केंद्र सरकार ने 27 जून 2018 को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के स्थान पर भारत के उच्च शिक्षा आयोग की स्थापना के लिए एक मसौदा बिल तैयार किया है.
मसौदा बिल के अनुसार भारत का नया उच्च शिक्षा आयोग पूरी तरह अकादमिक मामलों पर ध्यान केंद्रित करेगा जबकि वित्तीय अधिकार मंत्रालय के अधीन होंगे. सरकार ने शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए बड़े बदलाव करने जा रही है. मानसून सत्र में सरकार इस बिल को संसद में पेश कर सकती है.
यह योजना लंबे समय से विचाराधीन थी. नया नियामक बनाने से पहले मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 7 जुलाई 2018 को ड्राफ्ट बिल के लिए सुझाव आमंत्रित किए हैं. सुझाव के लिए सभी शिक्षाविदों, हितधारकों और जनता से अपील की गई है.
मुख्य तथ्य:
मसौदे बिल में दावा:
मसौदे बिल में दावा किया है कि नया संस्थान कॉलेजों को अधिक स्वायत्तता प्रदान करेगा और शिक्षा प्रणाली के समग्र विकास को सुविधाजनक बनाएगा और छात्रों को अधिक किफायती लागत पर अधिक अवसर प्रदान करेगा.
फर्जी संस्थानों को बंद करने का आदेश देने का अधिकार:
पहली बार, नियामक के पास अकादमिक गुणवत्ता मानकों को लागू करने की शक्तियां होंगी. उसे फर्जी संस्थानों को बंद करने का आदेश देने का अधिकार भी होगा. मसौदा बिल के अनुसार अनुपालन नहीं करने पर जुर्माना या जेल की सजा हो सकती है.
वर्तमान में, यूजीसी जनता को सूचित करने के लिए अपनी वेबसाइट पर फर्जी संस्थानों के नाम जारी करता है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं कर सकता है.
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी):
अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा विश्व का सबसे छोटा कंप्यूटर 'मिशिगन माइक्रो मोट' विकसित किया गया है. शोधकर्ताओं ने इस कंप्यूटर को मेडिकल क्षेत्र में सहायता हेतु बनाया गया है.
मार्च 2018 में आईबीएम ने एक छोटा कंप्यूटर जारी किया था जिसका आकार मात्र एक एमएम था जो एक नमक के दाने से भी छोटा था. लेकिन अब मिशिगन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने दुनिया का सबसे छोटा कंप्यूटर बनाया है. इसका आकार केवल 0.3 मिलिमीटर है.
मिशिगन माइक्रो मोट की विशेषताएं
• यह एक ऐसा कंप्यूटर है जो केवल 0.3 मिलीमीटर आकार का है और यह कैंसर जैसी जटिल बीमारियों का पता लगाने और उसके इलाज के नए दरवाजे खोलने में मदद कर सकता है.
• नए डिवाइस में रैम और फोटोवोल्टिक्स की जगह प्रोसेसर, वायरलेस ट्रांसमीटर और रिसीवर लगाए गए हैं.
• यह डिवाइस रेडियो एंटीना की जगह प्रकाश की मदद से डाटा रिसीव और ट्रांसमिट करता है.
• डिवाइस को पावर और प्रोग्रामिंग के लिए प्रकाश उपलब्ध कराने के लिए एक बेस स्टेशन बनाया गया है. इसी की मदद से डिवाइस डाटा भी रिसीव करता है.
• इसे तापमान सेंसर की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है.
महत्वपूर्ण जानकारी |
इस शोध के मुख्य वैज्ञानिक डेविड ब्लॉव ने कहा कि हमें पता नहीं इसे कंप्यूटर कहना चाहिए भी या नहीं क्योंकि इसमें बहुत कम काम होता है. यह छोटा या कंप्यूटर लाईट से बिजली बनाए जाने वाली प्रक्रिया पर चलता है जिसे फोटोवोल्टेक्स कहते हैं. इसमें डेटा का लेन-देन लाईट के जरिए होता है. इसमें प्रोसेसर, रैम और वायरलेस ट्रांसमिटर हैं. इसे अभी सटीक तापमान सेंसर के रूप में बनाया गया है-खासतौर पर कैंसर कोशिकाओं के तापमान के लिए. |
कहां उपयोग हो सकता है?
• ग्लोकोमा से पीड़ित मरीज की आंखों के अंदर दबाव का पता लगाने के लिए विश्व का सबसे छोटा कंप्यूटर सटीक जानकारी प्रदान कर सकता है.
• मिशिगन माइक्रो मोट अत्याधुनिक कैंसर अनुसंधान में उपयोग किया जा सकता है. इसे कोशिकाओं में प्रवेश कराकर उनके तापमान का पता लगाया जा सकता है और स्थिति का सही अंदाजा लगाया जा सकता है.
• इस सबसे छोटे कंप्यूटर को निगरानी कार्यों के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है, जैसे तेल जलाशयों की निगरानी, बायोकैमिकल की निगरानी, ऑडियो और विजुअल इनपुट के साथ सुरक्षा आदि के लिए भी इसका प्रयोग किया जा सकता है.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 27 जून 2018 को नागर विमानन के क्षेत्र में सहयोग के लिए भारत और जर्मनी के बीच समझौता ज्ञापन हस्ताक्षर को स्वीकृति दे दी है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई.
समझौता ज्ञापन का शीर्षक
इस समझौता ज्ञापन का शीर्षक नागर विमानन क्षेत्र में सहयोग पर भारत और जर्मनी के बीच अभिरूचि की संयुक्त घोषणा है. संयुक्त घोषणा से भारत और जर्मनी के बीच विमान परिवहन में कारगर विकास होगा.
समझौता ज्ञापन से संबंधित मुख्य तथ्य:
अभिरूचि की संयुक्त घोषणा का मुख्य उद्देश्य निम्न क्षेत्रों में पारस्परिक सहयोग में प्रोत्साहन और सहयोग देना है.
विमानन सुरक्षा तथा एयर ट्रैफिक प्रबंधन: सेमीनारों, गोष्ठियों, एक दूसरे देशों की यात्राओं तथा अन्य विचारों सहित विमान सुरक्षा गतिविधियों तथा सुरक्षा निगरानी से संबंधित सूचना और श्रेष्ठ व्यवहारों को साझा करना.
हेलीपोर्ट तथा हेलीकॉप्टर आपात चिकित्सा सेवा (एचईएमएस): हेलीपोर्ट तथा हेलीकॉप्टर आपात चिकित्सा सेवाओं से संबंधित सूचना तथा श्रेष्ठ व्यवहारों को साझा करना है.
प्रशिक्षण और कौशल विकास: तकनीकी तथा गैर-तकनीकी सहयोग और प्रशिक्षण विशेषकर विमानन सुरक्षा निगरानी में साझेदारी की संभावना तलाशना है.
नियमन तथा नीति: महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय विषयों पर आईसीएओ में सहयोग जारी रखना.
कॉरपोरेट तथा व्यवसाय विमानन विकास: व्यवसाय तथा गैर-वाणिज्यिक विमानन के लिए सुविधाओं पर सूचना साझा करना है.
पर्यावरण: सतत तथा पर्यावरण अनुकूल एयरोड्रोम विकास तथा नियोजन पर फोकस के साथ एयरोड्रमों की सरकारी निगरानी से संबंधित अनुभव को साझा करना और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटना तथा घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर संबंधित ग्रीन हाऊस गैस (जीएचजी) उत्सर्जनों का समाधान करना है.
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने दुधारु पशुओं से दूध निकालने के लिए देश में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल की जाने वाली आक्सीटॉक्सीन दवा के निजी क्षेत्र में निर्माण पर एक जुलाई से रोक लगा दी है. साथ ही विदेश से भी इसके आयात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
निजी क्षेत्र के दवा निर्माताओं को घरेलू उपयोग के लिए एक जुलाई से आक्सीटॉक्सीन के उत्पादन की इजाजत नहीं दी जाएगी. सार्वजनिक क्षेत्र के कर्नाटक एंटीबायोटिक्स एंड फार्मास्वीटिकल्स लिमिटेड (केएपीएल) घरेलू उपयोग के लिए इस दवा को तैयार करेगी.
घोषणा के मुख्य तथ्य
• ऑक्सीटोसिन पर प्रतिबंध 1 जुलाई 2018 से प्रभावी हो जाएगा. ऑक्सीटोसिन का आयात पहले से ही प्रतिबंधित है.
• एक जुलाई से कोई भी कंपनी घरेलू इसे उपयोग करने के लिए इस दवा का उत्पादन नहीं कर सकेगी.
• ऑक्सीटोसिन आमतौर पर डेयरी उद्योग में दुधारू पशुओं के लिए प्रयोग किया जाता है.
• कर्नाटक स्थित एंटी बायोटिक्स एंड फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड (केएपीएल) इस दवा का निर्माण कररेगा लेकिन बाकी कंपनियों के लिए इसका निर्माण पूरी तरह प्रतिबंधित है.
मंत्रालय का निर्देश |
स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी पंजीकृत अस्पतालों और चिकित्सालयों को सलाह दी है कि वे ऑक्सीटॉसिन खरीदने के लिए केवल केएपीएल से संपर्क कर अपना ऑर्डर बुक करा सकते हैं. यह दवा अब किसी और रिटेल स्टोर पर नहीं मिलेगी. इसकी बिक्री किसी अन्य नाम या किसी अन्य कम्पनी द्वारा किए जाने पर उचित कारवाई की जाएगी. |
ऑक्सीटोसिन का उपयोग
• ऑक्सीटोसिन के इंजेक्शन का उपयोग आमतौर पर दूध देने वाले पशुओं पर अतिरिक्त दूध देने के लिए किया जाता है.
• इसका इंजेक्शन लगा देने से पशु किसी भी समय दूध दे सकता है. यह स्वत: उत्पन्न होने वाला हार्मोन है जो कि गर्भाशय के संकुचन का कारण बनता है.
• इसके उपयोग से पशुओं में प्राकृतिक क्षमता कम होती है तथा दूध की गुणवत्ता में भी कमी आती है.
• वर्तमान समय में इसका उपयोग खेती में भी किया जा रहा है. आमतौर पर कद्दू, तरबूज, बैंगन, खीरा आदि का आकार बढ़ाने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है.
• इससे सब्जियों का आकार रातों-रात बढ़ाया जाता है जो कि मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है.
केंद्र सरकार ने रणनीतिक पेट्रोलियम भंडारण क्षमता 65 लाख टन बढ़ाने के लिए दो स्थानों का चयन किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 27 जून 2018 को हुई मंत्रिमंडल की बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया.
सरकार ने 2017-18 के बजट में दो अतिरिक्त भंडारण केंद्र खोलने को मंजूरी दी थी. इसी घोषणा के तहत यह निर्णय लिया गया है.
दो स्थानों का चयन
• देश में रणनीतिक पेट्रोलियम भंडारण के लिए ओडिशा में चांदीखोल तथा कर्नाटक में पदुर को चुना गया है.
• चांदीखोल में 40 लाख अतिरिक्त पेट्रोलियम भंडारण क्षमता विकसित की जायेगी जबकि पदुर भंडारण केंद्र की क्षमता 25 लाख टन होगी.
• सरकार द्वारा बजट बजट भाषण में की गयी घोषणा के अंतर्गत दो अतिरिक्त भंडारण केंद्र खोलने को मंजूरी दी गई थी और इसी के तहत चांदीखोल तथा पदुर में रणनीतिक पेट्रोलियम भंडारण केंद्रों को स्थापित किया जा रहा है.
• दोनों भंडारण केंद्र भूमिगत होंगे. इन दोनों केंद्रो के निर्माण से देश में तेल भंडारण क्षमता अतिरिक्त 12 दिन की हो जायेगी.
भारत में खनिज तेल उत्पादन |
भारत के तीन प्रमुख क्षेत्र ऐसे हैं- जहाँ से खनिज तेल प्राप्त किया जा रहा है. इनमें पहला क्षेत्र उत्तरी-पूर्वी राज्यों असम तथा मेघालय में मौजूद है, जबकि दूसरा महत्तवपूर्ण क्षेत्र गुजरात में खम्भात की खाड़ी का समीपवर्ती क्षेत्र है. मुम्बई तट से लगभग 176 किलोमीटर दूर अरब सागर में स्थित बाम्बे हाई नामक स्थान भी तेल उत्खनन की दृष्टि से बेहद महत्त्वपूर्ण है. |
पृष्ठभूमि
रणनीतिक तेल भंडारण का फैसला सात जून 2004 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार ने लिया था और उसके बाद 2006 में तेल भंडारण क्षमता बढाने का फैसला किया गया था.