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Article : Current Affairs 4 july 2018.
Updated at : Thu, 05 July, 2018 , 12:20:29 PM ( IST )
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केंद्र सरकार ने खरीफ फसलों की एमएसपी बढ़ाने की मंजूरी दी


केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 04 जुलाई 2018 को 2018-19 के लिए खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है.

खरीफ फसलों पर एमएसपी बढ़ाने का फैसला सरकार की बजट की घोषणा के अनुरूप है. केंद्र सरकार ने बजट में किसानों को उनकी फसलों का भाव उत्पादन लागत का डेढ़ गुना करने की घोषणा की थी.

मुख्य तथ्य:

  • वर्ष 2018-19 के लिए धान के लिए एमएसपी 200 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास बढ़ा दिया गया है. वर्ष 2017-18 के लिए धान के लिए एमएसपी 1550 रुपये प्रति क्विंटल था.
  • वहीं, केन्द्रीय कैबिनेट ने उड़द का एमएसपी 5400 रुपये से बढ़ाकर 5600 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है. सरकार के इस फैसले से सरकारी खजाने पर 33,500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा.
  • 14 खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में अधिकतम वृद्धि रागी में हुई है. इसका एमएसपी 1900 रुपये बढ़ाकर 2,897 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है. सरकार के इस फैसले का सीधा फायदा देश के 12 करोड़ किसानों को मिलेगा.
  • मक्के के समर्थन मूल्य को 1425 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 1700 रुपये किया गया.
  • मूंग की एमएसपी को 5575 रुपये से बढ़ाकर 6975 रुपये प्रति क्विंटल किया गया.
  • उड़द के न्यूनतम समर्थन मूल्य को 5400 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 5600 रुपये किया गया.
  • बाजरे की एमएसपी को 1425 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 1950 रुपये किया गया.
  • कपास (मध्यम रेशा) के लिए किसानों को अभी तक 4,020 रुपये प्रति 100 किलोग्राम मिल रहा था अब इसे बढ़ाकर 5,150 रुपये किया गया है. लंबे रेशे वाले कपास का मूल्य 4,320 रुपये से बढ़ाकर 5,450 किया गया है.

पृष्ठभूमि:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाजार में दाम गिरने की स्थिति में किसानों को उनकी उपज के लिए तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सुनिश्चित कराने के लिए प्रस्तावित नई खरीद प्रणाली के वित्तीय प्रभावों को लेकर विचार-विमर्श किया.

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2018-19 के बजट भाषण में घोषणा की थी कि केंद्र और राज्य सरकारों के साथ परामर्श कर नीति आयोग एक बेहतर प्रणाली स्थापित करेगा जो यह सुनिश्चित करेगा कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का पूरा लाभ मिले.

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने डीएनए प्रौद्योगिकी (उपयोग एवं अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक-2018 को मंजूरी दी


केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 04 जुलाई 2018 को डीएनए प्रौद्योगिकी (उपयोग एवं अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक-2018 को मंजूरी दे दी है. यह बैठक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई.

                                                                           उद्देश्य

डीएनए प्रौद्योगिकी (उपयोग एवं अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक को कानून  बनाए जाने के पीछे प्राथमिक उद्देश्य देश की न्यायिक प्रणाली को समर्थन देने एवं सुदृढ़ बनाने के लिए डीएनए आधारित फोरेन्सिक प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग को विस्तारित करना है.

आपराधों के समाधान एवं गुमशुदा व्यक्तियों की पहचान के लिए डीएनए आधारित प्रौद्योगिकियों की उपयोगिता दुनियाभर में स्वीकृत है.

 

मुख्य तथ्य:

  • डीएनए प्रयोगशालाओं के अनिवार्य प्रत्यायन एवं विनियमन के प्रावधान के जरिए इस विधेयक में इस प्रौद्योगिकी का देश में विस्तारित उपयोग सुनिश्चित किया गया है.
  • इस बात का भी भरोसा दिलाया गया है कि डीएनए परीक्षण परिणाम भरोसेमंद हो और नागरिकों के गोपनीयता अधिकारों के लिहाज से डाटा का दुरुपयोग न हो सके.
  • विधेयक के प्रावधान एक तरफ गुमशुदा व्यक्तियों तथा देश के विभिन्न हिस्सों में पाए जाने वाले अज्ञात शवों की परस्पर मिलान करने में सक्षम बनाएंगे.
  • दूसरी तरफ बड़ी आपदाओं के शिकार हुए व्यक्तियों की पहचान करने में भी सहायता प्रदान करेंगे.

पृष्ठभूमिः

  • फोरेन्सिक डीएनए प्रोफाइलिंग का ऐसे अपराधो के समाधान में स्पष्ट महत्व है जिनमें मानव शरीर (जैसे हत्या, दुष्कर्म, मानव तस्करी या गंभीर रूप से घायल) को प्रभावित करने वाले एवं संपत्ति (चोरी, सेंधमारी एवं डकैती सहित) की हानि से संबंधित मामले से जुड़े अपराध का समाधान किया जाता है.
  • 2016 के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, देश में ऐसे अपराधों की कुल संख्या प्रति वर्ष तीन लाख से अधिक है.
  • इनमें से केवल बहुत छोटे हिस्से का ही वर्तमान में डीएनए परीक्षण किया जाता है.
  • यह उम्मीद है कि अपराधों के ऐसे वर्गों में इस प्रौद्योगिकी के विस्तारित उपयोग से न केवल न्यायिक प्रक्रिया में तेजी आएगी, बल्कि सजा दिलाने की दर भी बढ़ेगी, जो वर्तमान में केवल 30 प्रतिशत (2016 के एनसीआरबी आंकड़े
  • मंत्रिमंडल ने विपो कॉपी राइट संधि-1996 के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की


    प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने औद्योगिक नीति व संवर्द्धन विभाग, वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय के विपो कॉपी राइट संधि तथा विपो प्रदर्शन व फोनोग्राम संधि के प्रस्‍ताव को मंजूरी दे दी है. इन संधियों के अंतर्गत इंटरनेट और डिजिटल कॉपी राइट भी शामिल हैं.

    सरकार द्वारा लागू राष्‍ट्रीय बौद्धिक संपदा कानून (आईपीआर) में उल्लिखित उद्देश्‍य की दिशा में यह मंजूरी एक महत्‍त्‍वपूर्ण कदम है. इसका उद्देश्‍य वाणिज्यिक उपयोग के जरिए आईपीआर का मूल्‍य प्राप्‍त करना है. इसके लिए ईपीआर के मालिकों को इंटरनेट और मोबाइल प्‍लेटफॉर्म पर उपलब्‍ध अवसरों के संबंध में दिशा-निर्देश व सहायता प्रदान की जाती है.

    लाभ

    • अंतर-राष्‍ट्रीय कॉपी राइट प्रणाली के जरिए रचनात्‍मक अधिकार धारकों को उनके श्रम का मूल्‍य प्राप्‍त होगा. रचनात्‍मक कार्यों के उत्‍पादन और उनके वितरण में किए जाने वाले निवेश पर लाभ प्राप्‍त होगा.
    • घरेलू कॉपी राइट धारकों को अंतर-राष्‍ट्रीय कॉपी राइट की सुरक्षा सुविधा मिलेगी. दूसरे देशों में प्रतिस्‍पर्धा में समान अवसर प्राप्‍त होगा, क्‍योंकि भारत विदेशी कॉपी राइट को मान्‍यता देता है.
    • डिजिटल प्‍लेटफॉर्म पर रचनात्‍मक उत्‍पादों के निर्माण और वितरण में किए जाने वाले निवेश पर लाभ प्राप्‍त होगा और इससे आत्‍मविश्‍वास बढ़ेगा.
    • व्‍यापार में वृद्धि होगी और एक रचना आ‍धारित अर्थव्‍यवस्‍था तथा एक सांस्‍कृतिक परिदृश्‍य का विकास होगा.

    मुख्य उद्देश्य

    दोनों ही संधियां रचनाकारों को तकनीकी सुविधाओं का उपयोग करते हुए रचनाओं को सुरक्षित रखने के लिए फ्रेम वर्क उपलब्‍ध कराता है. रचनाओं का उपयोग करने से संबंधी जानकारियों को सु‍रक्षित रखता है. तकनीकी सुरक्षा उपायों की सुरक्षा (टीपीएम) और अधिकार प्रबंधन जानकारी (आरएमआई) दी जाती हैं.


    कॉपी राइट अधिनियम- 1957

    विपो कॉपी राइट संधि 6 मार्च, 2002 में लागू हुई थी. इसे 96 पक्षों द्वारा अपनाया गया है. बर्न सम्‍मेलन में एक विशेष समझौते के जरिए साहित्यिक और कलात्‍मक रचनाओं को सुरक्षा दी गयी है. इसमें डिजिटल प्‍लेटफॉर्म पर भी कॉपी राइट सुरक्षा पर आधारित प्रावधान शामिल हैं.

    विपो प्रदर्शन और फोनोग्राम संधि 20 मई, 2002 को लागू हुई थी और इसके 96 सदस्‍य हैं. डब्‍ल्‍यूपीपीटी दो प्रकार के कॉपी राइट अधिकारों की रक्षा करता है- क) कलाकार (प्रदर्शन करने वाले गायक, संगीतकार आदि) ख) ध्‍वनि रिकार्ड करने प्रोड्यूसर. यह कलाकारों को विशेष आर्थिक अधिकार देता है.

    दोनों ही संधियां रचनाकारों को तकनीकी सुविधाओं का उपयोग करते हुए रचनाओं को सुरक्षित रखने के लिए फ्रेम वर्क उपलब्‍ध कराता है. रचनाओं का उपयोग करने से संबंधी जानकारियों को सु‍रक्षित रखता है. तकनीकी सुरक्षा उपायों की सुरक्षा (टीपीएम) और अधिकार प्रबंधन जानकारी (आरए |  

    मेजर जनरल जोस एलाडियो भारत और पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह के अध्यक्ष नियुक्त


    उरुग्वे के मेजर जनरल जोस एलाडियो 3 जुलाई 2018 को भारत और पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह (यूएनएमओजीआईपी) के अध्यक्ष नियुक्त किये गये. 
    उनकी नियुक्ति की घोषणा संयुक्त राष्ट्र के महासचिव जनरल एंटोनियो गुतेरेस द्वारा की गई. मेजर जनरल जोस एलाडियो को स्वीडन के मेजर जनरल पर गुस्ताफ के स्थान पर नियुक्त किया गया. उनका दो वर्ष का कार्यकाल जुलाई 2018 में समाप्त हो जायेगा.
    भारत और पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह

    •    भारत और पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह की स्थापना जनवरी 1949 में किया गया था.
    •    यह समूह रावलपिंडी में स्थित है. समूह में 43 सैन्य पर्यवेक्षकों और 23 अंतरराष्ट्रीय नागरिक कर्मियों से बना है.
    •    असैन्य पर्यवेक्षकों की पहली टीम, जिन्होंने यूएनएमओजीआईपी का गठन किया, जनवरी 1949 में जम्मू-कश्मीर क्षेत्र की निगरानी के लिए पहुंचे.
    •    इसका उद्देश्य भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम तथा भारत-पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र आयोग (यूएनसीआईपी) को सहायता करना था.
    •    भारत-पाकिस्तान के मध्य 1971 को हुए युद्ध के बाद हुए संघर्षविराम समझौते के बाद संयुक्त राष्ट्र पर्यवेक्षक दल का उत्तरदायित्व इस क्षेत्र की जानकारी महासचिव तक पहुंचाना है.
    •    भारत पिछले कई वर्षों से कह रहा है कि शिमला समझौते के बाद संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह (यूएनएमओजीआईपी) की महत्ता कम हुई है क्योंकि यह एलओसी बना चुका है.
    •    भारत और पाकिस्तान के मध्य यूएनएमओजीआईपी की अहर्ताओं और कार्यों पर असहमति के कारण यह निर्णय लिया गया कि इसका विघटन केवल सुरक्षा परिषद द्वारा किया जायेगा.  
    मेजर जनरल जोस एलाडियो एल्केन
    •    मेजर जनरल एल्केन ने 1977 से उरुग्वे आर्मी में विभिन्न पदों पर काम किया. सबसे अंतिम पद पर वे 2015 से 2018 के मध्य आर्म्ड फोर्सेज में राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा में निदेशक के रूप में कार्यरत रहे.

    •    उन्होंने उरुग्वे पीसकीपिंग ट्रेनिंग सेंटर में वर्ष 2000 से 2017 के मध्य इंस्ट्रक्टर के रूप में कार्य किया.
    •    उन्होंने वर्ष 2017 में यूनाइटेड नेशन्स सीनियर मिशन लीडर्स कोर्स भी किया.



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