-वे बिल पहली अप्रैल से अनिवार्य हो चुका है।वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को जारी बयान में कहा है कि राज्य की सीमा के भीतर भी पचास हजार रुपये से अधिक की कीमत का माल ले जाने के लिए ई-वे बिल की आवश्यकता होगी। पहले चरण में जिन पांच राज्यों से इसकी शुरुआत हो रही है उनमें उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात और केरल शामिल हैं। मंत्रालय का मानना है कि इन राज्यों में ई-वे बिल लागू होने के बाद कारोबारियों को माल ढुलाई में और सहूलियत होगी।इन राज्यों के ट्रांसपोर्टरों, कारोबारियों और उद्योगों को ई-वे बिल पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन या नामांकन कराना होगा। एक राज्य से दूसरे राज्य में माल की ढुलाई के लिए पहली अप्रैल से लागू होने के बाद सोमवार तक 63 लाख ई-वे बिल जेनरेट किये गये। कर्नाटक अकेला राज्य था जिसने पहली अप्रैल से ही राज्य के भीतर माल ढुलाई के लिए ई-वे बिल की व्यवस्था लागू कर दी थी।पिछले महीने ही जीएसटी काउंसिल ने देश में ई-वे बिल की व्यवस्था चरणबद्ध तरीके से लागू करने का फैसला किया था। इसके तहत ही पहली अप्रैल से एक राज्य से दूसरे राज्य में माल की ढुलाई के लिए ईवे बिल की व्यवस्था लागू की गई थी। और अब 15 अप्रैल से राज्यों के भीतर सामान की आवाजाही के लिए जल्द इसकी शुरुआत हो रही है।सरकार का मानना है कि ई-वे बिल की व्यवस्था लागू होने से न केवल टैक्स की चोरी रुकेगी बल्कि सरकार के राजस्व में वृद्धि होगी क्योंकि इससे अब तक नकदी की व्यवस्था के तहत हो रहा काम बंद हो जाएगा। ई-वे बिल की व्यवस्था को पहले एक फरवरी से लागू किया गया था। लेकिन सिस्टम में आई गड़बड़ी के चलते इसे टाल दिया गया था।1 अप्रैल से लागू होगा E-वित्त WayBill,पजीकरण कराएं कारोबारी

ई-वे बिल व्यवस्था पहली अप्रैल से लागू हो रही है।नई दिल्ली। ई-वे बिल व्यवस्था पहअप्रैल से लागू हो रही है। सरकार ने कारोबारियों और ट्रांसपोर्टरों को ई-वे पोर्टल पर पंजीकरणकराने के लिए कहा है। वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार अब तकइस पर करीब 11 लाख कारोबारी पंजीकरण करवा चुके हैं।सचिव हसमुख अढियाने कहा कि नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली का संचालन करने वाला जीएसटी नेटवर्कई-वे बिल व्यवस्था अप्रैल से शुरू करने के लिए पूरी तरह तैयार है।एसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रकाश कुमार ने कहा कि अंतिम दौर में ई-वे बिल के लिए ज्यादा पंजीकरण होने की संभावना है। जीएसटी के तहत 1.05 करोड़ व्यवसाय पंजीकृृत हैं।जीएसटी के ई-वे बिल व्यवस्था पहले एक फरवरी से लागू की गई थी तकनीकी खामियां आने के बाद इसके कार्यान्वयन पर रोक लगा दी गई थी। इसके बाद वित्त मंत्रालय ने जीएसटीएन को प्रणाली दुुरुस्त करके पूरी तरह तैयार करने को कहा।इस महीने की शुरुआत में जीएसटी काउंसिल ने अंतर-राज्यी परिवहन के लिए ई-वे बिल पहली अप्रैल से और राज्य के अंदर परिवहन के लिए ई-वे बिल चरणबद्ध तरीके से 15 अप्रैल से लागू करने का फैसला किया था।क्या है ई--वे बिल-इस व्यवस्था के तहत व्यवसायियों को राज्य में या उसके बाहर 50 हजार रुपये से अधिक कीमत के सामान की ढुलाई के लिए जीएसटी निरीक्षक के समक्ष ई-वे बिल पेश करनाजरूरीहोगा।

टीम इंडिया पहली विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) की अपनी शुरुआती सीरीज खेलने के लिए वेस्टइंडीज का दौरा करेगी।

दुबई। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने बुधवार को अगले पांच साल यानी 2019 से 2023 के फ्यूचर टूर प्रोग्राम (एफटीपी) जारी कर दिए हैं। इसके तहत मिली जानकारी के मुताबिक, टीम इंडिया पहली विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) की अपनी शुरुआती सीरीज खेलने के लिए वेस्टइंडीज का दौरा करेगी।



Prem's Career Coaching
Phone No. +91-9302959282, RAIPUR, Chattisgarh