विधि आयोग (लॉ कमीशन) ने 05 जुलाई 2018 को खेलों में सट्टेबाजी को वैध करने की सिफारिश की है. अगर सरकार विधि आयोग की यह सिफारिश मान लेती है तो आने वाले समय में खेल में सट्टेबाजी कानूनी दायरे में आ जाएगी.
विधि आयोग ने इसे रेग्यूलेटेड गतिविधि के तौर पर मान्यता देने की सिफारिश की है. आयोग ने विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई)आकर्षित करने के स्रोत के रूप में भी इसका इस्तेमाल करने की राय दी है.
सिफारिश से संबंधित मुख्य तथ्य:
पृष्ठभूमि:
सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई और बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के बीच चल रहे मामले की सुनवाई के दौरान सट्टेबाजी को कानूनी रूप देने की संभावना पर रिपोर्ट तैयार करने को कहा था.|
रेल मंत्रालय ने 06 जुलाई 2018 को डिजिटलीकरण की दिशा में एक और कदम उठाते हुए यात्रियों को पहचान पत्र के तौर पर मूल दस्तावेज के बजाय डिजिटल आधार व ड्राइविंग लाइसेंस को मंजूरी दे दी है.
रेल मंत्रालय ने डिजिटल लॉकर से वैध पहचान प्रमाण के रूप में प्रस्तुत किये जाने वाले आधार और ड्राइविंग लाइसेंस के विषय की समीक्षा की और यह निर्णय लिया कि ट्रेन में यात्रा करते समय यात्री अपने डिजिटल लॉकर एकाउंट के ‘जारी दस्तावेज’ सेक्शन से आधार/ ड्राइविंग लाइसेंस दिखाते हैं तो इन पहचानों को वैध प्रमाण माना जाएगा लेकिन यह स्पष्ट किया जाता है कि यूजर द्वारा ‘अपलोडेड डॉक्यूमेंट’ में अपलोड किये गए दस्तावेज पहचान के वैध प्रमाण नहीं माने जायेंगे.
रेलवे में फिलहाल भारतीय रेल की किसी भी आरक्षित श्रेणी में यात्रा करने के लिए निम्नलिखित पहचान प्रमाण पत्र वैध माने जाते हैं:
कम्प्यूटरीकृत यात्री आरक्षण प्रणाली (पीआरएस) केंद्रों द्वारा बुक किये गए आरक्षित टिकटों के मामलें में शयनयान तथा द्वितीय आरक्षित सीटिंग श्रेणियों में यात्रा करने के लिए फोटो के साथ राशनकार्ड की फोटो कॉपी, फोटो के साथ राष्ट्रीयकृत बैंक के पासबुक को स्वीकार किया जाएगा.
डिजीलॉकर क्या है? |
डिजीलॉकर सरकार से संचालित एक डिजिटल स्टोरेज सेवा है जिसमें भारतीय नागरिक क्लाउड पर अपनी कुछ आधिकारिक दस्तावेज स्टोर कर सकते हैं. आदेश में कहा गया है की अगर एक यात्री अपने डिजीलॉकर एकाउंट में लॉगइन करके जारी दस्तावेज सेक्शन से आधार या ड्राइविंग लाइसेंस दिखाता है तो इसे एक वैलिड आईडेंटिटी प्रूफ के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए. क्लाउड आधारित सेवा ने छात्रों को मार्कशीट का डिजिटल संस्करण देने के लिए सीबीएसई के साथ भी करार किया था. उपभोक्ता डिजीलॉकर से अपने स्थायी खाता संख्या (पैन) को भी जोड़ सकते हैं |
चुनाव आयोग ने 04 जुलाई 2018 को मतदान में दिव्यांग मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने की दिशा में उन्हें मतदान केंद्र तक पहुंचाने के लिए मुफ्त यातायात की सुविधा उपलब्ध कराने, ब्रेल लिपि वाले मतदाता पहचान पत्र जारी करने और विशिष्ट मतदान केंद्र शुरू करने सहित कुछ अहम फैसले किए हैं.
मतदान में दिव्यांगजनों की भागीदारी को सुनिश्चित करने हेतु आयोग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त ओ पी रावत ने इन सहूलियतों को लेकर किए गए फैसलों की जानकारी दी.
ब्रेल पद्धति के बारे में |
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मुख्य तथ्य:
• मतदान के दिन दिव्यांग मतदाताओं को उनके शहर में एक सहायक के साथ मतदान केन्द्र तक जाने के लिये सार्वजनिक यातायात की मुफ़्त सुविधा भी मिलेगी.
• दिव्यांगों मतदाताओं के लिए विशिष्ट मतदान केन्द्र बनाये जायेंगे जहां पर्याप्त संख्या में दिव्यांगों की मौजूदगी हो जिससे उन्हें सामान्य मतदान केन्द्रों पर आने वाली परेशानियों से बचाया जा सके.
• दिव्यांगों के लिये मतदाता सूची में पंजीकरण कराने की प्रक्रिया को पूरा करने में मदद के लिये राज्य और जिला स्तर पर विशिष्ट नोडल अधिकारी भी तैनात किये जायेंगे.
• दिव्यांगों को मतदान प्रक्रिया से जोड़ने और भागीदारी को बढ़ाने के नये उपायों की तलाश तथा इस पर शोध के लिये आयोग द्वारा संचालित प्रशिक्षण संस्थान में पृथक इकाई भी गठित की जायेगी.
• दृष्टिबाधित मतदाताओं को चुनाव से पहले ब्रेल लिपि में ही मतदाता पर्ची भी मिलेगी.
• अब ईवीएम मशीन में ऐसे फीचर डाले जाएंगे जिनकी मदद से दृष्टिबाधित लोग ईवीएम में लगी बटनों को छूकर चुनाव चिन्हों की पहचान कर सकेंगे.
भारत निर्वाचन आयोग ने 03 जुलाई 2018 को चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की रिपोर्ट करने में नागरिकों को सक्षम बनाने हेतु ‘सीविजिल’ ऐप लांच किया.
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओ पी रावत, चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा और अशोक लवासा ने एक कार्यक्रम के दौरान इस ऐप को लांच किया.
‘सीविजिल’ ऐप:
‘सीविजिल’ ऐप यूजर्स सहज और एन्ड्रायड एप्लीकेशन संचालन में आसान है.
यह ऐप उन्हीं स्थानों पर चालू होगा, जहां चुनाव की घोषणा की गई है. लेकिन, ऐप का बीटा वर्जन लोगों तथा चुनाव कर्मियों के लिए उपलब्ध होगा, ताकि ये लोग इसकी विशेषताओं से परिचित हो सकें और डमी डाटा भेजने का प्रयास कर सकें.
ऐप का परीक्षण पूरा होने पर:
परीक्षण के सफलतापूर्वक पूरा होने पर इसे सार्वजनिक रूप से लोगों द्वारा इस्तेमाल के लिए उपलब्ध कराया जाएगा. यह उपलब्धता छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, मिजोरम तथा राजस्थान के आगामी विधानसभा चुनाव से ही होगी. चार राज्यों के विधानसभा चुनावों के दौरान ऐप का व्यावहारिक उपयोग अगले लोकसभा चुनाव के दौरान व्यापक रूप से करने से पहले पायलट प्रयास के रूप में काम करेगा.
ऐप के लिए इंटरनेट जरूरी:
ऐप के लिए कैमरा, इंटरनेट कनेक्शन तथा जीपीएस लैस एन्ड्रायड स्मार्ट फोन जरूरी है. संचालन प्रणाली एन्ड्रायड जेलीबिन तथा उससे ऊपर की होनी चाहिए. एप्लीकेशन सभी नवीनतम एन्ड्रायड स्मार्ट फोनों के साथ कार्य करता है.
ऐप द्वारा आचार संहिता के उल्लंघन की रिपोर्ट:
शिकायत दर्ज होने के बाद:
ऐप में दुरुपयोग रोकने की अंतरनिहित विशेषताएं:
महत्व:
अभी तक आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों पर फौरी कार्रवाई नहीं की जा सकी है, जिसके कारण उल्लंघनकर्ता कार्रवाई से बच जाते हैं.
शिकायत के सत्यापन में तस्वीर या वीडियो के रूप में दस्तावेजी साक्ष्य की कमी भी बाधा थी. मजबूत अनुक्रिया प्रणाली के आभाव में घटना स्थल की त्वरित और सटीक पहचान भौगोलिक स्थान विवरण की सहायता से नहीं की जा सकती थी.
नया ऐप इन सभी समस्या को दूर करेगा और फास्ट-ट्रैक शिकायत प्राप्ति और समाधान प्रणाली बनाएगा.