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Article : Current Affairs 11 july to 14 july 2018.
Updated at : Sat, 14 July, 2018 , 12:01:40 PM ( IST )
  1.   

पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय ने ‘स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण 2018’ का शुभारंभ किया


पेयजल एवं स्‍वच्‍छता मंत्रालय ने 13 जनवरी 2018 को दिल्ली में ‘स्‍वच्‍छ सर्वेक्षण ग्रामीण 2018 (एसएसजी 2018)’ का शुभारंभ किया.

सभी जिलों में 1 अगस्‍त से 31 अगस्‍त 2018 तक एक स्‍वतंत्र सर्वेक्षण एजेंसी द्वारा सर्वेक्षण किया जाएगा और इसके नतीजों की घोषणा मात्रात्‍मक एवं गुणात्‍मक स्‍वच्‍छता के पैमानों के आधार सभी जिलों और राज्‍यों की रैंकिंग के रूप में की जाएगी.

इस मामले में श्रेष्‍ठ प्रदर्शन करने वाले राज्‍यों और जिलों को 2 अक्‍टूबर 2018 को पुरस्‍कृत किया जाएगा.

                                                                            उद्देश्य:

एसएसजी 2018 का उद्देश्‍य ‘एसबीएम-जी’ से जुड़े महत्‍वपूर्ण मात्रात्‍मक एवं गुणात्‍मक पैमानों पर प्रदर्शन के आधार पर राज्‍यों और जिलों की रैंकिंग करना है.

इस प्रक्रिया के तहत देशव्‍यापी संचार अभियान के जरिए ग्रामीण समुदायों को अपने आसपास के क्षेत्रों में स्‍वच्‍छता एवं साफ-सफाई में बेहतरी लाने के कार्य से जोड़ा जाएगा.


सर्वेक्षण की संरचना और प्रक्रिया:

  • स्‍वच्‍छ सर्वेक्षण ग्रामीण के हिस्‍से के रूप में देश भर के 698 जिलों के 6980 गांवों को कवर किया जाएगा.
  • सर्वेक्षण के लिए इन गांवों के कुल 34,000 सार्वजनिक स्‍थानों जैसे कि स्‍कूलों, आंगनबाड़ी केन्‍द्रों, सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्रों, हार्ट/बाजार/धार्मिक स्‍थानों का मुआयना किया जाएगा.
  • स्‍वच्‍छ भारत मिशन (एसबीएम) से जुड़े मुद्दों पर 50 लाख से भी अधिक नागरिकों से उनके फीडबैक को इकट्ठा किया जाएगा.
  • इस प्रक्रिया के दौरान 65 प्रतिशत भारांक (वेटेज) इस सर्वेक्षण के निष्‍कर्षों एवं नतीजों को दिया गया है, जबकि 35 प्रतिशत भारांक सेवा क्षेत्र से जुड़े उन पैमानों को दिया गया है, जिन्‍हें पेयजल एवं स्‍वच्‍छता मंत्रालय के आईएमआईएस से प्राप्‍त किया जाएगा.

एसएसजी के विभिन्न तत्वों के लिए भार:

सार्वजनिक स्‍थानों में स्‍वच्‍छता का प्रत्‍यक्ष अवलोकन : 30 प्रतिशत

स्‍वच्‍छता के पैमानों पर ना‍गरिकों से प्राप्‍त फीडबैक : 35 प्रतिशत

एसबीएमजी-एमआईएस के अनुसार देश में स्‍वच्‍छता में सुधार पर सेवा स्‍तरीय प्रगति : 33 प्रतिशत

अन्य लॉन्च:

इस अवसर पर एक श्रव्‍य-दृश्‍य संचार अभियान का भी शुभारंभ किया गया, जिससे स्‍वच्‍छ भारत के एम्‍बेसडरों सहित कई जानी-मानी हस्तियां जुड़ी हुई हैं. इन हस्तियों में अमिताभ बच्‍चन और सचिन तेंदुलकर भी शामिल हैं.

इसके अलावा, एसएसजी 2018 के लोगो और एसएसजी 2018 की विवरणिका भी जारी की गई, जिसमें इस पहल से जुड़े आवश्‍यक तथ्‍यों का उल्‍लेख किया गया है.

विश्व युवा कौशल दिवस 2018 मनाया गया


15 जुलाई: विश्व युवा कौशल दिवस

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 15 जुलाई 2018 को विश्व युवा कौशल दिवस मनाया गया. पहली बार 15 जुलाई 2015 को विश्व स्तर पर पहली बार विश्व युवा कौशल दिवस मनाया गया. यह जीवन तथा कार्यों में युवा कौशल के महत्व के एजेंडे के साथ मनाया गया. विषय वर्ष 2030 के लिए आगामी सतत विकास लक्ष्यों के साथ सूचीबद्ध है.

                          उद्देश्य:

इस दिवस का उद्देश्य युवाओं को अधिक से अधिक कौशल विकास के प्रति जागरुक करना है ताकि वे बेहतर अवसरों को तलाश कर रोजगार प्राप्त कर सकें.

इस दिवस का मुख्य उद्देश्य 2022 तक भारत में 40 करोड़ से अधिक लोगों या युवाओं को अलग-अलग कौशल में प्रशिक्षित करना है.

 

संयुक्त राष्ट्र ने मुख्यालय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित प्रतियोगिताओं में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जहां विभिन्न देशों के युवा विज्ञान, कला और प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में अपने कौशल दिखाने वाले कार्यक्रम में भाग लेते हैं.

भारत में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई “कौशल भारत” अभियान के रूप में चिह्नित किया गया है.

इस दिवस को समस्त विश्व युवाओ मैं कौशल विकास के अवसर लाने हेतु अधिक से योजनाओ और नए कौशल पाठ्यक्रम को सरकारी नीतियों मैं लाना चाहता हैं, ताकि देश के युवाओ मैं कौशलता की अधिकाधिक बढोतरी की जा सके और रोजगार के अवसर को बढाया जा सके.

पृष्ठभूमि:

विश्व युवा कौशल दिवस की स्थापना संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 11 नवम्बर 2014 को की गयी थी. महासभा ने 15 जुलाई को विश्व युवा दिवस के रूप में मनाये जाने की घोषणा की. सभी देशों से यह आग्रह किया गया कि वे अपने देश में युवाओं को कौशल विकास में सहायता प्रदान करें ताकि  

धारा 377 के गैर-अपराधीकरण से एलजीबीटीक्यू समुदाय होंगे कलंक मुक्त: सुप्रीम कोर्ट


सुप्रीम कोर्ट (एससी) ने समलैंगिकता के अपराधीकरण से जुड़ी धारा 377 पर सुनवाई के दौरान कहा है कि सहमति से समलैंगिक यौन रिश्तों को अपराध के दायरे से बाहर करते ही एलजीबीटीक्यू समुदाय कलंक मुक्त हो जाएगा और उसके प्रति सामाजिक भेदभाव खत्म हो जाएगा. बतौर सुप्रीम कोर्ट, एलजीबीटीक्यू समुदाय से भेदभाव ने उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डाला है.

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस मामले की सुनवाई कर रही हैं. पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा शामिल हैं.

सरकार ने एकांत में परस्पर सहमति से वयस्कों के बीच कृत्यों से संबंधित धारा 377 की संवैधानिक वैधता की परख करने का मामला शीर्ष अदालत के विवेक पर छोड़ दिया था. सरकार ने कहा था कि समलैंगिक विवाह, गोद लेना और दूसरे नागरिक अधिकारों पर उसे विचार नहीं करना चाहिए.

सुनवाई से संबंधित मुख्य तथ्य:

  • भारतीय दंड संहिता की धारा 377 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा ऐसे लोगों के साथ भेदभाव ने उनके मानसिक स्वास्थ पर भी प्रतिकूल असर डाला है.
  • पीठ ने मानसिक स्वास्थ देखभाल कानून के प्रावधान का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें भी इस तथ्य को मान्यता दी गई है कि लैंगिक रुझान के आधार पर ऐसे व्यक्तियों के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता.
  • सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से समलैंगिक समुदाय के साथ सामाजिक भेदभाव का मुद्दा उठाते हुए कोर्ट से सिद्धांत तय करने की मांग की.
  • कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि उसका फैसला 'पब्लिक ओपिनियन'(समाज की अवधारणा) पर नहीं बल्कि कानून की वैधानिकता पर करेंगे.
  • कोर्ट ने कहा कि समलैंगिक संबंध अपराध नहीं रहेंगे तो इससे जुड़ा सामाजिक कलंक और भेदभाव भी खत्म हो जाएगा. हालांकि कोर्ट ने कहा कि वह धारा 377 (समलैंगिकता) के सभी पहलुओं पर विचार करेगा. यह धारा अप्राकृतिक यौनाचार को दंडनीय घोषित करती है.

                                                            आईपीसी धारा 377:

भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में समलैंगिकता को अपराध बताया गया है. आईपीसी की धारा 377 के मुताबिक जो कोई भी किसी पुरुष, महिला या पशु के साथ प्रकृति की व्यवस्था के खिलाफ यौन संबंध बनाता है तो इस अपराध के लिए उसे 10 वर्ष की सजा या आजीवन कारावास से दंडित किया जाएगा. उस पर जुर्माना भी लगाया जाएगा. यह अपराध संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है और यह गैर जमानती है.

एलजीबीटीक्यू समुदाय क्या है?

एलजीबीटीक्यू समुदाय के तहत लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल, ट्रांसजेंटर और क्वीयर आते हैं. एक अर्से से इस समुदाय की मांग है कि उन्हें उनका हक दिया जाए और धारा 377 को अवैध ठहराया जाए. निजता का अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इस समुदाय ने अपनी मांगों को फिर से तेज कर दिया था.

मोहम्मद कैफ ने क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास लिया

भारतीय क्रिकेटर मोहम्मद कैफ ने 13 जुलाई 2018 को क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास की घोषणा कर दी है.

लगभग 12 साल पहले टीम इंडिया के लिए मैच खेलने वाले मोहम्मद कैफ ने अपने रिटायर होने की जानकारी ई मेल के जरिए दी है.

मोहम्मद कैफ के बारे में:

•    मोहम्मद कैफ का जन्म 01 दिसंबर 1980 को इलाहाबाद में हुआ था.

•    वे एक पूर्व भारतीय क्रिकेट टीम के क्रिकेट खिलाड़ी हैं.

•    मोहम्मद कैफ ने वर्ष 2000 से 2006 तक क्रिकेट खेला.

•    वे विश्व कप 2003 में फाइनल खेलने वाली भारतीय टीम का भी हिस्सा थे.

•    वे युवराज सिंह के साथ अंडर 19 क्रिकेट से चमके थे.

•    मोहम्मद कैफ ने अपने क्रिकेट करियर में भारत के लिए 13 टेस्ट मैच खेले हैं. जिसमें 624 रन बनाए हैं.

•    इसके अलावा, उन्होंने 125 वनडे मैच खेले हैं जिसमें उन्होंने 2753 रन बनाए हैं. वनडे में मोहम्मद कैफ का उच्चतम स्कोर नाबाद 111 रन है जबकि टेस्ट में नाबाद 148 रन है.

•    कैफ क्रिकेट कमेंटेटर के रूप में करियर की दूसरी पारी शुरू कर चुके हैं.

•    उत्तर प्रदेश के लिये रणजी ट्राफी जीतने वाले कैफ ने आखिरी प्रथम श्रेणी मैच छत्तीसगढ़ के लिये खेला था.

•    विश्वकप के एक मैच में कैफ के नाम सबसे ज्यादा 4 कैच लेने विश्व रिकॉर्ड है, जो उन्होंने वर्ष 2003 के विश्वकप में श्रीलंका के खिलाफ लिए थे.

•    कैफ की गिनती भारत के टॉप फील्डर्स में होती थी.

•    मोहम्मद कैफ राजनीति में भी हाथ आजमा चुके हैं, लेकिन वहां उन्हें सफलता नहीं मिली और हार का सामना करना पड़ा. लोक सभा चुनाव-2014 में मोहम्मद कैफ फूलपुर क्षेत्र से कांग्रेस के प्रतिनिधि थे.

हिमा दास ने 400 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा


हिमा दास

भारतीय तेज धाविका हिमा दास ने 12 जुलाई 2018 को इतिहास रचा. उन्होंने आईएएएफ वर्ल्ड अंडर-20 ऐथलेटिक्स चैंपियनशिप के 400 मीटर फाइनल में गोल्ड स्वर्ण पदक जीता. वह ट्रैक इवेंट में स्वर्ण पदक जीतने वालीं पहली भारतीय एथलीट हैं.
हिमा दास से पहले भारत की कोई महिला या पुरुष खिलाड़ी जूनियर या सीनियर किसी भी स्तर पर विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण या कोई मेडल नहीं जीत सका था.
मुख्य बिंदु
•    चौथे नंबर की लेन में दौड़ रही हिमा दास अंतिम राउंड में रोमानिया की आंद्रिया मिकलोस से पिछड़ रही थी लेकिन फिनिश लाइन के नजदीक आकार उन्होंने तेज़ी दिखाते हुए पहला स्थान हासिल किया.
•    अठारह वर्षीय दास ने 51.46 सेकंड का समय निकालकर टॉप पोजीशन हासिल की.
•    उन्होंने सेमीफाइनल में भी 52.10 सेकंड का समय निकालकर टॉप किया था. पहले राउंड में  उन्होंने 52.25 सेकंड का रेकॉर्ड समय निकाला था.
•    हिमा हालांकि 51.13 सेकेंड के अपने निजी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन से पीछे रही.
•    मिकलोस ने 52 .07 सेकेंड के साथ रजत पदक हासिल किया जबकि अमेरिका की टेलर मेनसन ने 52 .28 सेकेंड के साथ कांस्य पदक जीता.

स्मरणीय तथ्य

आईएएएफ में स्वर्ण पदक जीतकर हिमा, भाला फेंक के स्टार खिलाड़ी नीरज चोपड़ा की सूची में शामिल हो गई जिन्होंने 2016 में विश्व रिकार्ड प्रयास के साथ स्वर्ण पदक जीता था. विश्व जूनियर चैंपियनशिप में भारत के लिए इससे पहले सीमा पूनिया (2002 में चक्का फेंक में कांस्य) और नवजीत कौर ढिल्लो (2014 में चक्का फेंक में कांस्य) पदक जीत चुके हैं.

हिमा दास के बारे में जानकारी
•    18 वर्षीय हिमा दास का जन्म 9 जनवरी 2000 को असम के नोगांव में हुआ.
•    उन्होंने स्थानीय विद्यालय से ही स्कूली शिक्षा प्राप्त की. उनके पिता धान की खेती करते हैं.
•    हिम दास ने आईएएएफ में स्वर्ण पदक जीतने से केवल 18 माह पहले ही जिला स्तर पर दौड़ प्रतियोगिताओं में भाग लेना आरंभ किया था.
•    हिमा ने स्थानीय लड़कों के साथ फुटबॉल, किक बॉल आदि खेलना आरंभ किया था.
•    हिमा को एक जिला प्रतियोगिता में दौड़ते हुए देखने पर उनके वर्तमान कोच निपोन ने उन्हें एथलेटिक्स में प्रशिक्षित किया.

 



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