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Article : Current Affairs 6 july 2018.
Updated at : Sat, 07 July, 2018 , 11:22:32 AM ( IST )

विधि आयोग ने खेलों में सट्टेबाजी को वैध करने की सिफारिश की


विधि आयोग (लॉ कमीशन) ने 05 जुलाई 2018 को खेलों में सट्टेबाजी को वैध करने की सिफारिश की है. अगर सरकार विधि आयोग की यह सिफारिश मान लेती है तो आने वाले समय में खेल में सट्टेबाजी कानूनी दायरे में आ जाएगी.

विधि आयोग ने इसे रेग्यूलेटेड गतिविधि के तौर पर मान्यता देने की सिफारिश की है. आयोग ने विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई)आकर्षित करने के स्रोत के रूप में भी इसका इस्तेमाल करने की राय दी है.

सिफारिश से संबंधित मुख्य तथ्य:

  • आयोग ने सट्टेबाजी या जुए में शामिल किसी व्यक्ति का आधार या पैन कार्ड भी लिंक करने की और काले धन का इस्तेमाल रोकने के लिए नकदी रहित लेन-देन करने की भी सिफारिश की.
  • आयोग ने अपनी रिपोर्ट कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को सौंपी. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सट्टेबाजी और जुए जैसी गतिविधियों को पूरी तरह से खत्म या रोका नहीं जा सकता है, इसलिए इसे नियंत्रित रूप से चलाना एक बेहतर विकल्प है.
  • विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट 'लीगल फ्रेमवर्क: गैम्बलिंग एंड स्पो‌र्ट्स बेटिंग इंक्लूडिंग क्रिकेट इन इंडिया' में सट्टे के नियमन के लिए कानून में कई संशोधनों और इससे कर राजस्व हासिल करने के सुझाव दिए हैं.
  • आयोग के अनुसार कानून में बदलाव कर इसे टैक्स के दायरे में लाया जाए, जिससे रेवेन्यू जमा किया जा सके.
  • आयोग ने मैच फिक्सिंग और अन्य गड़बड़ियों को अपराध की श्रेणी में रखने की सिफारिश की.

पृष्ठभूमि:

सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई और बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के बीच चल रहे मामले की सुनवाई के दौरान सट्टेबाजी को कानूनी रूप देने की संभावना पर रिपोर्ट तैयार करने को कहा था.|  

रेल मंत्रालय ने यात्रा के दौरान डिजिटल आधार तथा ड्राइविंग लाइसेंस को मंजूरी दी


रेल मंत्रालय ने 06 जुलाई 2018 को डिजिटलीकरण की दिशा में एक और कदम उठाते हुए यात्रियों को पहचान पत्र के तौर पर मूल दस्तावेज के बजाय डिजिटल आधार व ड्राइविंग लाइसेंस को मंजूरी दे दी है.

रेल मंत्रालय ने डिजिटल लॉकर से वैध पहचान प्रमाण के रूप में प्रस्तुत किये जाने वाले आधार और ड्राइविंग लाइसेंस के विषय की समीक्षा की और यह निर्णय लिया कि ट्रेन में यात्रा करते समय यात्री अपने डिजिटल लॉकर एकाउंट के ‘जारी दस्तावेज’ सेक्शन से आधार/ ड्राइविंग लाइसेंस दिखाते हैं तो इन पहचानों को वैध प्रमाण माना जाएगा लेकिन यह स्पष्ट किया जाता है कि यूजर द्वारा ‘अपलोडेड डॉक्यूमेंट’ में अपलोड किये गए दस्तावेज पहचान के वैध प्रमाण नहीं माने जायेंगे.

रेलवे में फिलहाल भारतीय रेल की किसी भी आरक्षित श्रेणी में यात्रा करने के लिए निम्नलिखित पहचान प्रमाण पत्र वैध माने जाते हैं:

  • भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी फोटो युक्त पहचान पत्र
  • पासपोर्ट
  • आयकर विभाग द्वारा जारी पैनकार्ड
  • आरटीओ द्वारा जारी ड्राइविंग लाइसेंस
  • केंद्र/राज्य सरकार द्वारा जारी क्रम संख्या वाला फोटो युक्त पहचान पत्र
  • मान्यता प्राप्त स्कूल/ कॉलेज द्वारा अपने विद्यार्थियों के लिए फोटो युक्त पहचान पत्र
  • फोटो के साथ राष्ट्रीयकृत बैंक की पासबुक
  • लैमिनेटिड फोटो के साथ बैंकों द्वारा जारी क्रेडिट कार्ड
  • आधार, एम आधार तथा ई-आधार कार्ड
  • राज्य/ केंद्र सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठान, जिला प्रशासन, पालिका प्रशासन तथा पंचायत द्वारा क्रमसंख्या के साथ जारी फोटो पहचान पत्र स्वीकार किए जाते हैं.

कम्प्यूटरीकृत यात्री आरक्षण प्रणाली (पीआरएस) केंद्रों द्वारा बुक किये गए आरक्षित टिकटों के मामलें में शयनयान तथा द्वितीय आरक्षित सीटिंग श्रेणियों में यात्रा करने के लिए फोटो के साथ राशनकार्ड की फोटो कॉपी, फोटो के साथ राष्ट्रीयकृत बैंक के पासबुक को स्वीकार किया जाएगा.

 

                                                                        डिजीलॉकर क्या है?

डिजीलॉकर सरकार से संचालित एक डिजिटल स्टोरेज सेवा है जिसमें भारतीय नागरिक क्लाउड पर अपनी कुछ आधिकारिक दस्तावेज स्टोर कर सकते हैं. आदेश में कहा गया है की अगर एक यात्री अपने डिजीलॉकर एकाउंट में लॉगइन करके जारी दस्तावेज सेक्शन से आधार या ड्राइविंग लाइसेंस दिखाता है तो इसे एक वैलिड आईडेंटिटी प्रूफ के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए.

क्लाउड आधारित सेवा ने छात्रों को मार्कशीट का डिजिटल संस्करण देने के लिए सीबीएसई के साथ भी करार किया था. उपभोक्ता डिजीलॉकर से अपने स्थायी खाता संख्या (पैन) को भी जोड़ सकते हैं

दृष्टिबाधित मतदाताओं हेतु ब्रेल लिपि में वोटर कार्ड जारी: चुनाव आयोग


चुनाव आयोग ने 04 जुलाई 2018 को मतदान में दिव्यांग मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने की दिशा में उन्हें मतदान केंद्र तक पहुंचाने के लिए मुफ्त यातायात की सुविधा उपलब्ध कराने, ब्रेल लिपि वाले मतदाता पहचान पत्र जारी करने और विशिष्ट मतदान केंद्र शुरू करने सहित कुछ अहम फैसले किए हैं.

मतदान में दिव्यांगजनों की भागीदारी को सुनिश्चित करने हेतु आयोग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त ओ पी रावत ने इन सहूलियतों को लेकर किए गए फैसलों की जानकारी दी.

                          ब्रेल पद्धति के बारे में

  • ब्रेल पद्धति एक तरह की लिपि है, जिसको विश्व भर में नेत्रहीनों को पढ़ने और लिखने में छूकर व्यवहार में लाया जाता है.
  • इस पद्धति का आविष्कार वर्ष 1821 में एक नेत्रहीन फ्रांसीसी लेखक लुई ब्रेल ने किया था.
  • यह अलग-अलग अक्षरों, संख्याओं और विराम चिन्हों को दर्शाते हैं.
  • ब्रेल लिपि में प्रत्येक आयताकार सेल में 6 बिन्दु यानि डॉट्स होते हैं, जो थोड़े-थोड़े उभरे होते हैं. यह दो पंक्तियों में बनी होती हैं. इस आकार में अलग-अलग 64 अक्षरों को बनाया जा सकता है.
  • यूनिकोड मानक में ब्रेल को सितम्बर 1999 में शामिल किया गया था.
  • लुई ने जब यह लिपि बनाई तब वे मात्र 15 वर्ष के थे.
  • वर्ष 1824 में पूर्ण हुई यह लिपि दुनिया के लगभग सभी देशों में उपयोग में लाई जाती है.

मुख्य तथ्य:

•    मतदान के दिन दिव्यांग मतदाताओं को उनके शहर में एक सहायक के साथ मतदान केन्द्र तक जाने के लिये सार्वजनिक यातायात की मुफ़्त सुविधा भी मिलेगी.

•    दिव्यांगों मतदाताओं के लिए विशिष्ट मतदान केन्द्र बनाये जायेंगे जहां पर्याप्त संख्या में दिव्यांगों की मौजूदगी हो जिससे उन्हें सामान्य मतदान केन्द्रों पर आने वाली परेशानियों से बचाया जा सके.

•    दिव्यांगों के लिये मतदाता सूची में पंजीकरण कराने की प्रक्रिया को पूरा करने में मदद के लिये राज्य और जिला स्तर पर विशिष्ट नोडल अधिकारी भी तैनात किये जायेंगे.

•    दिव्यांगों को मतदान प्रक्रिया से जोड़ने और भागीदारी को बढ़ाने के नये उपायों की तलाश तथा इस पर शोध के लिये आयोग द्वारा संचालित प्रशिक्षण संस्थान में पृथक इकाई भी गठित की जायेगी.

•    दृष्टिबाधित मतदाताओं को चुनाव से पहले ब्रेल लिपि में ही मतदाता पर्ची भी मिलेगी.

•    अब ईवीएम मशीन में ऐसे फीचर डाले जाएंगे जिनकी मदद से दृष्टिबाधित लोग ईवीएम में लगी बटनों को छूकर चुनाव चिन्हों की पहचान कर सकेंगे.

भारत निर्वाचन आयोग ने मोबाइल ऐप ‘सीविजिल’ लांच किया


भारत निर्वाचन आयोग ने 03 जुलाई 2018 को चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की रिपोर्ट करने में नागरिकों को सक्षम बनाने हेतु ‘सीविजिल’ ऐप लांच किया.

मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओ पी रावत, चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा और अशोक लवासा ने एक कार्यक्रम के दौरान इस ऐप को लांच किया.

‘सीविजिल’ ऐप:

‘सीविजिल’ ऐप यूजर्स सहज और एन्ड्रायड एप्लीकेशन संचालन में आसान है.

यह ऐप उन्हीं स्थानों पर चालू होगा, जहां चुनाव की घोषणा की गई है. लेकिन, ऐप का बीटा वर्जन लोगों तथा चुनाव कर्मियों के लिए उपलब्ध होगा, ताकि ये लोग इसकी विशेषताओं से परिचित हो सकें और डमी डाटा भेजने का प्रयास कर सकें.

ऐप का परीक्षण पूरा होने पर:

परीक्षण के सफलतापूर्वक पूरा होने पर इसे सार्वजनिक रूप से लोगों द्वारा इस्तेमाल के लिए उपलब्ध कराया जाएगा. यह उपलब्धता छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, मिजोरम तथा राजस्थान के आगामी विधानसभा चुनाव से ही होगी. चार राज्यों के विधानसभा चुनावों के दौरान ऐप का व्यावहारिक उपयोग अगले लोकसभा चुनाव के दौरान व्यापक रूप से करने से पहले पायलट प्रयास के रूप में काम करेगा.

ऐप के लिए इंटरनेट जरूरी:

ऐप के लिए कैमरा, इंटरनेट कनेक्शन तथा जीपीएस लैस एन्ड्रायड स्मार्ट फोन जरूरी है. संचालन प्रणाली एन्ड्रायड जेलीबिन तथा उससे ऊपर की होनी चाहिए. एप्लीकेशन सभी नवीनतम एन्ड्रायड स्मार्ट फोनों के साथ कार्य करता है.

ऐप द्वारा आचार संहिता के उल्लंघन की रिपोर्ट:

  • ‘सीविजिल’ चुनाव वाले राज्यों में किसी भी व्यक्ति को आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की रिपोर्ट करने की अनुमति देता है.
  • यह अनुमति निर्वाचन घोषणा की तिथि से प्रभावी होती है और मतदान की एक दिन बाद तक बनी रहती है.
  • नागरिक इस ऐप का इस्तेमाल करके कदाचार की घटना देखने के मिनट भर में घटना की रिपोर्ट कर सकते हैं और नागरिकों को शिकायत दर्ज कराने के लिए पीठासीन अधिकारी के कार्यालय की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी.
  • जागरूक नागरिक को आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के दृश्य वाली केवल एक तस्वीर क्लिक करनी है या अधिक से अधिक दो मिनट की अवधि की वीडियो रिकॉर्ड करनी है.
  • स्वचालित स्थान मानचित्रण का कार्य ऐप द्वारा भौगोलिक सूचना प्रणाली के उपयोग से किया जाएगा.
  • ऐप के माध्यम से सफलतापूर्वक प्रस्तुति के बाद जागरूक नागरिक को एक यूनिक आईडी प्राप्त होता है, ताकि वह अपने मोबाइल पर आगे की कार्रवाई को जान सके और सूचना प्राप्त कर सके.
  • इस तरह एक नागरिक उल्लंघन की अनेक रिपोर्ट कर सकते हैं और प्रत्येक रिपोर्ट के लिए उन्हें यूनिक आईडी दिया जाएगा. शिकायतकर्ता की पहचान गोपनीय रखी जाएगी.

शिकायत दर्ज होने के बाद:

  • शिकायत दर्ज होने के बाद सूचना जिला नियंत्रण कक्ष को प्राप्त होती है, जहां से इसे फील्ड इकाई को सौंपा जाता है. एक फील्ड इकाई में फ्लाइंग स्क्वायड स्टैटिक निगरानी दल, आरक्षित दल होते हैं.
  • प्रत्येक फील्ड इकाई के पास एक जीआईएस आधारित मोबाइल एप्लीकेशन होगा, जिसे ‘सीविजिल डिस्पैचर’ कहा जाता है. यह मोबाइल एप्लीकेशन इकाई को स्थान पर सीधे पहुंचने और कार्रवाई करने की अनुमति देता है.
  • फील्ड इकाई द्वारा कार्रवाई किए जाने के बाद यह ‘कार्रवाई रिपोर्ट’ के रूप में संदेश भेजता है और प्रासंगिक दस्तावेज ‘सीविजिल डिस्पैचर’ के माध्यम से संबंधित पीठासीन अधिकारी को उनके निर्णय और निष्पादन के लिए अपलोड करता है.
  • यदि कदाचार की घटना सही पाई जाती है तो आगे की कार्रवाई के लिए सूचना भारत निर्वाचन आयोग के राष्ट्रीय शिकायत पोर्टल को भेजी जाती है और जागरूक नागरिक को 100 मिनट के अंदर की गई कार्रवाई की सूचना दी जाती है.

ऐप में दुरुपयोग रोकने की अंतरनिहित विशेषताएं:

  • इस ऐप में दुरुपयोग रोकने की अंतरनिहित विशेषताएं हैं. यह ऐप केवल आदर्श आचार संहिता उल्लंघन के बारे में शिकायत प्राप्त करता है.
  • तस्वीर लेने या वीडियो बनाने के बाद यूजर्स को रिपोर्ट करने के लिए पांच मिनट का समय मिलेगा.
  • किसी तरह के दुरुपयोग को रोकने के लिए ऐप पहले से रिपोर्ट किए गए या पहले ली गई तस्वीरों या वीडियो अपलोड करने की अनुमति नहीं देगा.
  • इस ऐप में ‘सीविजिल’ ऐप का इस्तेमाल करते हुए फोटो और रिकॉर्डेड वीडियो को फोटो गैलरी में सेव करने की सुविधा नहीं होगी. यह ऐप चुनाव वाले राज्यों से नागरिक के बाहर निकलते ही निष्क्रिय हो जाएगा

महत्व:

अभी तक आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों पर फौरी कार्रवाई नहीं की जा सकी है, जिसके कारण उल्लंघनकर्ता कार्रवाई से बच जाते हैं.

शिकायत के सत्यापन में तस्वीर या वीडियो के रूप में दस्तावेजी साक्ष्य की कमी भी बाधा थी. मजबूत अनुक्रिया प्रणाली के आभाव में घटना स्थल की त्वरित और सटीक पहचान भौगोलिक स्थान विवरण की सहायता से नहीं की जा सकती थी.

नया ऐप इन सभी समस्या को दूर करेगा और फास्ट-ट्रैक शिकायत प्राप्ति और समाधान प्रणाली बनाएगा.



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