संसद में विपक्ष की तरफ से पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव में सरकार साफ़ तरीके से सफल रही तथा अविश्वास प्रस्ताव गिर गया. प्रस्ताव के लिए कुल 451 वोट डाले गए जिसमें से इस प्रस्ताव के पक्ष में सिर्फ 126 वोट पड़े जबकि विरोध में 325 वोट.
टीडीपी सांसद की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने मंजूर किया था, जिसके बाद चर्चा के लिए 20 जुलाई 2018 का दिन तय हुआ था. विपक्ष के लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर करीब 11 घंटों की लंबी बहस चली. लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ पहली बार अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग हुई.
विपक्ष के लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर करीब 11 घंटों की लंबी बहस चली. लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ पहली बार अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग हुई थी. इस अविश्वास प्रस्ताव को कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी और माकपा के 50 सदस्यों का समर्थन प्राप्त था.
चर्चित घटनाक्रम |
लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर राफेल विमान समेत कई मुद्दों पर लगातार तीखे हमलों के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी सीट से प्रधानमंत्री के पास गए और उन्हें गले लगा लिया. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के इस सौहार्द पूर्ण भाव ने सत्ता पक्ष के सदस्यों को भी चकित कर दिया. तुरंत खुद को संभालते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राहुल गांधी को बुलाया और हाथ मिलाने के साथ-साथ उनकी पीठ थपथपाई. |
आखिरी बार अविश्वास प्रस्ताव 2003 में सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली तत्कालीन एनडीए सरकार के खिलाफ पेश किया था. यह अविश्वास प्रस्ताव भी गिर गया था क्योंकि सरकार के पक्ष में 325 वोट पड़े थे और खिलाफ 212 वोट.
भारतीय राजनीति में अविश्वास प्रस्ताव
• भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुरी शास्त्री के खिलाफ तीन बार अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया था. पहला 1964 में और 1965 के दौरान दो अविश्वास प्रस्ताव लाए गए थे.
• 1987 में राजीव गांधी सरकार के खिलाफ भी अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था लेकिन ध्वनि मत से उस प्रस्ताव को हरा दिया गया था. पी.वी.नरसिम्हा राव के कार्यकाल में तीन बार प्रस्ताव पेश किया गया.
• अब तक लोकसभा में 13 बार अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा हुई है जिनमें प्रधानमंत्रियों को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा है.
• अब तक सिर्फ तीन बार, 1990 में वी.पी. सिंह सरकार, 1997 में एच.डी. देवेगौड़ा सरकार और 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पास हो गया और सरकार गिर गई.
राज्यसभा से भ्रष्टाचार निवारण संशोधन विधेयक पारित
राज्यसभा ने 19 जुलाई 2018 को भ्रष्टाचार निवारण संशोधन विधेयक 2013 ध्वनि-मत से पारित कर दिया. इस विधेयक के जरिए भ्रष्टचार निवारण (संशोधन) अधिनियम 1988 में संशोधन किया गया है.
विधेयक के अनुसार लोकसेवकों पर भ्रष्टाचार का मामला चलाने से पहले केन्द्र के मामले में लोकपाल और राज्यों के मामले में लोकायुक्तों से अनुमति लेनी होगी. सरकार की ओर से कुल 43 संशोधन लाए गए थे जिन्हें सर्वसमति से पारित कर दिया गया.
विधेयक के प्रावधान:
पृष्ठभूमि:
भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, 1988 वर्ष 1988 में अधिनियमित किया गया था. भ्रष्टाचार निरोधक (संशोधन) अधिनियम, 2013 को इसी उद्देश्य के अंतर्गत 19 अगस्त 2013 को राज्यसभा में पेश किया गया. विधेयक में घूसखोरी से संबंधित अपराधों को परिभाषित करने के एक महत्वपूर्ण बदलाव के चिंतन को देखते हुए प्रस्तावित संशोधनों पर भारतीय विधि आयोग के विचारों को भी मांगा गया. भारतीय विधि आयोग की 254वीं रिपोर्ट के द्वारा की गयी सिफारिशों के अऩुरूप इस विधेयक में आगामी संशोधन प्रस्तावित हैं.
पेप्सीको, कोका कोला और बिस्लरी जैसी टॉप कोल्ड ड्रिंक्स कंपनियां अब अपनी प्लास्टिक की बोतलों को ग्राहक से खरीद लेंगी. कंपनियों ने अपनी प्लास्टिक की बोतलों पर बायबैक वैल्यू भी लिखना शुरू कर दिया है.
महाराष्ट्र में बिकने वाली कोल्ड ड्रिंक्स की बोतलों को लेकर कंपनियों ने खुद यह फैसला लिया है. हाल ही में राज्य में प्लास्टिक पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाए जाने निर्णय लिया गया है जिसके चलते कम्पनियों ने यह निर्णय लिया है.
घोषणा के मुख्य बिंदु
• अधिकतर कंपनियों ने एक खाली प्लास्टिक की बोतल की कीमत 15 रुपये तक तय की है.
• सरकार ने कंपनियों को बोतलों की बायबैक वैल्यू तय करने को लेकर अपनी ओर से छूट दी है.
• इसके लिए कम्पनियां रिवर्स वेंडिंग मशीनें सेट करेगी तथा कलेक्शन पॉइंट्स बनाएगी जहां से यह बोतलें प्राप्त की जा सकें.
• राज्य में बायबैक प्रोग्राम को आगे बढ़ाने के लिए यह प्रयास किए जाएंगे और सूबे में कई जगहों पर बोतलों के कलेक्शन के लिए सेंटर बनेंगे.
टिप्पणी
प्लास्टिक को रीसाइकिल करने की व्यवस्था पहले से ही है. अब इसे ज्यादा प्रभावी और संबंधित पक्षों के लिए लाभदायी बनाकर इसे सफल बनाया जा सकता है. पूरी पृथ्वी पर प्लास्टिक के कचरे का बोझ बढ़ता जा रहा है, इस कदम से इस पर कुछ असर अवश्य पड़ेगा.
म्यांमार 19 जुलाई 2018 को भारत द्वारा आरंभ की गई पहल अंतरराष्ट्रीय सौर संगठन (आईएसए) में 68वें सदस्य के रूप में शामिल हुआ जिसने फ्रेमवर्क पर हस्ताक्षर किये हैं. म्यांमार ने इस संगठन में शामिल होकर सौर उर्जा के अधिक से अधिक उपयोग करने को लेकर प्रतिबद्धता जताई.
दिल्ली डायलॉग के दौरान हुई द्विपक्षीय बैठक के दौरान म्यांमार के विदेश मंत्री क्याव तिन ने भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को आईएसए फ्रेमवर्क पर हस्ताक्षर करके अपनी सहमति व्यक्त की.
इस बैठक में भारत और म्यांमार के मध्य निम्नलिखित विषयों पर भी चर्चा की गई:
• भारत म्यांमार में विभिन्न इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं का निर्माण कर रहा है. इनमें कालादान मल्टीमॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट विशेष रूप से शामिल है.
• यह परियोजना मिज़ोरम को म्यांमार के सित्वे बंदरगाह के साथ जोड़ती है.
• इस त्रिपक्षीय योजना से भारत म्यांमार और थाईलैंड से जुड़ जायेगा.
• भारत म्यांमार के राखिने राज्य में मानवीय एवं आर्थिक सहायता भी प्रदान कर रहा है.
अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन
• भारत ने भविष्य की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की पहल की थी.
• इसकी शुरुआत संयुक्त रूप से पेरिस में 30 नवम्बर, 2015 को संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन के दौरान कोप-21 से अलग भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और फ्राँस के तत्कालीन राष्ट्रपति ने की थी.
• फ़्रांस, इस अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के सफल होने के लिए 2022 तक 5600 करोड़ रुपये का फंड देगा जिससे सदस्य देशों में अन्य सोलर प्रोजेक्ट शुरू किये जायेंगे.
• अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन का लक्ष्य 2030 तक 1 ट्रिलियन वाट (1000 गीगावाट) सौर ऊर्जा उत्पादन का है, जिस पर अनुमानतः 1 ट्रिलियन डॉलर का खर्च आयेगा.
• अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) पहला अंतरराष्ट्रीय संगठन है जिसका सचिवालय भारत में है.
नैशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) ने 19 जुलाई 2018 को सेटेलाईट डाटा के कमर्शियल उपयोग को बढ़ावा देने हेतु टूलकिट लॉन्च की.
यह ऑनलाइन टूलकिट इस उद्देश्य के साथ लॉन्च किया गया कि उपयोगकर्ताओं को डाटा के शोध, व्यावसायिक परियोजनाओं या संरक्षण प्रयासों के लिए प्रासंगिक उपग्रह डाटा का पता लगाने तथा उससे विश्लेषण और उसे उपयोग करना आसान हो सके.
रिमोट सेंसिंग टूलकिट
• "रिमोट सेंसिंग टूलकिट" एक साधारण प्रणाली प्रदान करता है जो उपयोगकर्ता इनपुट के आधार पर प्रासंगिक स्रोतों की तुरंत पहचान करता है.
• टूलकिट को उपयोगकर्ताओं को डेटा खोजने के लिए डिज़ाइन किया गया है. साथ ही नए टूल्स बनाने के लिए इसमें कुछ टूल्स और कोड दिए गये हैं.
• यह नया टूल नासा उपग्रह डेटा को पहले से कहीं अधिक आसान बनाता है और इसका उपयोग करने में सहायता प्रदान करता है.
• यह टूलकिट उद्यमशील समुदाय के बीच नवाचार को बढ़ावा देने और नासा प्रौद्योगिकी के समक्ष व्यावसायीकरण का भी अवसर प्रदान करती है.
• यह उन उपयोगकर्ताओं की संख्या में वृद्धि करने में मदद करेगा जिन्होंने लोगों के लिए काम करने के लिए नासा के मुक्त और खुले डाटा संग्रह को रखा है.
नासा टेक्नोलॉजी ट्रान्सफर कार्यक्रम
• इस टूलकिट का लॉन्च नासा टेक्नोलॉजी ट्रांसफर प्रोग्राम का हिस्सा है जो रिमोट सेंसिंग डेटा की पेशकश करता है जिसने वैज्ञानिक समुदाय, अन्य सरकारी एजेंसियों और गैर-लाभकारी संगठनों को लंबे समय से लाभान्वित किया है.
• नासा के प्रौद्योगिकी हस्तांतरण कार्यक्रम को नासा के अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी मिशन निदेशालय द्वारा प्रबंधित किया जाता है.
• इस कार्यक्रम यह सुनिश्चित किया जाता है कि अन्वेषण और खोज में मिशन के लिए विकसित प्रौद्योगिकियां जनता के लिए व्यापक रूप से उपलब्ध हों तथा देश को अधिकतम लाभ प्रदान करें.
• प्रौद्योगिकी हस्तांतरण कार्यक्रम रिमोट सेंसिंग टूलकिट के एक ट्यूटोरियल की मेजबानी करेगा. भाग लेने के लिए, संभावित उपयोगकर्ताओं को भविष्य के वेबिनारों के बारे में अधिसूचित होने के लिए साइन अप करना होगा.