जस्टिस जे चेलमेश्वर के रिटायरमेंट के दो दिन बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामलों के आवंटन के लिए 24 जून 2018 को नया रोस्टर जारी किया है. यह रोस्टर दो जुलाई से प्रभावी होगा क्योंकि ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद न्यायालय का नियमित कामकाज दो जुलाई से शुरू होगा.
सुप्रीम कोर्ट के 10 न्यायाधीश |
इस अधिसूचना में उन मामलों की सूची है जिनकी सुनवाई मुख्य न्यायाधीश और 10 अन्य न्यायाधीशों - जस्टिस गोगोई, जस्टिस लोकुर, जस्टिस जोसेफ, जस्टिस ए के सीकरी, जस्टिस एस ए जस्टिस बोबडे, जस्टिस एन वी रमण, जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस ए के गोयल, जस्टिस आर एफ नरीमन और जस्टिस ए एम सप्रे की पीठों द्वारा की जानी है. |
सुप्रीम कोर्ट का नया रोस्टर
• मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ सभी जनहित याचिकाओं, सामाजिक न्याय, चुनाव, बंदी प्रत्यक्षीकरण और अदालत की अवमानना से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करेगी.
• न्यायमूर्ति चेलमेश्वर की सेवानिवृति के बाद सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश बन चुके न्यायमूर्ति रंजन गोगोई श्रम कानूनों, अप्रत्यक्ष करों, पर्सनल लॉ और कंपनी कानून से जुड़े मामलों की सुनवाई करने का अधिकार दिया गया है.
• न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ को सेवा, सामाजिक न्याय, पर्सनल लॉ, भूमि अधिग्रहण, खदान एवं खनिज, उपभोक्ता संरक्षण और सशस्त्र एवं अर्धसैनिक बलों से जुड़े मामलों की सुनवाई की जिम्मेदारी दी गई है.
• न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर पारिस्थितिकीय असंतुलन, वन संरक्षण, वन्यजीव संरक्षण, पेड़ों की कटाई और भूजल स्तर से जुड़े मामलों की भी सुनवाई करेंगे.
• न्यायमूर्ति जोसेफ की पीठ को श्रम कानूनों, किराया कानून, पारिवारिक कानून, अदालत की अवमानना और पर्सनल लॉ के मामले दिए गए हैं. वह धार्मिक एवं परमार्थ दान के अलावा सभी भूमि कानूनों एवं कृषि काश्तकारियों के मामलों की भी सुनवाई करेंगे.
• उच्चतम न्यायालय के पांच सदस्यीय कोलेजियम के नए सदस्य न्यायमूर्ति सीकरी की पीठ प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष करों, चुनाव एवं आपराधिक मामलों, पर्सनल लॉ, अदालत की अवमानना, सामान्य दीवानी मामलों और विधि अधिकारियों की नियुक्ति के मामलों की सुनवाई करेगी.
पृष्ठभूमि
जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस गोगोई, तथा जस्टिस एम बी लोकुर और कुरियन जोसेफ ने 12 जनवरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सुप्रीम कोर्ट पर मामलों के आवंटन में गड़बड़ी के आरोप लगाए थे. इसके बाद एक फरवरी को पहली बार सुप्रीम कोर्ट का रोस्टर सार्वजनिक किया गया था. तब से सुप्रीम कोर्ट के रोस्टर को सार्वजनिक किया जा रहा है ताकि मामलों के आवंटन को लेकर किसी में मतभेद न रहे.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में मेट्रो रेल प्रणाली के लिए मानक तय करने के लिए एक समिति का गठन किये जाने को 24 जून 2018 को मंज़ूरी प्रदान की.
समिति की कमान जाने माने मेट्रोमैन ई श्रीधरन को दी गयी है. श्रीधरन वर्ष 1995 से 2012 तक दिल्ली मेट्रो के प्रबंध निदेशक रहे हैं.
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली मेट्रो की मुंडका से बहादुरगढ़ तक विस्तार का विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया. उन्होंने कहा कि शहरों में सुविधाजनक, आरामदेह और सस्ती यातायात प्रणाली बनाना उनकी प्राथमिकता है. उन्होंने मेट्रो रेल के कोच देश में मेक इन इंडिया के तहत बनाये जाने पर जोर दिया.
ई-श्रीधरन के बारे में जानकारी
• ई श्रीधरन का जन्म 12 जून 1932 को केरल स्थित पलक्कड़ में हुआ था. वे भारत के एक प्रख्यात सिविल इंजीनियर हैं.
• उन्होंने आंध्र प्रदेश के काकीनाडा स्थित गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया जहां उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग डिग्री हासिल की.
• वे 1995 से 2012 तक दिल्ली मेट्रो के निदेशक रहे. उन्हें भारत के 'मेट्रो मैन' के रूप में भी जाना जाता है.
• भारत सरकार द्वारा उन्हें 2001 में पदम् श्री तथा 2008 में पदम् विभूषण से भी सम्मानित किया गया.
• वर्ष 1963 में रामेश्वरम और तमिलनाडु को आपस में जोड़ने वाला पम्बन पुल टूट गया था. रेलवे ने उसके पुननिर्माण के लिए छह महीने का लक्ष्य तय किया, लेकिन उस क्षेत्र के इंजार्च ने यह अवधि तीन महीने कर दी और जिम्मेदारी श्रीधरन को सौंपी गई. श्रीधरन ने मात्र 45 दिनों के भीतर काम करके दिखा दिया.
• वर्ष 1970 में ई. श्रीधरन को कोलकाता मेट्रो की योजना, डिजाईन और कार्यान्वयन का उत्तरदायित्व सौंपा गया.
• भारत की पहली सर्वाधिक आधुनिक रेलवे सेवा कोंकण रेलवे के पीछे ई श्रीधरन का प्रखर मस्तिष्क, योजना और कार्यप्रणाली रही है.
• वर्ष 2013 में उन्हें जापान का राष्ट्रीय सम्मान ऑर्डर ऑफ द राइजिंग सन, गोल्ड एंड सिल्वर स्टार प्रदान किया गया.
गुजरात सरकार ने किसानों की बिजली समस्या के समाधान हेतु ‘सूर्य शक्ति किसान योजना’ शुरू की है. गुजरात के 18 हजार गांवों को बिजली पहुंचाने वाली ज्योति ग्राम योजना के बाद राज्य सरकार ने किसानों की बिजली समस्या के स्थायी समाधान हेतु यह योजना शुरू की है.
सरकार किसानों को खेतों में सोलर पैनल लगाने के लिए एक बड़ी राशि की सब्सिडी भी देगी. योजना के द्वारा सरकार को प्रति वर्ष 175 मेगावाट बिजली प्राप्त होने की आशा है.
इस योजना के द्वारा मिलने वाली बिजली को किसान अपने कार्यों में उपयोग करेंगे और साथ ही बची बिजली सरकार को बेच भी सकते है जिसका मुनाफा किसान ही रखेंगे.
इस योजना का उद्देश्य सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना है. |
योजना से संबंधित मुख्य तथ्य:
• गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपानी ने किसानों की बिजली समस्या के स्थायी समाधान हेतु 870 करोड़ रुपये की लागत से सूर्यशक्ति किसान योजना शुरू की है. किसानों को नाबार्ड की ओर से कर्ज दिया जाएगा.
• इस नई योजना के लिए किसानों को सौर परियोजना की स्थापना के कुल व्यय का केवल 5 प्रतिशत ही खर्च करना होगा.
• केंद्रीय और राज्य सरकारें परियोजना की कुल लागत का 60 प्रतिशत हिस्सा वहन करेगी जबकि 35 प्रतिशत हिस्सा किसानों द्वारा सात साल की अवधि में भुगतान किया जाएगा.
• इस योजना के तहत किसानों को कम वोल्टेज की समस्या के बिना दिन में 12 घंटे बिजली मिलेगी.
• यह योजना उन किसानों हेतु है, जो बिजली कंपनियों के मौजूदा उपभोक्ता हैं. इस योजना के तहत पानी और बिजली की बचत होगी. साथ ही किसान की आय दोगुनी करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्ष्य को भी हासिल किया जा सकेगा.