नीति आयोग ने 31 मार्च, 2018 से 31 मई, 2018 के बीच जिलों के स्व-रिपोर्ट किए गए आंकड़ों के आधार पर आकांक्षी जिलों के लिए स्वास्थ्य और पोषण, शिक्षा, कृषि और जल संसाधन, वित्तीय समावेशन और कौशल विकास और बुनियादी अवसंरचना के पाँच विकासात्मक क्षेत्रों में पहली डेल्टा रैंकिंग (वृद्धिशील प्रगति) शुरु की. इस सूची को 29 जून 2018 को जारी किया गया.
जिलों ने 01 अप्रैल, 2018 से चैंपियंस ऑफ चेंज डैशबोर्ड में डेटा दर्ज करना शुरू किया और कुल 112 में से 108 जिलों ने इस रैंकिंग में भाग लिया. शेष चार जिलों द्वारा डेटा प्रविष्टि भी प्रगति पर है, हालांकि वे इस रैंकिंग का हिस्सा नहीं हैं.
उद्देश्य |
इस साल जनवरी में प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किया गया, ‘आकांक्षी जिलों के परिवर्तन’ के कार्यक्रम का उद्देश्य देश के कुछ सबसे अविकसित जिलों को तेजी से और प्रभावी ढंग से बदलना है. कार्यक्रम की व्यापक रूपरेखा अभिसरण (केंद्रीय और राज्य योजनाओं), सहयोग (केंद्रीय, राज्य स्तरीय प्रभारी अधिकारी और जिलाधिकारी) और जन आंदोलन द्वारा संचालित जिलों के बीच प्रतिस्पर्धा है. राज्य मुख्य वाहकों के रूप में हैं और यह कार्यक्रम प्रत्येक जिले की ताकत पर ध्यान केंद्रित करेगा, तत्काल सुधार के लिए बेहतर परिणाम देने वाले क्षेत्रों की पहचान करेगा, प्रगति को मापेगा और जिलों को रैंक देगा. इन जिलों में विरासत, अप्रयुक्त या कमजोर संसाधन आधार, कठोर जीवन परिस्थितियों आदि के कारण विभिन्न स्तरों पर जनशक्ति की कमी सहित कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, इसलिए यह रैंकिंग क्षेत्र और सूचक विशिष्ट चुनौतियों की पहचान करने का भी एक साधन है ताकि टीम इंडिया जो इस कार्यक्रम का संचालन कर रही है तत्काल सुधारात्मक उपाय कर सके. |
आकांक्षी जिलों की पहली डेल्टा रैंकिंग
स्वास्थ्य के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ को दो राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं. मातृ मृत्यु दर में कमी तथा प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) में बेहतर प्रदर्शन के लिए छत्तीसगढ़ को 29 जून 2018 को पुरस्कृत किया गया.
राज्य सरकार के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार इन दोनों अभियानों में राज्य के उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए दो “आई प्लेज फॉर 9 अचीवर्स अवार्ड” से नवाजा गया है. केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जे.पी. नड्डा ने एक कार्यक्रम में ये अवार्ड छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर को प्रदान किये.
स्मरणीय तथ्य
• राज्य की तीन निजी चिकित्सकों को भी डाक्टरों की श्रेणी में “आई प्लेज फॉर 9 अचीवर्स अवार्ड” से सम्मानित किया गया.
• इनमें बिलासपुर जिले की दो स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. गीतिका शर्मा एवं डॉ. सुपर्णा मिश्रा तथा रायपुर जिले की डॉ. पूजा उपाध्याय शामिल हैं.
• पीएमएसएमए का मुख्य उद्देश्य महिला का प्रसव पूर्व जांच कर उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिला का उपचार एवं सुरक्षित प्रसव कराया जाकर मातृ एवं शिशु मृत्यु की दर को कम करना है.
• राज्य सरकार के अधिकारियों के अनुसार छत्तीसगढ में प्रत्येक माह की नौ तरीख को अभियान के तहत विशेष जांच एवं इलाज कैम्प लगाकर सुरक्षित मातृत्व और इससे जुड़े तथ्यों से गर्भवती महिलाओं को अवगत कराया जाता है.
• इसमें महिला चिकित्सकों द्वारा इनकी जांच की जाती हैं जो कि पूरी तरह निःशुल्क है.
• इसमें गर्भवती महिला के लिए खून की जांच, पेशाब की जांच, रक्तचाप, मधुमेह इत्यादि जांचों सहित आवश्यक औषधियों की निःशुल्क सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं.
छत्तीसगढ़ की उपलब्धियां
देश में मातृ मृत्यु दर में कमी दर्ज करने में भी छत्तीसगढ़ अग्रणी राज्य रहा है. वर्ष 2011-13 की एसआरएस रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ में मातृ मृत्यु दर 221 प्रति एक लाख जीवित जन्म थी जिसमें 48 अंकों की कमी दर्ज की गई है. प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान में 258 निजी चिकित्सकों ने अपने योगदान के लिए पंजीयन कराया हैं. इस योजना में अब तक 4 लाख 19 हजार के आसपास गर्भवती महिलाओं को लाभ दिया जा चुका हैं. वर्तमान में शिशु मृत्यु दर वर्ष 2003 में 70 प्रति एक हजार जीवित जन्म से कम होकर वर्ष 2017 में 39 प्रति एक हजार जीवित जन्म हो गया है.
सुरेश प्रभु ने 'रीयुनाईट' मोबाइल एप्प लॉन्च किया
केंद्रीय वाणिज्य व उद्योग तथा नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु ने एक मोबाइल एप लांच किया. इस एप का नाम ‘रीयूनाईट’ (ReUnite) है. यह एप भारत में खोए हुए बच्चों का पता लगाने में सहायता प्रदान करेगा.
इस अवसर पर अपने संबोधन में सुरेश प्रभु ने इस एप को विकसित करने के लिए स्वयंसेवी संगठन ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ और ‘कैपजेमिनी’ की सराहना की.
यह एप खोए हुए बच्चों को उनके माता-पिता से मिलाने के प्रयास तथा तकनीक से सही उपयोग को दर्शाता है. यह एप जीवन से जुड़ी सामाजिक चुनौतियों से निपटने में मदद करेगा।
रीयूनाईट (ReUnite) एप
• इस एप के माध्यम से माता-पिता बच्चों की तस्वीरें, बच्चों के विवरण जैसे नाम, पता, जन्म चिन्ह आदि अपलोड कर सकते हैं.
• इससे अभिभावक पुलिस स्टेशन को रिपोर्ट भी कर सकते हैं तथा खोए बच्चों की पहचान कर सकते हैं.
• खोए हुए बच्चों की पहचान करने के लिए एमेजन रिकोगनिशन, वेब आधारित फेशियल रिगोगनिशन जैसी सेवाओं का उपयोग किया जा रहा है.
• यह एप एंड्राएड और आईओएस दोनों ही प्लेटफार्म पर उपलब्ध है.
बचपन बचाओ आंदोलन के बारे में
बच्चों की सुरक्षा के संदर्भ में बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए) भारत का सबसे बड़ा आंदोलन है. बीबीए ने बच्चों के अधिकारों के संरक्षण से संबंधित कानून निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है. यह आंदोलन वर्ष 2006 के निठारी मामले से शुरू हुआ है. इस अवसर पर नोबल पुरस्कार विजेता और बचपन बचाओ आंदोलन के संस्थापक कैलाश सत्यार्थी भी उपस्थित थे.
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने ‘सौर चरखा मिशन’ लॉन्च किया
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने 27 जून 2018 को संयुक्त राष्ट्र एमएसएमई दिवस के अवसर पर 'सौर चरखा मिशन' शुरू किया, ताकि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण आर्थिक भूमिका को चिह्नित किया जा सके.
सौर चरखा मिशन के बारे में:
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सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई):