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Article : Current Affairs 8 july 2018.
Updated at : Mon, 09 July, 2018 , 10:49:08 AM ( IST )

भारत में वर्ष 2016 में 54,723 बच्चों का अपहरण हुआ: गृह मंत्रालय रिपोर्ट


गृह मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी एक रिपोर्ट को देखते हुए देश के विभिन्न हिस्सों में बच्चों के चोरी हो जाने के डर को बेबुनियाद नहीं कहा जा सकता. गृह मंत्रालय की ओर से जारी वर्ष 2016  के आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष भारत से लगभग 55,000  बच्चों अपहरण किया गया. यह आंकड़ा एक वर्ष पहले के आंकड़ों के मुकाबले 30% अधिक है.
गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में प्रतिवर्ष लगातार बच्चों का अपहरण हो रहा है तथा इसपर उचित कदम उठाया जाना चाहिए..
गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के मुख्य तथ्य

•    गृह मंत्रालय की 2017-18 की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2016 में 54,723 बच्चे अगवा हुए लेकिन केवल 40.4 प्रतिशत मामलों में ही आरोप पत्र दाखिल किए गए.
•    वर्ष 2016 में बच्चों के अपहरण के मामलों में दोष साबित होने की दर महज 22.7 प्रतिशत रही. 
•    वर्ष 2015 में ऐसे 41,893 मामले दर्ज किए गए जबकि वर्ष 2014 में यह संख्या 37,854 थी. वर्ष 2017 के आंकड़े अभी पेश नहीं किए गए हैं.
•    गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार साल 2016 में देश में मानव तस्करी के 8132 मामले दर्ज किए गए. 
•    बच्चों के खिलाफ अपराध के 1.06 लाख मामले भी दर्ज किए गए. यह वर्ष 2015 की तुलना में 13.6 प्रतिशत अधिक थे.
•    आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2016 में प्रति एक लाख बच्चों में से 24 के खिलाफ अपराध हुए. 
•    इन अपराधों में ज्यादातर बढ़ोतरी मानव तस्करी, अपहरण, पोक्सो तथा किशोर न्याय के मामलों में हुई है.

पॉक्सो एक्ट क्या है?
•    इसका शाब्दिक अर्थ है, प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट 2012 अर्थात् लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम 2012.
•    यह एक्ट बच्चों को सेक्सुअल हैरेसमेंट, सेक्सुअल असॉल्ट और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है.
•    इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है.
•    इस अधिनियम की धारा 4 के तहत दुष्कर्म के मामले में अपराधी को सात साल अथवा उम्रकैद हो सकती है.
•    हाल ही में किये गये संशोधन के तहत 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चे के साथ किये गये बलात्कार में मृत्युदंड दिया जाना तय किया गया है.

संबलपुर रेलवे डिविजन ने सभी मानवरहित क्रॉसिंग फाटक समाप्त किया

भारतीय रेलवे के पूर्व तटीय रेलवे (ईसीआर) ने 05 जुलाई 2018 को संबलपुर डिविजन में साढ़े चार घंटों की अल्‍प अवधि समय में छह सबवे बनाकर इतिहास रच दिया हैं.

6 सीमित ऊंचाई वाले सब-वे का निर्माण न सिर्फ पूर्व तट रेलवे के संबलपुर डिविजन में बल्कि यह पूरे भारतीय रेल में अपनी तरह का पहला उदाहरण है.

                                     उद्देश्य:

इस कदम के पीछे मुख्य उद्देश्य संबलपुर डिवीजन में सभी मानवरहित रेल क्रॉसिंग फाटक को खत्म करना था.

6 सीमित ऊंचाई वाले सब-वे को लांच करने के साथ ही ओडिसा के कालाहांडी क्षेत्र में स्थित भवानीपटना-लंजीगढ़ सड़क खण्‍ड में 7 मानवरहित लेवल क्रॉसिंग गेट बंद कर दिए जाएंगे.

रेलवे में यह पहला प्रयास:

संबलपुर मंडल में छह अंडरब्रिज का निर्माण अपने आप में पहला प्रयास है. यह न केवल पूर्व तटीय रेलवे में, बल्कि भारतीय रेलवे में पहली बार किया गया है.  6 एलएचएस को लांच करने में कई चुनौतियां थीं और मानसून का मौसम होने के बावजूद संबलपुर डिविजन ने चुनौती को अवसर में बदल दिया और एक ही बार में 6 एलएचएस को लांच करने का कार्य पूरा किया गया. यह कदम भारतीय रेल के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगा.

 Sambalpur Railway Division constructs 6 limited height subways in one day

 

 Sambalpur Railway Division constructs 6 limited height subways in one day

छह अंडरब्रिज के निर्माण में 300 कामगार, 12 क्रेन और 20 एक्सवेटर्स की मदद ली गई. रेलवे ने अंडरब्रिज बनाने के लिए पहले से बने हुए सात कंक्रीट के बॉक्स नुमा ढांचों का सहारा लिया. ये अंडरब्रिज 4.15 मीटर ऊंचे हैं.

संबलपुर डिविजन भारतीय रेल का पहला डिविजन है जिसने सभी मानवरहित लेवल क्रॉसिंग फाटक को समाप्‍त किया.|  

दीपा करमाकर जिम्नास्टिक विश्व कप में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बनीं


भारत की प्रसिद्ध जिम्नास्टिक महिला खिलाड़ी दीपा करमाकर ने 8 जुलाई 2018 को जिम्नास्टिक विश्व कप में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा. यह विश्व कप तुर्की में वर्ल्ड चैलेंज कप के नाम से आयोजित किया गया.
दीपा ने जिमनास्टिक की वॉल्ट स्पर्धा में 14.150 अंक के साथ पहला स्थान हासिल किया. लगभग दो साल के बाद वापसी करने वाली स्टार जिमनास्ट दीपा करमाकर ने यह उपलब्धि हासिल की.
मुख्य बिंदु
•    त्रिपुरा की 24 वर्षीय जिमनास्ट दीपा करमाकर ने 14.150 अंकों के साथ स्वर्ण पदक पर कब्जा किया जबकि क्वॉलिफिकेशन राउंड में वो 13.400 अंकों के साथ टॉप पर थी. 
•    यह वर्ल्ड चैलेंज कप में दीपा का पहला मेडल है. 
•    दीपा ने बैलेंस टीम इवेंट के फाइनल में भी जगह बनाई थी लेकिन क्वॉलिफिकेशन राउंड में वो 11.850 अंकों के साथ तीसरे पायदान पर रहीं.
•    गौरतलब है कि रियो ओलंपिक में वॉल्ट स्पर्धा में वे चौथे स्थान पर रही थीं.

अन्य महत्वपूर्ण जानकारी

पुरुषों की रंग्स स्पर्धा के फाइनल्स में राकेश पात्रा मेडल हासिल करने से चूक गये. वह 13.650 के स्कोर से चौथे स्थान पर रहे. मेजबान देश के इब्राहिम कोलाक ने 15.100 स्कोर से गोल्ड जबकि रोमानिया के आंद्रेई वासिले (14.600) ने सिल्वर और नीदरलैंड के यूरी वान गेल्डर (14.300) ने ब्रॉन्ज मेडल जीता. वर्ल्ड चैलेंज कप सीरीज अंतरराष्ट्रीय जिम्नास्टिक्स महासंघ के कैलेंडर में महत्वपूर्ण टूर्नामेंट है. इस साल विश्व चैलेंज सीरीज में छह स्पर्धाएं हैं और यह सत्र का चौथा चरण है. दीपा और राकेश दोनों को आगामी एशियाई खेलों के लिये चुनी 10 सदस्यीय भारतीय जिम्नास्टिक्स टीम में शामिल किया गया है.

 


दीपा करमाकर के बारे में स्मरणीय तथ्य

•    दीपा करमाकर का जन्म 09 अगस्त 1993 को त्रिपुरा में हुआ. वे एक कलात्मक जिम्नास्ट हैं जिन्होंने 2016 ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया. 
•    ओलंपिक में भाग लेने वाली वे पहली भारतीय महिला जिम्नास्ट हैं और पिछले 52 वर्षों में ऐसा करने वाली वे प्रथम भारतीय जिम्नास्ट हैं.
•    ओलम्पिक में उन्होंने फाइनल में अपनी जगह बनाई और फाइनल में भी वह मामूली से अंतर (0.150) से कांस्य पदक पाने से चूक गईं और चौथे स्थान पर रहीं.
•    उन्होंने अति कठिन माने जाने वाले प्रोदुनोवा वॉल्ट का सफल प्रदर्शन किया जिसे आज तक विश्व में गिनती की कुछ जिम्नास्ट ही सफलतापूर्वक पूरा कर सकी हैं.
•    वर्ष 2007 से दीपा ने राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में लगभग 80 पदक जीते हैं जिनमें से 68 स्वर्ण पदक हैं.

आईपीसी की धारा 377 को सुनने के लिए संविधान पीठ का पुनर्गठन किया गया

आईपीसी की धारा 377 को अंसवैधानिक करार देने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों का संविधान पीठ 10 जुलाई 2018 से सुनवाई शुरू करेगा.

चार प्रमुख मामलों को सुनने के लिए संविधान पीठ का पुनर्गठन:

•    भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को समलैंगिक यौन संबंध स्थापित करने को अपराध करार देती है.

•    पीठ केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध से जुड़े विवादित मुद्दे की भी सुनवाई करेगी.

•    पीठ भारतीय दंड संहिता की धारा 497 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली अर्जी पर भी सुनवाई करेगी.

•    संविधान पीठ उस याचिका पर भी सुनवाई करेगी जिसमें यह फैसला करना है कि किसी सांसद या विधायक के खिलाफ किसी आपराधिक मामले में आरोप - पत्र दायर करने के बाद उन्हें अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए या दोषी करार दिए जाने के बाद ही अयोग्य करार दिया जाना चाहिए.

नवगठित पांच सदस्यीय संविधान पीठ की अध्यक्षता प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा करेंगे और न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा इसके सदस्य होंगे.

पृष्ठभूमि:

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2009 में अपने एक फैसले में कहा था कि आपसी सहमति से समलैंगिकों के बीच बने यौन संबंध अपराध की श्रेणी में नहीं होंगे. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को दरकिनार करते हुए समलैंगिक यौन संबंधों को आईपीसी की धारा 377 के तहत ‘अवैध' घोषित कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में समलैंगिकों के बीच यौन संबंधों को अपराध घोषित कर दिया था.

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गयीं और जब उन्हें भी खारिज कर दिया गया तो प्रभावित पक्षों ने सुधारात्मक याचिका (क्यूरेटिव पिटीशन) दायर की ताकि मूल फैसले का फिर से परीक्षण हो.

सुधारात्मक याचिकाओं के लंबित रहने के दौरान मांग की गयी कि खुली अदालत में इस मामले पर सुनवाई की मंजूरी दी जानी चाहिए और सुप्रीम कोर्ट जब इस पर राजी हुआ तो कई रिट याचिकाएं दायर कर मांग की गई की धारा 377 (अप्राकृतिक अपराध) को अपराध की श्रेणी से बाहर किया जाये.

                                                                        धारा-377 क्या है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 377 अप्राकृतिक अपराध को संदर्भित करती है और कहती है कि जो भी स्वेच्छा से किसी भी पुरुष, महिला या पशु के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाता है, उसे आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई जा सकती है.




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